Edited By Manisha rana, Updated: 04 Apr, 2021 08:17 AM
जहां एक ओर पूरी दुनिया दूसरे साल भी कोरोना जैसी वैश्यिक महामारी से त्राहि-त्राहि कर रही हैं वहीं कोरोना के चलते गत वर्ष लगे लॉकडाउन, मास्क लगाने, सोशल डिस्टेसिंग और सेनेटाइजर से बार-बार हाथ धोने की आदत ने बरसों बाद फरीदाबाद ...
फरीदाबाद : जहां एक ओर पूरी दुनिया दूसरे साल भी कोरोना जैसी वैश्यिक महामारी से त्राहि-त्राहि कर रही हैं वहीं कोरोना के चलते गत वर्ष लगे लॉकडाउन, मास्क लगाने, सोशल डिस्टेसिंग और सेनेटाइजर से बार-बार हाथ धोने की आदत ने बरसों बाद फरीदाबाद में टीबी के मरीज आधे से भी कम कर दिए हैं। वर्तमान में टीबी मरीजों का आंकड़ा 1810 दर्ज किया गया है। जबकि यह आंकड़ा 2018 में 7997 और 2019 में 7962 हुआ करता था।
टीबी रोगियों की संख्या में गिरावट आने का बड़ा कारण सीएमओ डॉ. रणदीप पूनिया भी कोरोना के डर से दो गज दूरी मास्क है जरूरी को मानते हैं। उनका मानना है कि यदि इसकी पालना निरंतर की जाए तो शायद टीबी और कोरोना ही नहीं अन्य संक्रामक बीमारियां भी खत्म हो जाएगी। टीबी विभाग प्रभारी डॉ. शीला भगत की माने तो टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबर क्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, मुंह, लीवर, किडनी व गले में भी टीबी हो सकती है। फेफड़ों की टीबी हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग को लोग लाइलाज बीमारी समझ कर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते थे, लेकिन अब इस रोग को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों से लोगों का नजरिया बदला है। यदि मरीज समय पर इलाज लेता है तो यह रोग खत्म हो सकता है।
कोरोना व टीबी के एक जैसे लक्षण
टीबी व कोरोना बीमारी खांसने व छीकने से फैलती है। कोरोना पांच से सात दिन तक अपना असर रखता है। टीबी में 15 दिन से अधिक खांसी, छाती में दर्द, वजन में लगातार गिरावट होने के लक्षण मिलते हैं। दोनों बीमारियां फेफड़ों को प्रभावित करती हैं। टीबी का एक पॉजिटिव रोगी समय पर इलाज नहीं लेता है तो एक साल में वह 15 से 16 नए लोगों को संक्रमित कर सकता है। सरकारी केन्द्रों पर इसकी नि:शुल्क जांच होती है। साधारण टीबी का उपचार 6 माह व गंभीर टीबी का उपचार 9 से 12 माह तक चलता है। उपचार बीच में छोड़ देने से यह बिगड़ सकती है और मरीज की मृत्यु हो सकती है।
मरीजों को मिलती राशि
सरकार की ओर से टीबी उन्मूलन के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। सरकारी व प्राइवेट क्षेत्र में पंजीकृत टीबी के मरीज को हर माह 500 रुपए पोष्टिक भोजन व प्राइवेट में यदि एक डॉक्टर टीबी के मरीज को वेरीफाई करता है तो उसे 1 हजार रुपए मिलते हैं।
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