नदी में जे.सी.बी मशीन पर पाबन्दी के बावजूद भी धड़ल्ले से चल रहा अवैध खनन

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 02 Apr, 2018 09:24 AM

mining in the river after the ban on jcb machine in the river

खनन माफिया घघर पंचकूला ,नारयण गढ़ ,यमुनानगर सभी जगह पर प्रशासन के लिए चुनौती व आम आवाम के लिए परेशानी का सबब बन गई है। खनन पर रोक के बावजूद भी अवैध खनन का कारोबार जोरों पर है। नदियों में चल रही मशीनों और सडक़ों पर दौड़ते ट्रकों को देखकर लोगों के जहन...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): खनन माफिया घघर पंचकूला ,नारयण गढ़ ,यमुनानगर सभी जगह पर प्रशासन के लिए चुनौती व आम आवाम के लिए परेशानी का सबब बन गई है। खनन पर रोक के बावजूद भी अवैध खनन का कारोबार जोरों पर है। नदियों में चल रही मशीनों और सडक़ों पर दौड़ते ट्रकों को देखकर लोगों के जहन मेें ऐसे सवाल कौंधने लगे हैं जिसका जवाब तलाशना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर होगा।

प्रशासन पर खनन माफिया भारी पड़ता नजर आ रहा है। खनन पर नदियों से मशीनों द्वारा खनन किया जा रहा है,जोकि प्रतिबंधित है। यहां से खनन सामग्री स्क्रीनिंग प्लांटों पर पहुंचाई जा रही है और दिन रात चल रहे स्क्रीनिंग प्लांट जिला खनन अधिकारी के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।  नारयणगढ़ में  राऊ माजरा और डेरा जोन मे हालात बेहद खराब हैं। साथ लगती नदी से खनन सामग्री की चोरी कर प्लांटों को पुराने स्टॉक के नाम पर चलाया जा रहा है। 

दिलचस्प बात यह है कि राऊ माजरा और डेरा जोन में अधिकतर प्लांट बगैर एनओसी के चलाए जा रहे हैं। यह भी देखने में आया है कि प्रर्यावरण प्रदुषण का कारण बन चूके जिन स्क्रीनिंग प्लाटों को सील किया गया था वह भी चलाए जा रहे हैं। सूत्र बताते है कि इन प्लांट मालिकों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए थे। आज भी अधिक्तर स्क्रीनिंग प्लांट मानदंड़ों पर पूरे नहीं है। दबंग प्लांट संचालकों ने विभागीय आदेशों की अनदेखी कर प्लांट चला रखे है। दिसंबर 2015 में दोबारा खनन का कार्य शुरू हुआ तो प्लांट मालिकों को मनक पूरा करने के लिए एक साल का समय दिया गया था। समय पूरा होने के बाद भी न तो प्लांट बंद हुए और नही इनपर कोई कार्रवाई की गई है।

रूण नदी में हो रहा है खनन
खनन माफिया के निशाने पर इन दिनों रूण नदी है। राऊ माजरा और डेरा जोन के नजदीक होने के कारण यहां मशीनों से खनन किया जा रहा है। 
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सफेद हाथी बन गए ओवरलोड नाके
नारायणगढ़ क्षेत्र में लगाए गए तीन नाके भी ओवरलोड़ को नहीं रोक पाए। हालात यह हैं कि इन पर तैनात बाबू और होमगार्ड कर्मी डय़ूटी के नाम पर टाईम पास कर रहे है। होमगार्ड कर्मियों को ओवरलोड ट्रकों को रोकने का अधिकार नहीं है और बाबूओं के सामने से ट्रक निकल रहे है।

वहीं प्रशाशन का कहना है की ओवरलोड ट्रकों और अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस मामले में किसी भी अधिकारी की कोताही बर्दाशत नहीं की जाएगी। खनन अधिकारी को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह तुरंत कारवाई करें।

क्या है अवैध खनन का मामला 
मारकण्डा, रूण, शुकरो व बेगना नदियों के वर्तमान हालात का जायजा लेने के लिए क्षेत्र में पडने वाली नदियों का दौरा किया तो पाया कि नदी में 30-40 फुट तक मशीनों के द्वारा गहरे गडडे पिछले कुछ दिनों में खोद दिए गए और खनन सामग्री रेत, बजरी, गटका आदि को निकाल लिया गया हैं। जिससे नदियों का स्वरूप एक बार फिर से बिगड़ता जा रहा है।
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हैरानी की बात तो यह हैं कि खनन के कारण ही कुछ वर्षो पूर्व वर्ष 2008 में काला आम्ब में मारकण्डा नदी पर स्थित पूल खनन की भेंट चढ़ चुका है। अगर अब भी सम्बन्धित विभाग द्वारा समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो गांव मियांपुर में रूण नदी पर स्थित पूल जोकि आस-पास के दर्जन भर गांवो के लोगों के यातायात सम्पर्क के प्रमुख मार्ग पर स्थित है। वह भी खनन के चलते कभी भी धराशाही हो सकता है। 

इनता ही नहीं खनन के चलते वन विभाग को भी अपनी भूमि की चिंता सताने लगी है। नदियों के आस-पास स्थित वन विभाग की भूमि के पास अगर खनन जारी रहता है तो ना केवल भूमि का कटाव होने की प्रबल सम्भावना है। बल्कि निकट भविष्य में हजारों पेड इसकी भेंट चढ़ जाएंगे। भारतीय खान और खनिज अधिनियम1957 के अनुसार यदि किसी भी व्यक्ति को अनधिकृत उत्खनन में संलिप्त पाया जाता हैं, तो उसके खनिज उपकरण, वाहन आदि को जब्त कर लिया जाएगा। नदी में जे.सी.बी मशीन से खनन करने पर पाबंदी है। अगर कोई भी ऐसा करता पकडा गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो नहीं हो रही है। 
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माईनिंग की पर्ची में गोलमाल
पिछले दिनों ट्रांस्पोर्टर ने जिन ट्रकों का पकडक़र विभाग के हवाले किया है। इन सभी में 600 से 700 फुट तक खनन सामग्री भरी हुई थी। जबकि गलोड़ी जिला यमुनानगर की खनन कंपनी द्वारा रॉयल्टी मात्र 250 फुट की काटी गई थी। यही नहीं इस पर्ची पर महीना और साल तो लिख दिया लेकिन तारीख नहीं डाली गई। ताकि एक ही पर्ची पर महीना भर ढुलाई की जा सकें।  खनन कंपनी और माफिया की मिलीभगत से जहां सरकार का टैक्स चोरी किया जा रहा है। वहीं सरकार की आंखों में धुल भी झोंकी जा रही है। बिना तारीख के कम वजन की पर्ची काटकर खनन कंपनी और माफिया दोनों अनुचित लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।


 

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