मेंटिनेंस स्टाफ की रोडवेज में नहीं हुई कोई भर्ती, सरकारी खटारा गाडिय़ां ही बढ़ा रही हैं प्रदूषण

Edited By Isha, Updated: 02 Dec, 2019 11:22 AM

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साईबर सिटी से दस साल से अधिक पुराने ऑटो को बाहर करने की तैयारी शुरु हो गई है तो वहीं शहर की सड़कों पर सरकारी परिवहन को काला धूंआ फेंकने पर कोई रोक नहीं है। गुडग़ांव रोडवेज.........

गुडग़ांव (ब्यूरो) : साईबर सिटी से दस साल से अधिक पुराने ऑटो को बाहर करने की तैयारी शुरु हो गई है तो वहीं शहर की सड़कों पर सरकारी परिवहन को काला धूंआ फेंकने पर कोई रोक नहीं है। गुडग़ांव रोडवेज की ज्यादातर बसें उम्र से अधिक चलकर खटारा तो हो ही चुकी है बल्कि यहां के डीपो के हिस्सें में वॉल्वो सेवा की सभी बसें निर्धारित किलोमीटर से अधिक चल चुकी है।

गुडग़ांव में रोडवेज में करीब 200 बसें हैं जिनमें चालू हालत में करीब डेढ़ सौ बसें है तो वहीं यहां वॉल्वो सेवा में कुल 18 बसें हुआ करती थी जो अपने मानक किलोमीटर आठ लाख से अधिक तकरीबन साल भर पहले ही पूरा कर चुकी है। प्राईवेट बसों की हालत भी खस्ता है जिन्हें जुगाड़ से चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं, इन बसों पर क्षमता से अधिक सवारियों को भी मनमाने तरीके से ढोया जा रहा है। 

प्राईवेट बसें विभिन्न ट्रवेल्स के नाम पर चलाई जा रही है जो कि देखने में हरियाणा रोडवेज के ही रंगरोगन में दिखाई देती है और बिना रखरखाव और मानकों को पूरा किए काला धूंवा उगलती सड़कों पर दौड़ रही है। सरकारी बसों को सेवा मुक्त किए जाने की जगह अब भी प्रयोग किया जा रहा है जिसके कारण बे्रक डाउन से लेकर तरह-तरह की समस्याएं आ रही है। हांलाकि सरकार 20 साल से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों को चलन से बाहर करने जा रही है। 

यह वाहन प्राइवेट चालकों के हो अथवा कंपनियों के ट्राले सभी को कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन सरकारी खटारा वाहनों को लेकर संशय है कि इन्हें चलन से बाहर किया जाएगा या नहीं। सरकार के इस निर्णय से गुडग़ांव, मानेसर, बादशाहपुर सहित उद्योग विहार के तकरीबन एक लाख वाहनों में से 40 हजार वाहनों के कबाड़ हो जाने की संभावना बताई जा रही है।

इंटरनैशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटीव टेक्रालाजी नामक संस्था की ओर से किए गए सर्वे में पाया गया है कि एक एसयूवी डीजल कार उतना ही नाईट्रोजन के आक्साईड का उत्सर्जन करती है जितना कि 25 पेट्रोल चालित कारें करती हैं। हांलाकि गुडग़ांव की बात करें तो यहां पर तकरीबन 40,000 से 60,000 डीजल चालित ऑटो अब भी सड़कों पर भाग रहे हैं जो गुडग़ांव सहित पूरे एनसीआर के ही प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं। समय के साथ वाहनों की संख्या में जहां लगातार बढोत्तरी हुई है तो वहीं ट्रैफिक जाम, वाहनों से निकलने वाले धुंए ने साईबर सिटी का दम घोंट दिया है। 

नए वाहनों की खरीद पर मिलेगी छूट: सरकार अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए और नए वाहनों की खरीद हो प्रोत्साहित करने के लिए जीएसटी की दरों में छूट दे सकती है। हांलाकि बताया यह जाता है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से 15 साल पुराने वाहनों को चलन से बाहर करने की योजना थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 20 साल किया गया है। इस हिसाब से साल 2000 और उससे पहले जो भी व्यावसायिक वाहन लिए गए हैं उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। जो वाहन स्वामी नए वाहन लेना चाहेंगे वह पुराने वाहनों को कबाड़ की कीमत पर नए वाहनों से बदल सकेंगे जिस पर सरकार की ओर से जीएसटी पर छूट दी जाएगी। 
 

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