Edited By Updated: 18 Mar, 2017 04:31 PM
मारुति प्लांट हिंसा मामले में हुई तोड़-फोड़ और आगजनी के मामले में शनिवार को कोर्ट ने सजा का एलान कर दिया गया। जिसके तहत 13 दोषियों को उम्रकैद
गुरुग्राम:मारुति प्लांट हिंसा मामले में हुई तोड़-फोड़ और आगजनी के मामले में शनिवार को कोर्ट ने सजा का एलान करते हुए 13 दोषियों को उम्रकैद व 4 को पांच साल की सजा सुनाई अौर 14 दोषियों की पर्याप्त सजा मानकर उन्हें बरी कर दिया गया है। बता दें कि 10 मार्च को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन्स कोर्ट ने 31 को दोषी करार दिया था, जबकि 117 को बरी कर दिया था।
गौरतलब है कि आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मजदूरों ने प्लांट में 18 जुलाई 2012 को उपद्रव मचाया था। इस दौरान प्लांट के एक सेक्शन में आग गई थी। इससे तब जनरल मैनेजर (एचआर) रहे देव की जलने से मौत हो गई थी। घटना के बाद मैनेजमेंट ने 546 मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, वहीं 148 लेबर्स के खिलाफ केस दर्ज किया था। करीब एक महीने तक प्लांट में प्रोडक्शन ठप रहा था। घटना के 12 दिन बाद सभी 148 आरोपियों को चालान पकड़ा दिया गया था, जिनमें मुख्य आरोपी जियालाल समेत दर्जन भर यूनियन नेता शामिल थे। 546 बर्खास्त इम्प्लॉइज को काम पर वापस लेने और मारुति कांड की हाई लेवल जांच की मांग की गई। वहीं, पुलिस ने अदालत में 400 पेज की चार्जशीट पेश की। केस में 182 गवाह बनाए गए थे, जिनमें 30 डॉक्टर, 40 से ज्यादा पुलिसकर्मी और करीब मैनेजमेंट के 70 इम्प्लॉइज थे।
बचाव पक्ष की एक वकील ने यह साबित करने कोशिश की कि बिल्डिंग में आग मजदूरों ने नहीं, बल्कि किसी और ने लगाई थी। उनके मुताबिक, अगर मजदूरों ने आग लगाई होती तो माचिस भी जल जाती। इससे साफ है कि मजदूरों के खिलाफ हत्या का केस चले, इसके लिए माचिस लाकर बाद में रख दी गई। उन्होंने दलील दी कि मजदूरों के खिलाफ मारपीट का मामला बन सकता है, हत्या का नहीं। बचाव पक्ष के ही एक अन्य वकील राजेंद्र पाठक ने बताया कि मैनेजमेंट के जिस आदमी ने एक मजदूर के ऊपर आग लगाने का आरोप लगाया था, वह उसे पहचान नहीं सका।