स्वास्थ्य विभाग में हो रही अनदेखी, अल्ट्रासाउंड-एक्सरे मशीनों पर अस्पतालों में लटके ताले

Edited By kamal, Updated: 04 Apr, 2019 08:20 PM

locked locks in hospitals on ultrasound x ray machines being

नूंह में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले लोगों को डॉक्टरों के नहीं मिलने और दवाइयां...

नूंह मेवात (ऐके बघेल): नूंह में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले लोगों को डॉक्टरों के नहीं मिलने और दवाइयां पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को उठानी पड़ती है। अल्ट्रासाउंड की मशीन डॉक्टर का पद रिक्त होने की वजह से साल भर से धूल फांक रही है। गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड स्वास्थ्य विभाग अपने खर्चे पर निजी अस्पताल से करवाने को मजबूर है।

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कुछ लोग अज्ञानता-अनपढ़ता के चक्कर में निजी संस्थानों से अल्ट्रासाउंड -एक्सरे करा कर डॉक्टरों के पास चले जाते हैं। लड़ाई - झगड़े के केसों में बाहर से कराया गया अल्ट्रासाउंड-एक्सरे मान्य नहीं है। ऐसी सूरत में जेब भी ढीली करनी पड़ रही है और परेशानी भी झेलनी पड़ती है।  कई बार अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टर के लिए विज्ञापन भी निकाला गया, लेकिन अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई। दूसरा नूंह सीएचसी में एक्सरे करने वाले विशेषज्ञ भी कई महीनों से नहीं है। वहां पर भी ताला लटका हुआ है।

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वहीं लड़ाई-झगड़े या गोली लगने से होने वाली मौतों  में शव का एक्सरे कराने मांडीखेड़ा अस्पताल करीब 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जिले के सामान्य अस्पताल अल आफिया मांडीखेड़ा में भी अल्ट्रासाउंड मशीन डॉक्टर का पद रिक्त होने की वजह से जंग खा रही है। भाजपा सरकार बेटी बचाने-बेटी पढ़ाने की बात तो करती है, लेकिन हरियाणा के सबसे दबंग मंत्री अनिज विज का अपना स्वास्थ्य महकमा इसमें घोर लापरवाही बरत रहा है।

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बात अगर नल्हड मेडिकल कालेज की करें तो वहां भी अकसर एक्सरे मशीन खराब रहती है। लोगों को मजबूरन इधर से उधर भागना पड़ता है। एसएमओ डॉक्टर गोविंद शरण भी अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की कमी और एक्सरे चलाने वाले डॉक्टर कमी  की बात को स्वीकार कर रहे हैं ,लेकिन डॉक्टर और स्टाफ की अस्पताल में कोई कमी नहीं है। बिजली - पानी का भी पुख्ता प्रबंध है। कुल मिलाकर स्वास्थ्य विभाग नूंह जिले के लोगों के स्वास्थ्य पर पूरी तरह खरा नहीं उतर पा रहा है। महिला चिकित्सकों से लेकर स्टाफ नर्स का तो टोटा नहीं है, लेकिन अल्ट्रासाउंड और एक्सरे मशीन पर जड़े ताले ने सारी व्यवस्था का कचूमर निकाल रखा है। मरीजों की अगर बात करें तो मिल रही स्वास्थ्य सुविधाओं से वे पूरी तरह नाराज दिखाई दिए।

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सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड व्यवस्था नहीं होने की मार झेलनी पड़ रही है। मरीजों को नूंह से करीब 22 किलोमीटर दूर अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा ले जाया जाता है, तमाम पुलिस महकमे की भागदौड़ के बावजूद भी सिर्फ एक्सरे नहीं होने के कारण शव का पोस्टमार्टम कराने में कई घंटे का वक्त लग जाता है। सूबे के मंत्री अनिल विज को मेवात जिले की अस्पतालों की कायापलट पर भी ध्यान देने की जरुरत है। 

 

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