सत्ता हाथ में न आने पर कांग्रेस तिलमिलाई, किसानों के नाम पर 5-6 जिलों में आंदोलन चलवा रही: मूल चंद

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Sep, 2020 07:06 PM

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हरियाणा के परिवहन व खनन मंत्री मूल चंद शर्मा ने कहा है की यह किसानों का आंदोलन नहीं कांग्रेस का आंदोलन है। सत्ता हाथ में न आने पर कांग्रेस बौखलाई पड़ी है व किसानों के नाम पर 5-6 जिलों में ही आंदोलन चलवा रही है। दक्षिण हरियाणा के अंदर गुरुग्राम,...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के परिवहन व खनन मंत्री मूल चंद शर्मा ने कहा है की यह किसानों का आंदोलन नहीं कांग्रेस का आंदोलन है। सत्ता हाथ में न आने पर कांग्रेस बौखलाई पड़ी है व किसानों के नाम पर 5-6 जिलों में ही आंदोलन चलवा रही है। दक्षिण हरियाणा के अंदर गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, भिवानी, रेवाड़ी में आंदोलन नजर क्यों नहीं आता।

मूल चंद शर्मा ने कहा की भाजपा सरकार में किसानों पर कभी भी कोई लाठीचार्ज नहीं हो सकता। पुलिस ने अपने बचाव में भगदड़ में स्थिति नियंत्रित की। किसानों को जो लोग राजनैतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए उकसा रहें हैं, उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री मोदी ही किसानों में लोकप्रिय हैं। यह विधेयक किसान हितैषी व भले के हैं।

उन्होंने कहा कि मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई और अगस्त माह के दौरान हरियाणा रोडवेज के हालात सबसे बदतर रहे। जबकि इसके बाद अब राज्य से अंतरराज्यीय बस सेवा की भी शुरुआत की गई है। इसमे यूपी, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़ के लिए शुरुआत हो चुकी है, जबकि जल्दी हिमाचल, दिल्ली व अन्य राज्यों के लिए भी बसों की शुरुआत हो जाएगी। लॉकडाउन से पहले हमें रोज 3 करोड़ रुपये की रिसीट होती थी। लॉकडाउन के दौरान 900 करोड़ के करीब घाटा हुया है।

मूल चंद ने कहा कि हरियाणा रोडवेज को दिल्ली, हिमाचल व उत्तराखंड ने फिलहाल बसें चलाने की अनुमति नहीं दी है। हरियाणा परिवहन विभाग के अधिकारी इन्हें अनलॉक पीरियड शुरू होने के बाद कई बार पत्राचार कर चुके हैं। दिल्ली की अनुमति न मिलने के कारण गुरुग्राम, फरीदाबाद की बसें फिलहाल केएमपी मार्ग को अपना रहीं हैं। 

फरवरी 2020 जब लॉकडाउन नहीं हुआ तब 3464 बसें सड़कों पर सभी राज्यों में चलती थी। प्रतिदिन 9.83 लाख किलोमीटर चलती थी। इन बसों में 8 लाख 45 हजार यात्री सफर करते थे। प्रतिदिन रेवेन्यू लगभग 3 करोड़ के करीब था। अप्रैल में 53 हजार रुपये प्रतिदिन, मई में 5 लाख के करीब प्रति दिन, जून में प्रतिदिन साढ़े 15 लाख के करीब, जुलाई में लगभग 53 लाख रुपये था। आज हरियाणा की 1757 बसों में से उत्तरप्रदेश 106 बसें, राजस्थान 134 बसें, चंडीगड़ 109 बसें आवागमन कर रही हैं।

उन्होंने कहा की अवैध ट्रांपोर्टेशन प्रदेश के हर शहर में है। अंबाला से चंडीगढ़ और पंजाब के लिए जबकि सिरसा से राजस्थान के लिए काफी वाहन अवैध तौर पर सवारियां ले जाते हैं। जब तक इन वाहनों पर लगाम नहीं लगेगा। तब तक राज्य परिवहन की बसों को पूरी तरह से नहीं चलाया जा सकेगा। इसलिए इन वाहनों पर लगाम लगाने के लिए हमने एक कमेटी बनाई है। 

आरटीई और जीएम रोडवेज का स्टाफ अवैध तौर पर चलने वाले इन वाहनों को नाके लगाकर पकड़कर इन्हें खाली करवाकर इनके चालान करेंगे और इनकी सवारियों को हरियाणा रोडवेज की बसों में बैठाएंगे। यह कार्रवाई एक दिन नहीं बल्कि रोजाना चलाई जाएगी। रात को जो अवैध तौर पर बिना परमिट के बसें प्रदेश में आती है। उनकी चेकिंग की जाएगी।

इससे पहले हम एक ही चीज ओवर लोडिंग पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे थे। जिस पर काम चल रहा है। लेकिन जहां हरियाणा रोडवेज के 18 हजार कर्मचारी है और उत्तर भारत में हरियाणा रोडवेज की अपनी एक पहचान है। उसमें लोग नहीं बैठ पा रहे। वहीं दूसरी तरफ यह अवैध परिवहन प्रदेश के राजस्व को चुना लगा रहा है।  

बिना बीमा के गाड़ियां सड़कों पर घूम रही हैं, जिनके साथ कोई हादसा हो तो बीम तक नहीं मिलेगा। प्राइवेट बसों वाले सरकारी बस के टाइम से महज कुछ मिनट पहले अपनी बस लगा देते हैं। इन सब बातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमने परिवहन विभाग की एक बैठक की है। जिसमें अवैध वाहनों पर लगाम लगाने के लिए रणनीति तैयार की गई है। 

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