राष्ट्रीय चिन्ह को लेकर न सरकार गम्भीर, न प्रशासन

Edited By Shivam, Updated: 25 Feb, 2019 04:32 PM

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वर्ष-2019 के शुरू होते ही जिले का गांव टोपरा विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अंकित हो गया था क्योंकि इस ऐतिहासिक गांव में देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चक्र लगाया था। अशोक चक्र के यहां लगते ही जिला वासियों ने ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी लोगों ने...

यमुनानगर (त्यागी): वर्ष-2019 के शुरू होते ही जिले का गांव टोपरा विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अंकित हो गया था क्योंकि इस ऐतिहासिक गांव में देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चक्र लगाया था। अशोक चक्र के यहां लगते ही जिला वासियों ने ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी लोगों ने गौरव महसूस करते हुए कहा था कि अब यमुनानगर की पहचान भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस अशोक चक्र के कारण बनेगी। पर्यटक अशोक चक्र को देखने के लिए पहुंचेंगे, क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र है।

राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा व निकाय मंत्री कविता जैन द्वारा 5 जनवरी को इस अशोक चक्र को देश को समॢपत किया गया था। गांव की पंचायत द्वारा इसके लिए जमीन दी गई थी और द बुद्धिस्ट फोरम के प्रयासों से इस अशोक चक्र का निर्माण हो सका था। जिस समय इस अशोक चक्र को जनता को समॢपत किया गया तो उस समय यहां देश-विदेश से बौद्ध संत व अन्य पर्यटक भी पहुंचे थे। अभी इस अशोक चक्र को स्थापित हुए 2 माह भी नहीं हुए कि इस ऐतिहासिक स्थल की देखरेख न सही ढंग से न होने के कारण यह दयनीय स्थिति में पहुंच गया है।

अशोक चक्र के आसपास न तो कोई उचित सफाई की व्यवस्था है, न ही कोई चारदीवारी, न ही कोई रख रखाव की उचित व्यवस्था और न ही अभी तक सुरक्षा की दृष्टि से सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे। पर्यटकों के बैठने के लिए कोई स्थान नहीं। जो लोग यहां अशोक चक्र देखने आते हैं उनके लिए किसी प्रकार के खाने-पीने व शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं। यहां पर जो पौधे सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए थे उनकी भी देखभाल नहीं हो रही। इतना ही नहीं एक बरसात क्या आई, कीचड़ के बाद अशोक चक्र तक पहुंचना ही मुश्किल हो गया।

शौचालय न होने के कारण लोग खुले में शौच को मजबूर हैं। खाने-पीने के लिए कोई कैंटीन आदि की व्यवस्था नहीं है। कुल मिलाकर 2 माह बीत जाने के बाद भी यहां सुविधाओं का टोटा है और यहां आने वालों को निराशा ही हाथ लगती है। हालांकि ग्राम पंचायत इस दिशा में अपनी ओर से लगातार प्रयास कर रही है लेकिन फंड की कमी के कारण चाहकर भी कुछ कर नहीं सकती। यदि यही हाल रहा था अशोक चक्र को यहां स्थापित करने का जो उद्देश्य बुद्धिस्ट फोरम का रहा है, वह पूरा नहीं होगा और न ही यहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ौतरी होगी। 

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