इलाज दौरान जच्चा-बच्चा की मौत, पीड़ित पति बोला- पहले पता होता तो प्राइवेट अस्पताल ले जाता

Edited By Isha, Updated: 18 Nov, 2020 11:56 AM

mother and child died during treatment

सिविल अस्पताल करनाल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाए कि  डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती हैं, जिसकी वजह से महिला व बच्चे दोनों की मौत हो गई। इधर, पत्नी व बच्चे की मृत्यु के बाद सिविल अस्पताल में गिड़गिड़ा...

करनाल: सिविल अस्पताल करनाल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाए कि  डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती हैं, जिसकी वजह से महिला व बच्चे दोनों की मौत हो गई। इधर, पत्नी व बच्चे की मृत्यु के बाद सिविल अस्पताल में गिड़गिड़ा रहे तरावड़ी निवासी पति संजू से स्टाफ ने दुव्र्यवहार किया। मौके पर मौजूद व्यक्ति ने इसे कैमरे में कैद कर लिया। वीडियो में पुरुष स्टाफ कर्मी ने कहा कि ‘क्यों बदनाम कर रहा है, जांदा क्यों नी, जा पुलिस केस कर लिए, तन्ने बेरा लाग जेगा’। साथ खड़ी महिला स्टाफ कर्मी ने कहा कि मीडिया को यहां क्यों लेकर आया है। डॉक्टरों की कोई गलती नहीं है। महिला को रात को दिक्कत थी और तू सुबह 11 बजे लेकर आ रहा है, चल यहां से। यह शब्द सुनकर पत्नी व बच्चे की मौत से दुखी पति फफक-फफक कर रो पड़ा। स्टाफ का ऐसा व्यवहार देखकर परिजन मृतक जच्चा व बच्चे को लेकर अपने घर चले गए। मामला पी.एम.ओ. के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच से पहले कहा कि परिजनों ने ड्रामा किया है। 

‘स्वास्थ्य मंत्री आकर देखें यहां का हाल’ 
पत्नी व बच्चे की मौत के बाद सिविल अस्पताल में खूब हंगामा हुआ। परिजनों ने बवाल काटा तो नागरिक अस्पताल में आई अन्य महिलाएं भी साथ खड़ी हो गईं। एक महिला ने कहा कि वह अपने मरीज के बारे में पूछने जाते हैं तो उन्हें धक्के मारे जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि सिविल अस्पताल में मरीजों का इलाज सही तरीके से नहीं हो रहा है। डॉक्टर मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी इलाज में लापरवाही बरतते हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को यहां आकर देखना चाहिए। हो सकता है कि उनके आने से कुछ सुधार हो जाए। 

इलाज में बरती लापरवाही : संजू 
तरावड़ी निवासी संजू ने बताया कि वह सिलाई का काम करता है। उसकी करीब 9 महीने पहले शादी हुई थी। अल्ट्रासाऊंड के बाद 30 दिसम्बर को डिलीवरी की तारीख दी गई थी। सोमवार रात करीब 12 बजे पत्नी की तबीयत खराब हुई। सुबह करीब 5 बजे तरावड़ी के सरकारी अस्पताल में लेकर पहुंचा। वहां उसे 2 इंजैक्शन लगाए गए। इसके बाद उसे करनाल के सिविल अस्पताल में लेकर आया, जहां डाक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती। पहले ही जवाब दे देते तो कम से कम प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर पत्नी व बच्चे की जान बचा लेता। पत्नी व बच्चे की मौत के बाद मेरा तो सब कुछ ही उजड़ गया है। 


‘पहले भी लग चुके हैं लापरवाही के आरोप’
सिविल अस्पताल में लापरवाही के आरोप का यह नया मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसे आरोप लग चुके हैं। गत 17 अक्तूबर को सड़क हादसे के बाद बच्चे की मौत के पश्चात साम्भली के सुभाष ने भी कई संगीन आरोप यहां के डॉक्टरों पर लगाए थे। सुभाष ने इसकी लिखित शिकायत सिविल सर्जन डा. योगेश को दी थी, जिसकी जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। गत 3 नवम्बर को दिव्यांग राजेश ने ट्रोमा सैंटर के 
डॉक्टर पर दुव्र्यवहार के आरोप जड़े थे। जिला निवासी प्रदीप व सोनू का कहना है कि जांच के नाम पर मामले को दबा दिया जाता है। सिविल अस्पताल में गत दिवस लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। 

‘‘महिला व बच्चे की मौत के बाद कमेटी गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। पूरे मामले की जांच की जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। सिविल अस्पताल के पी.एम.ओ. से इसका जवाब मांगा जाएगा। डा. अंजू ने महिला की जांच की थी।’’
डा. योगेश शर्मा, सिविल सर्जन, करनाल। 

‘‘इस केस में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। महिला को मंगलवार सुबह करीब 11 बजे यहां लाया गया था। खून कम था और बी.पी. बढ़ा हुआ था। डॉक्टरों ने उसका चैकअप किया। जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने ड्रामा किया। परिजनों के साथ यदि स्टाफ ने दुव्र्यवहार किया है तो इसकी जांच की जाएगी। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’ 
डा. पीयूष शर्मा, पी.एम.ओ. सिविल अस्पताल करनाल। 
 

 

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