लॉकडाउन की मजबूरी: मकान मालिकों ने कर दिया बेसहारा, हर शहर से गांवों की ओर लौट रहे मजदूर

Edited By Shivam, Updated: 29 Mar, 2020 04:09 PM

जिन मजदूरों के बल पर उत्तर भारत का हर राज्य अपने वे सभी काम निकलवा लेता है, जिसमें सिर्फ एक मजदूर का ही हाथ काम आता है। चाहे व फसल कटाई का काम हो या फैक्ट्रियों में लोहा काटने का काम, घर बनाने का काम हो या घर बनाने के लिए ईंट पकाने व पाथने काम,...

डेस्क: जिन मजदूरों के बल पर उत्तर भारत का हर राज्य अपने वे सभी काम निकलवा लेता है, जिसमें सिर्फ एक मजदूर का ही हाथ काम आता है। चाहे व फसल कटाई का काम हो या फैक्ट्रियों में लोहा काटने का काम, घर बनाने का काम हो या घर बनाने के लिए ईंट पकाने व पाथने काम, इनमें वे मजदूर की काम आते हैं, जो दो वक्त की रोटी और चार पैसे कमाने के लिए ही दूसरे राज्यों में बसते हैं। लेकिन इन मजदूरों से अपना काम निकलवाने वाले ही इनके काम नहीं आ रहे। मजदूर जिनके घर में किराएदार बनकर रहते थे, उन्होंने कमरों से निकाल दिया है। जिनके यहां काम करते थे, उन्होंने काम से हटा दिया है। आईए नजर डालते हैं प्रदेश के विभिन्न शहर के हालातों पर-

फसल कटाई के लिए आए मजदूर वापस लौट रहे
चरखी दादरी में आए प्रवासी मजदूर वापस अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। सफर बहुत लंबा है न खाने की व्यवस्था है न रहने की व्यवस्था है। हरियाणा में इस समय फसल कटाई का समय चल रहा है। इस दौरान हर गांव में लगभग 100 से डेढ़ सौ मजदूर फसल कटाई के लिए गांव गांव पहुंचे हैं। इन मजदूरों में मुख्यत: उत्तर प्रदेश, बिहार मध्य प्रदेश के लोग हरियाणा में फसल कटाई के दौरान मजदूरी के लिए आते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है।

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मजदूरों ने बताया कि वे फसल कटाई व अन्य मजदूरी के लिए आए थे, लेकिन मजदूरी न मिलने के कारण हम वापस अपने गांव जा रहे हैं। जिनके पास यह काम करने के लिए आए थे, उन्होंने भी इनका साथ नहीं दिया। अब ये लगभग 600 से 700 किलोमीटर तक की दूरी पैदल तय कर अपने घर पहुंचेगे।

ठेकेदार ने नहीं दिए पैसे, भूखे मरने को मजबूर हुए
सोनीपत के गोहाना से भी काफी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन की वजह से काम बंद हो गया और ठेकेदार भी उन्हें पैसे नहीं दे रहा। जहां पर रहते थे, उन्होंने भी वहां से जाने के लिए बोल दिया। भूखे मरने को मजबूर हुए तो वे अपने घरों के लिए पैदल निकले हैं।

सीएम सिटी में दुकान मालिक ने निकाला
सीएम सिटी करनाल में एक हलवाई की दुकान पर काम करने वाले मजदूरों को उनके मालिक ने निकाल दिया। इन मजदूरों ने बताया कि ना खाने को कुछ मिल रहा है और ना ही कोई साधन जिससे वे अपने घर पहुंच जाएं। हलवाई की दुकान पर करनाल में काम करते थे, लॉक डाउन में दुकानें बंद हो गई और मालिक ने इन्हें काम से निकाल दिया। जिसके बाद ये करनाल से पैदल ही चल दिए। ये मजदूर 350 किलोमीटर पैदल चलकर आगरा जाएंगे।

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'सरकार ने इनकी न कभी सुनी थी और न सुनेगी'
अंबाला में अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाइवे पर लॉक डाउन के चलते सन्नाटा पसरा है, लेकिन पैदल चलते लोगों का झुण्ड नजर आता है। इनका कहना है कि ये जहां ये रहते थे, वहां इनका राशन और खाने का सामान खत्म हो चुका है। सामान लेने बाहर जाते हैं तो दुकानदारों ने दाम इतने बढ़ा दिए हैं कि आटा भी खरीदना मुश्किल हो गया है। मजदूरों ने कहा कि ये सरकार से भी कोई अपील नहीं करना चाहते क्योंकि सरकार ने इनकी न कभी सुनी थी और न सुनेगी।

'घर भिजवा दो हम भूखे मर रहे हैं'
करनाल के ही इंद्री में पंजाब, उत्तर प्रदेश व राजस्थान से आए मजदूर तहसील के पास झुग्गी में रह रहे हैं। पंजाब केसरी के प्रतिनिधि ने इनसे बातचीत की तो मजदूरों ने बताया कि उन्हें कई दिनों से खाना नहीं मिला, वे अपने घर जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''प्रशासन की तरफ से कोई भी अधिकारी मजदूरों के पास नहीं पहुंचे, हमें हमारे घर भिजवा दो हम भूखे मर मर रहे हैं।''

पलवल के होडल में कुछ मजदूर अपनी जान को जोखिम में डालकर रेलवे लाइनों से गुजर रहे हैं। क्योंकि लॉकडाउन के कारण हरियाणा-यूपी बॉर्डर को सीज किया गया है। इस कारण सड़क के रास्ते वे जा भी सकते, इसलिए यह जोखिम ले रहे हैं, जो हादसे का शिकार भी हो सकते हैं।

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भिवानी में यूपी से लौटे मजदूर मिले
भिवानी में पैदल यात्रा कर रहे मजदूरों ने बताया कि वे इलाहाबाद में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन के दौरान उनका ठेकेदार भाग गया तो मकान मालिकों ने भी घर से निकाल दिया। इसलिए वे भिवानी होते हुए पंजाब की ओर अपने गांव की ओर निकल पड़े हैं। 

फैक्ट्री मालिकों ने कर दी छुट्टी, घर जाने को कहा
यमुनानगर पहुंचे मजदूरों ने बताया कि वे चंडीगढ़ से आ रहे हैं। चंडीगढ़ में कफ्र्यू लगा हुआ है जिसके चलते फैक्ट्रियों में ताला लग चुका है। मालिक ने जवाब दे दिया है कि आप अपने अपने घरों में लौट जाए या फिर अपने घर पर ही रहें। दूसरी ओर जहां वह लोग किराए पर रहते थे उन्होंने कमरा खाली करवा दिया। मजदूरों ने कहा सड़कों पर रहने व भूखों मरने से तो बेहतर है कि किसी भी तरीके से अपने घर को लौट जाएं। दूसरी ओर कुछ लोग अपनी साइकिल पर ही अपने घरों की ओर निकल पड़े है। 

पंचकूला से भी किया पलायन 
प्रवासी नागरिकों ने पंचकूला से पलायन शुरू कर दिया है। भूख से परेशान लोग अपने घरों को यूपी-बिहार पैदल ही चल पड़े। पिंजौर-कालका में पत्थर तोडऩे का काम करने वाले मजूदर भूख से परेशान होकर यूपी और बिहार की ओर पैदल चल पड़े हैं। इनका कहना है कि इनके पास जो थोड़ा बहुत राशन था वह भी अब खत्म हो चला है। अब ना ही इनके पास खाना बनाने के लिए राशन है और ना ही उनके पास और राशन खरीदने के लिए पैसे बचे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली बॉर्डर पर इन्हें बस जरूर मिल जाएगी तब तक यूं ही पैदल चलते रहेंगे।

इन मजदूरों को खाने के लाले पड़ गए हैं और इन्हें सिर्फ अपना गांव याद आ रहा है और इसी विचार से वे अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। इन्हें लॉकडाउन की चिंता नहीं है, बल्कि लॉकडाउन ने इन्हें मजदूर से मजबूर कर दिया है। हालांकि यह काबिलेजिक्र है इस मुसीबत की घड़ी में कुछ सामाजिक संस्थाएं व प्रशासन मिलकर इनकी मदद कर रहा है, लेकिन यह मदद कितने दिनों तक रहेगी, इसके पुख्ता होने की खबर इन मजदूरों को नहीं है। इसलिए आज हर शहर की मुख्य सड़कों पर पैदल चल रहे ये लोग नजर आने लगे हैं, अपनी सुरक्षा भी इन्होंने भगवान भरोसे ही रख दी है।

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