हरियाणा सरकार के नए फरमान ने उड़ाए प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के होश

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 25 Oct, 2018 06:07 PM

new decree lifted by the senses of private schools in the state

हरियाणा सरकार नए फरमान ने प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के होश उड़ा दिए है। इस नए फरमान के तहत 10 साल पुराने स्कूलों को हर साल अपनी मान्यता को रिन्यू करवाने के लिए फार्म नंबर 2 भरना जरूरी हो....

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा सरकार नए फरमान ने प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के होश उड़ा दिए है। इस नए फरमान के तहत 10 साल पुराने स्कूलों को हर साल अपनी मान्यता को रिन्यू करवाने के लिए फार्म नंबर 2 भरना जरूरी हो जाएगा। यह फॉर्म स्कूलों को मान्यता प्राप्त करने के लिए एक ही बार भरना होता है। जिसका प्राइवेट स्कूल यूनियन विरोध कर रही हैं। एसोसिएशन ने कहा कि यदि सरकार ने अपना फैसला वापिस नहीं लिया तो इसके लिए दिसंबर के अंत में प्राइवेट स्कूल रैली कर विरोध करेंगे।  

वहीं उन्होंने कहा कि पडोसी राज्य शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छत्रों के लिए सरकार प्राइवेट स्कूलों को डेढ़ से दो हजार रूपए देती है। लेकिन हरियाणा में यह राशि केवल 200 रूपए है जो अब तक एक छात्र की भी किसी भी निजी स्कुल को नहीं दी गई है।  इस दौरान यूनियन ने सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर भी सवाल उठाए उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियों को फ्री यात्रा की सुविधा देती है। वहीं प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों से पैसेंजर टैक्स वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि पिछली हुड्डा सरकार की बात करें तो हुड्डा सरकार ने पैसेंजर टैक्स को माफ कर दिया लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे बोर्ड के विकास का हवाला देते हुए फिर से शुरू कर दिया।

चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार के इस कदम से भ्रष्ट्राचार और इंस्पेक्टरी राज बढ़ेगा। सरकार का यह नया फरमान सीबीएसई से संबंधित स्कूलों पर भी लागू होगा। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि वे अपनी शिकायत को लेकर उन्होंने शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के एसीएस से भी मिल चुके हैं, लेकिन उन्होंने आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया। वहीं शिक्षा अधिकारी लगातार स्कूलों पर फार्म को भरने का दबाव बना रहे है। यूनियन ने कहा कि यदि सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो वह दिसंबर के अंत तक सरकार के इस फैसले के खिलाफ एक बड़ी रैली करेंगे और फॉर्म 2 को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे। 

वहीं, उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून(134 ) के तहत प्राइवेट स्कूलों को पड़ोसी राज्यों में प्रति छात्र डेढ़ से 2000 रूपए का भुगतान सरकार की तरफ से किया जा रहा है। जबकि हरियाणा में यह राशि 200 रूपए प्रति छात्र निर्धारित की है लेकिन आज तक एक बच्चे का पैसा भी नहीं दिया गया। इस दौरान यूनियन ने सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियों को फ्री यात्रा की सुविधा देती है। वहीं, प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों से पैसेंजर टैक्स वसूला जाता है। पिछली हुड्डा सरकार की बात करें तो हुड्डा सरकार ने पैसेंजर टैक्स को माफ कर दिया लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे बोर्ड के विकास का हवाला देते हुए फिर से शुरू कर दिया।

 

 

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