Edited By Shivam, Updated: 17 Apr, 2019 11:55 AM
आजादी के 7 दशक बाद देश में पहली बार पर्यावरण व प्रदूषण को राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किए जाने का पर्यावरण कार्यकत्र्ताओं ने स्वागत किया है तो पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे को लेकर उम्मीदवारों से सवाल करना शुरू हो गया है।...
गुडग़ांव (मार्कंडेय): आजादी के 7 दशक बाद देश में पहली बार पर्यावरण व प्रदूषण को राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किए जाने का पर्यावरण कार्यकत्र्ताओं ने स्वागत किया है तो पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे को लेकर उम्मीदवारों से सवाल करना शुरू हो गया है। प्रकृति प्रेमी आम लोगों से अपील कर रहे हैं कि इसे आप चुनावी मुद्दा बनाएं, क्योंकि यह भावी पीढिय़ों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है।
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा-पत्र में मौसम परिवर्तन को न केवल शामिल किया है बल्कि इससे निपटने के उपायों पर भी चर्चा की है। प्रदूषण को लेकर भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में कहा है कि हमारी सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देगी। इतना ही नहीं, पार्टी ने कहा है कि वह पहाड़ों में होने वाले नुक्सान को लेकर वहां के निवासियों को ग्रीन बोनस देगी।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी अपने चुनावी घोषणा-पत्र में मिट्टी के क्षरण से लेकर खराब वायु गुणवत्ता को राष्ट्रीय आपदा कहा है। स्थानीय पर्यावरण कार्यकत्र्ताओं सहित राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर कार्य करने वालों ने भी इसे स्वागत योग्य कदम कहा है। देश के 2 प्रमुख दलों की ओर से पर्यावरण को अपने घोषणा-पत्र का हिस्सा बनाए जाने के बाद निश्चित ही गुडग़ांव के हालात भी बदलने और व्यापक परिवर्तनों की उम्मीद की जा रही है।
वायु की खराब गुणवत्ता को कांग्रेस ने लोगों के स्वास्थ्य को लेकर राष्ट्रीय संकट करार दिया है तो वहीं भाजपा ने भी अपने घोषणा पत्र में सौर ऊर्जा, मिट्टी संरक्षण को बढ़ावा देने और प्राचीन जल स्रोतों को जिंदा करने का वायदा किया है। हालांकि गुडग़ांव और आसपास कुल 40 जौहड़ बताए जाते हैं जिनमें अधिकतर पर इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। ऐसे में इन्हें जिंदा कर पाना संभव नहीं है। फिर भी यदि सरकार अपनी नीतियों में विकास के साथ पर्यावरण को प्राथमिकता देती है तो गुडग़ांव में भी अच्छे दिन आएंगे।