नगर निगम के प्रॉपर्टी टैक्स में घपला, कर्मचारियों ने लाखों के बिल को हजारों में किया सैटल

Edited By Isha, Updated: 07 Feb, 2020 12:53 PM

municipal property tax molested employees settled bill of millions in thousands

पालिका बाजार स्थित प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच में नगर-निगम के कर्मचारी कच्चे कर्मचारियों के साथ मिलकर दलालों से मिलीभगत कर भारी गड़बड़ करने में लगे हुए हैं। पिछले करीब 8 वर्षों से शहर कमर्शियल......

पानीपत (आशु) : पालिका बाजार स्थित प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच में नगर-निगम के कर्मचारी कच्चे कर्मचारियों के साथ मिलकर दलालों से मिलीभगत कर भारी गड़बड़ करने में लगे हुए हैं। पिछले करीब 8 वर्षों से शहर कमर्शियल बिल्डिंगों के प्रॉपर्टी टैक्स जो कि लाखों रुपए में है, उन्हें हजारों में सैटल कर दिया जाता है। इतना ही नहीं पुराने 10-10 वर्षों से बकाया बिलों को 2 या 3 वर्ष पुराना दिखाकर छूट के तहत बिल भरवाया जाता है।

जिसके कारण आज तक शहर का नगर निगम विभाग बकाया प्रॉपर्टी टैक्स को शहर से वसूल नहीं पाया है। यदि विभाग चाहता तो करोड़ों रुपए का रेवैन्यू पानीपत से ही एकत्रित कर सकता था, परंतु जब विभाग में ही इस प्रकार के कार्य चलेंगे, तो रेवैन्यू का तो नुक्सान होगा ही। ये आरोप नगर्र निगम मेयर अवनीत कौर ने लगाए। मामले को लेकर पालिका बाजार स्थित निगम मेयर कार्यालय में प्रैसवार्ता का आयोजन किया गया।

जिसमें नगर निगम मेयर अवनीत कौर ने कहा कि मामले की शिकायत गृह मंत्री अनिल विज के साथ-साथ निदेशालय मुख्य सचिव और पुलिस को भी दी जाएगी, ताकि भविष्य में कर्मचारी ऐसे कारनामों को करने से पहले कई बार सोचे। साथ ही मामले की विजीलैंस जांच भी करवाई जाएगी। इस घटना को अंजाम देने के लिए एक चौकीदार भी शामिल पाया गया है। मेयर ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया था कि उनका प्रॉपर्टी टैक्स 2 लाख 85 हजार रुपए था, जिसे एक दलाल के माध्यम से पहले 2 लाख में निपटाने का सौदा हुआ।

जब बात नहीं बन पाई, तो दूसरे दलाल ने यह कार्य डेढ़ लाख में करवा दिया। जिसमें ब्रांच के सरकारी क्लर्क जोगिंद्र ने डी.सी. रेट की महिला कर्मचारी के साथ मिलकर बिल को 59 हजार बनाकर भरवा दिया। इसके पश्चात शिकायतकर्ता ने डिटेल निकलवाई, तो उसमें उसकी तरफ 2 लाख रुपए भी ज्यादा बकाया राशि मिली। जिसके पश्चात उन्होंने मेयर को जानकारी दी।शिकायतकर्ता से जानकारी मिलने के पश्चात निगम मेयर ने मामले में जांच की, तो पाया कि करीब 20 हजार के आस-पास बिल ऐसे मिले जो गलत बनाए गए थे। उन्होंने अभी अच्छे तरीके से जांच नहीं की है, लेकिन जितने भी बिलों में जांच की, सभी में गड़बड़ देखने को मिली, जो कि करोड़ों रुपए के गोलमाल को साफ कर सकती है।

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