अम्बाला की आरक्षित सीट किसके लिए सुरक्षित, जीत-हार में वोटरों की बड़ी भूमिका

Edited By Shivam, Updated: 04 Apr, 2019 01:51 PM

main role of voters on ambala loksabha seat

1952 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक अम्बाला लोकसभा सीट आरक्षित चली आ रही है। 1957 में यहां लोकसभा की 2 सीटें थीं। एक अनुसूचित जाति के लिए व एक सामान्य जाति के लिए लेकिन बाद में फिर यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। हालांकि इस...

अम्बाला शहर (रीटा शर्मा/सुमन): 1952 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक अम्बाला लोकसभा सीट आरक्षित चली आ रही है। 1957 में यहां लोकसभा की 2 सीटें थीं। एक अनुसूचित जाति के लिए व एक सामान्य जाति के लिए लेकिन बाद में फिर यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। हालांकि इस संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा हैं लेकिन यहां ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी व राजपूत वोट बैंक भी इतना बड़ा है कि उम्मीदवार की जीत-हार के फैसले में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

अम्बाला लोकसभा क्षेत्र में पडऩे वाले 9 विधानसभा क्षेत्रों में मुलाना व साढौरा आरक्षित है जबकि अम्बाला शहर, अम्बाला छावनी, कालका, पंचकूला, जगाधरी, यमुनानगर व नारायणगढ़ सामान्य है। शहरी मतदाताओं की तादाद भी यहां काफी है। अम्बाला शहर, अम्बाला छावनी, कालका, पंचकूला, यमुनानगर व जगाधरी के साथ गांव भी जुड़े हुए हैं लेकिन मूलरूप से ये शहरी हलके हैं। 2014 से पहले भाजपा का ग्रामीण इलाकों में जनाधार ढीला-ढाला था लेकिन अब देहाती इलाकों में भी इसने अपनी पकड़ बनाई है। कांग्रेस का भी अपना वोट बैंक है लेकिन खेमों में बंटा है।

इनैलो का वोट बैंक कुछ खिसका है जबकि जे.जे.पी. को पहली बार इम्तिहान में बैठना है। अम्बाला शहर से 2 बार विधायक रहे विनोद शर्मा का भी अपना वोट बैंक हैं लेकिन अभी यह तय नहीं कि लोकसभा चुनाव में वह क्या फैसला लेते हैं। शुरू से ही इस सीट पर मुकाबला भाजपा (जनसंघ) व कांग्रेस के बीच रहा। 1952 से अब तक 9 बार कांग्रेस ने यह सीट जीती जबकि 6 बार भाजपा (जनसंघ) के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। एक बार यहां से बसपा ने इनैलो से गठबंधन करके अपनी जीत का परचम लहराया।

भाजपा अम्बाला को अपनी परंपरागत सीट मानती है और उसने जब हविपा, हजकां व इनैलो ने चुनावी गठबंधन किया तो अम्बाला की सीट हमेशा अपने पास रखी। कांग्रेस भी इसे अपनी सबसे मजबूत सीटों में शामिल करती है। माना जा रहा है कि इस बार अम्बाला लोकसभा सीट पर अकाली दल व बसपा, लोसुपा गठबंधन के प्रत्याशियों का चुनाव लडऩा तय होने से कुछ दलों के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लग सकती है। पिछले चुनावों में अम्बाला के सिख वोट का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के खाते में गया था लेकिन इस बार अकाली प्रत्याशी भाजपा के सिख वोट बैंक में सेंध लगाने का काम करेगा।

इसी तरह पिछड़ा वर्ग भी 2014 में भाजपा के साथ खड़ा हुआ था। इस बार राजकुमार सैनी इस वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। बसपा के गठबंधन से उसकी ताकत में इजाफा हुआ है। यह नया जातीय समीकरण भाजपा व कांग्रेस को कितना नुक्सान या फायदा पहुंचाएगा, यह कहना अभी मुश्किल है।

अम्बाला संसदीय सीट का जातिगत समीकरण
अनुसूचित जाति- 2.72 लाख, पिछड़ा जाति- 90,000 बाल्मीकि-99,000 अरोड़ा खत्री-1.72 लाख, ब्राह्मण-1.55 लाख, बनिया, महाजन 1.20 लाख, राजपूत-73,000 जाट, 1.15 लाख, गुज्जर-75,000  मुस्लिम-37,000, लबाना, 35,000, कम्बोज, 22,000, झीवर-56,000 व सिख (जाट सिख) 1.10 लाख।

डेरा सच्चा सौदा फैक्टर  
अम्बाला लोकसभा व विधानसभा चुनावों में डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालुओं की भी बड़ी भूमिका होती है। 2014 के विधानसभा चुनावों में डेरा के समर्थक एकजुट भाजपा के साथ थे जिसके चलते कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों को फायदा मिला। 2019 में डेरा समर्थकों का रुख साफ  नहीं है। अम्बाला लोकसभा क्षेत्र के हलके अम्बाला शहर, अम्बाला छावनी, मुलाना, नारायणगढ़, कालका व यमुनानगर में उनकी तादाद अच्छी खासी है। डेरा प्रमुख जेल में हैं अभी यह देखा जाना है कि राजनेता वोटों के लिए अब किसके आगे गुहार लगाते हैं और बाबा किस पर मेहरबान होते हैं। अम्बाला में निरंकारी अनुयाइयों की तादाद भी ठीक-ठाक है। कहा जाता है कि उनका रुख का भी अम्बाला के नतीजों पर असर पड़ता है।

अम्बाला से अभी तक बने सांसद
1952 टेक चंद (कांग्रेस), 1957 सुभद्रा जोशी व चुन्नी लाल (कांग्रेस), 1962 चुन्नी लाल (कांग्रेस),1967 सूरजभान(जनसंघ),1971 राम प्रकाश (कांग्रेस), 1977 सूरजभान (जनता पार्टी), 1980 सूरजभान (भाजपा), 1984 राम प्रकाश (कांग्रेस),1989 राम प्रकाश (कांग्रेस), 1991 राम प्रकाश (कांग्रेस), 1996 सूरजभान (भाजपा), 1998 अमन कुमार नागरा (बसपा), 1999 रत्न लाल कटारिया (भाजपा), 2004 कुमारी शैलजा (कांग्रेस), 2009 कुमारी शैलजा (कांग्रेस) व 2014 रत्न लाल कटारिया (भाजपा)।

मतदाताओं के नवीनतम आंकड़े
चुनाव विभाग के 31 जनवरी 2019 के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक इस बार अम्बाला संसदीय सीट पर 17,81,432 लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इनमें से पुरुष मतदाता 9,51,899 व महिला मतदाता 8,22,953 हैं। 18 से 35 साल के मतदाताओं की तादाद करीब 42 फीसदी है। अम्बाला शहर में 2,39,760, अम्बाला छावनी में 1,83,089 कालका में 1,63,700 पंचकूला में 1,93,104, नारायणगढ़ में 1,76,888, मुलाना 2,04,752 साढौरा में 2,04,654 जगाधरी में 2,05,149 व यमुनानगर में 2,10,336 वोटर हैं।  

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