भाजपा को रास आ रही मनोहर-बराला की जोड़ी

Edited By Isha, Updated: 09 Jul, 2019 10:47 AM

manohar barla couple joining bjp

प्रदेश में भाजपा को सी.एम.मनोहर लाल तथा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की जोड़ी राजनीतिक रूप से खूब भा रही है। हरियाणा में आज ये जोड़ी जिस सोशल इंजीनियरिंग पर चल रही है,उस तरह की सोशल इंजीनियरिंग

जींद (जसमेर): प्रदेश में भाजपा को सी.एम.मनोहर लाल तथा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की जोड़ी राजनीतिक रूप से खूब भा रही है। हरियाणा में आज ये जोड़ी जिस सोशल इंजीनियरिंग पर चल रही है,उस तरह की सोशल इंजीनियरिंग कभी कांग्रेस संगठन में भी होती थी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर सुभाष बराला 2014 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों के बाद काबिज हुए थे। सी.एम. पद पर मनोहर लाल जैसे गैर जाट और प्रदेशाध्यक्ष पद पर सुभाष बराला जैसे जाट नेता को बैठाकर भाजपा ने प्रदेश में जाट और गैर जाट के बीच सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला लागू किया है। भाजपा का यह फार्मूला प्रदेश में राजनीतिक रूप से अब तक बेहद सफल साबित हुआ है।

इनकी जोड़ी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में पहली बार अकेले दम पर सभी 10 सीटों पर विजयी बनाया है। इससे पहले इसी साल जनवरी में हुए जींद उप-चुनाव में भी मनोहर और बराला की जोड़ी ने पहली बार जींद जैसी जाटलैंड और इनैलो के मजबूत गढ़ वाली जींद सीट पर जीत दिलवाने का काम किया। प्रदेश में इससे पहले हुए मेयर चुनावों में भी मनोहर-बराला की जोड़ी ने ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की थी। आज प्रदेश में इनैलो तथा जजपा के बड़े नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो उसमें भी इस जोड़ी की अहम भूमिका मानी जा रही है। 

उक्त जोड़ी की सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला प्रदेश में हर अग्निपरीक्षा में खरा उतरा है। बराला के प्रदेशाध्यक्ष होते विरोधी दलों के जाट समुदाय के विधायकों और नेताओं को भाजपा अपनी सी लगती है और गैर-जाट विपक्षी विधायक तथा नेता सी.एम. मनोहर लाल पर आंख मूंदकर भरोसा कर रहे हैं और यही भाजपा की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बना हुआ है।  कांग्रेस में इनैलो नेता सिर्फ इसलिए शामिल नहीं हो रहे क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ लड़ती नजर आने की बजाय इसके नेता आपस में ही लड़ते नजर आ रहे हैं। 

तंवर-किरण की जोड़ी नहीं कर पा रही मनोहर-बराला का मुकाबला 
कांग्रेस ने 2014 में सत्ता से बाहर होने के बाद प्रदेश में गैर-जाट समुदाय के अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष बनाए रखा तो विधानसभा में विधायक दल के नेता पद पर जाट समुदाय की किरण चौधरी को बैठाया। किरण चौधरी यूं तो पूर्व सी.एम.चौधरी बंसी लाल की पुत्रवधु हैं लेकिन वह उस तरह से जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं,जिस तरह कभी भूपेंद्र सिंंह हुड्डा करते थे। 
यही बात अशोक तंवर पर लागू होती है। वह भी प्रदेश में गैर-जाट समुदाय का उतना बड़ा चेहरा नहीं बन पाए,जितना बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल होते थे। तंवर और किरण की जाट व गैर-जाट की जोड़ी प्रदेश में सी.एम. मनोहर लाल एवं प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की जोड़ी का मुकाबला नहीं कर पा रही है। भाजपा की यह जोड़ी अशोक तंवर व किरण चौधरी को उनके घर में लोकसभा चुनाव में परास्त कर चुकी है। 

अब कुलदीप बिश्नोई-भूपेंद्र हुड्डा की जोड़ी से चमत्कार की उम्मीद 
मनोहर-बराला की जोड़ी से मुकाबला करने में नाकाम साबित हो चुकी तंवर-किरण की जोड़ी के बाद अब कांग्रेसियों को केवल पूर्व सी.एम.भूपेंद्र हुड्डा और आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्रोई की जोड़ी से ही विधानसभा चुनावों में किसी चमत्कार की उम्मीद है। भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश में जाट समुदाय का कांग्रेस में सबसे बड़ा चेहरा हैं। कांग्रेस में गैर-जाट चेहरों में भी अब केवल कुलदीप बिश्रोई ही ऐसा चेहरा हैं,जिनकी भूपेंद्र हुड्डा के साथ जोड़ी बनाकर कांग्रेस हरियाणा में अपने बेहद बुरे राजनीतिक दौर से उबरने की उम्मीद कर सकती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस को प्रदेश में अपनी हालत सुधारनी है तो अब हुड्डा-बिश्रोई की जोड़ी को मनोहर-बराला की जोड़ी के मुकाबले में उतारना होगा। 

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