सांसद का गोद लिया गांव बेहतर हुआ पर चमका नहीं

Edited By kamal, Updated: 01 Apr, 2019 10:54 AM

mp s adopted village is better but does not shine

गन्नौर के सबसे बड़े गांवों में से एक दातौली को जब गोद लिया था तो सांसद रमेश कौशिक ने इसे...

सोनीपत (दीक्षित/नरेंद्र):गन्नौर के सबसे बड़े गांवों में से एक दातौली को जब गोद लिया था तो सांसद रमेश कौशिक ने इसे देश के विकसित गांवों की श्रेणी में लाकर खड़ा करने का वायदा किया था। गांव में काम हुआ और हालत पहले से बेहतर हुई, लेकिन सांसद अपने गोद लिए गांव को 5 साल में पूरी तरह नहीं चमका पाए। शिक्षा व खेल की सुविधाएं दुरुस्त हुईं पर स्वास्थ्य व बिजली जैसी सुविधाओं में अभी भी गांव दूसरे बहुत से गांवों से फिसड्डी है।

5 साल के दौरान सांसद ने दातौली पर करीब 8 करोड़ रुपए खर्च किए। खास बात यह है कि पूरा गांव अब आर.ओ. का पानी पी रहा है, लेकिन गंदगी से अटा जोहड़ अब भी गांव की सुंदरता पर बदनुमा दाग की तरह है। वहीं, स्कूल व खेल स्टेडियम की सुविधाओं को आधुनिक कर दिया गया, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र अभी तक नहीं खोला गया है, जिससे ग्रामीणों को इलाज के लिए अब भी दूसरे गांवों में या गन्नौर में जाना पड़ता है। बिजली का फीडर अलग से मुहैया करवाने के लिए ग्रामीणों ने जमीन तक बिजली निगम को दी, लेकिन आज तक फीडर को अलग नहीं किया गया, जिससे बिजली के मामले में गांव में समस्या बरकरार है। 

गोद लेने के बाद ये हुए गांव में सुधार 

सांसद के गोद लेने के बाद गांव के स्कूल को अपडेट किया गया और यहां पर निजी स्कूल की तर्ज पर सभी सुविधाएं मुहैया करवाई गईं। अब आसपास के गांवों से भी बच्चे यहां पर पढऩे के लिए आते हैं। 
गांव को खेल स्टेडियम मिला, जिससे युवाओं को अपनी खेल प्रतिभा निखारने में खासी मदद मिल रही है और पूरा दिन युवा यहां पर अभ्यास करते हैं। इसके अलावा शानदार पार्क बनाया गया। 2.5 एकड़ में बने पार्क के रखरखाव के लिए स्टाफ भी नियुक्त किया गया है। सरपंच लोकेश गोस्वामी ने बताया कि गांव में 8 आंगनबाड़ी केंद्र बनवाए जा चुके हैं। गलियों का निर्माण हुआ। आर.ओ. सिस्टम लगा है, जिससे गांव को दूषित पेयजल से मुक्ति मिली है। गांव के सभी ङ्क्षलक मार्ग बेहतर हुए हैं। 

न कचरा प्लांट बना न पी.एच.सी. 
दातौली गन्नौर हलके का सबसे बड़ा गांव है। गांव में पावर हाऊस बनना था, लेकिन नहीं बना जिसके कारण गांव में बिजली नहीं पहुंच रही है। बिजली सुबह 6 बजे चली जाती है और शाम को 6 बजे आती है। इस बीच दिनभर में केवल एक घंटा आती है। रात को भी कई घंटे गायब रहती है। पी.एच.सी. बनने की घोषणा हुई थी, लेकिन नहीं बना। कचरा प्लांट बनना था और पंचायत ने 5 एकड़ जमीन देने का वायदा भी किया था, लेकिन नहीं बना। गांव के चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। गंदे पानी की निकासी वाला तालाब ओवरफ्लो होने से गांव में नाले गंदे पानी से भरे रहते हैं। पशुओं के नहलाने के लिए तालाब नहीं बना है। 

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