अब ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायड’ भी बनाया जाएगा : मूलचंद शर्मा

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Oct, 2020 09:51 AM

mining minister flying squad  will also be made moolchand sharma

हरियाणा में ‘होम मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायॅड’ के बाद अब ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायॅड’ भी बनाया जाएगा, जो स्थानीय पुलिस के सहयोग से समय-समय पर..

चंडीगढ़ (बंसल) : हरियाणा में ‘होम मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायॅड’ के बाद अब ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायड’ भी बनाया जाएगा, जो स्थानीय पुलिस के सहयोग से समय-समय पर निरीक्षण करके प्रदेश में अवैध माइनिंग पर शिकंजा कसने का काम करेगा।

प्रदेश के खान एवं भू-विज्ञान मंत्री मूलचंद शर्मा ने बुधवार को विभाग की समीक्षा बैठक दौरान मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों को इस फ्लाइंग स्क्वायॅड के गठन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायॅड’ में खान एवं भू-विज्ञान, परिवहन विभाग के रैगुलेटरी विंग और पुलिस विभाग से 1-1 अधिकारी को शामिल किया जाएगा।

शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कई जगह खनन क्षेत्र से बाहर बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर 10-10 साल से खनिज और खनिज मलबा पड़ा है। इसका स्टॉक पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। इस तरह के अवैध स्टॉक की पहचान करके उसे सीज किया जाए और उसकी नीलामी करवाई जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दिल्ली से हरियाणा में आने वाले पत्थर को किस तरह से कानूनी तौर से लाया जा सके, इसकी संभावना भी तलाशी जानी चाहिए। 

हरियाणा से खुदाई करके खनिज सामग्री उत्तर प्रदेश की सीमा में डाले जाने के मुद्दे पर भी हुई चर्चा 
बैठक में हरियाणा से खुदाई करके खनिज सामग्री उत्तर प्रदेश की सीमा में डाले जाने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई और दोनों प्रदेशों के बीच सीमांकन के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वे करवाने का सुझाव दिया गया। इस दौरान बताया गया कि प्रदेश में 58 खनन ब्लॉक में से 51 की प्रारंभिक पहचान करके हरसेक द्वारा ग्राऊंड ट्रथिंग का कार्य किया जा रहा है। विभाग खानों बारे सूचना उपलब्ध करने हेतु हरसेक द्वारा एक एप भी शुरू किया गया है। खान एवं भू-विज्ञान विभाग के प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण और महानिदेशक अमिताभ ढिल्लों समेत कई वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद रहे।

अनुमति न होने के बावजूद कुछ लोगों ने किया हुआ है स्टॉक 
शर्मा ने कहा कि यमुना के साथ-साथ खनन की अनुमति न होने के बावजूद कुछ लोगों ने उस क्षेत्र में स्टॉक किया है, इसकी जांच की जानी चाहिए कि वहां रेत कहां से लाकर बेची जा रही है। इसके अलावा,बहुत-सी गाडिय़ों का ई-रवाना तो यमुनानगर व करनाल जैसे जिलों का कटा होता है लेकिन वे सप्लाई पलवल और फरीदाबाद जैसे जिलों में करते हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ई-रवाना जारी करते समय इस तरह की बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह व्यावहारिक है भी या नहीं। खान एवं भू-विज्ञान मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर जैसे जिलों में मिट्टी खोदने की अनुमति देने की प्रक्रिया को भी सुचारु किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चूंकि सभी माइनिंग ब्लॉक की पर्यावरण संबंधी स्वीकृति (ई.सी.) लेने में समय लगेगा, इसलिए फरीदाबाद के रेत के खदानों और चरखी दादरी के पहाड़ों के ब्लॉक्स की नीलामी करवाई जा सकती है जिसकी ई.सी. के बोलीदाताओं या ठेकदारों को लेनी होगी। सरकार बाकी खानों की बोली से पहले ई.सी. लेने के बारे विचार कर रही है और कानूनी रूप से कोई अड़चन न होने पर इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड द्वारा एन.सी.जैड. की परिभाषा तय करने का अधिकार राज्यों को देने के बाद पलवल में भी खनन ब्लॉक्स की नीलामी जल्द होने की उम्मीद है।

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