हरियाणा चुनाव: भाजपा ने जहां टिकट काटे वहां काफी गिरा मतदान ग्राफ

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Oct, 2019 01:34 PM

where the bjp cut the ticket there was a significant in voting

हरियाणा विधानसभा चुनाव में 19 साल बाद हुए सबसे कम मतदान ने सभी को चौंकाया है। वर्ष 2000 के बाद 2019 के चुनाव में सबसे कम मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे। राजनीतिक दल भी हैरान हैं कि आखिरी 2014 के चुनाव की तुलना मतदाताओं ने इतना कम उत्साह क्यों...

डेस्क: हरियाणा विधानसभा चुनाव में 19 साल बाद हुए सबसे कम मतदान ने सभी को चौंकाया है। वर्ष 2000 के बाद 2019 के चुनाव में सबसे कम मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे। राजनीतिक दल भी हैरान हैं कि आखिरी 2014 के चुनाव की तुलना मतदाताओं ने इतना कम उत्साह क्यों दिखाया। 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने हैं, उससे पहले सभी उम्मीदवार जीत-हार का हिसाब लगा रहे हैं। मतदान प्रतिशत का आंकलन बताता है कि जहां भाजपा ने अपने विधायकों व मंत्रियों के टिकट काटे थे, वहां पर मतदान में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

जहां कांग्रेस ने भी नए चेहरे उतारे वहां भी मतदान का पुराना आंकड़ा पार करना तो दूर पांच से नौ फीसदी कम वोटिंग हुई। इसके पीछे टिकट कटने वाले नेताओं की नाराजगी और दिग्गजों के प्रति मतदाताओं की चाह कम होना भी माना जा रहा है। सबसे बड़ी गिरावट मतदान में सीएम मनोहर लाल के हलके करनाल में 15 प्रतिशत की दर्ज की गई है। बीते चुनाव में करनाल में 67.84 प्रतिशत वोट पड़े थे, जबकि इस बार 52.29 फीसदी ही मतदान हुआ है। उसके बाद पानीपत शहरी सीट पर 13 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। यहां भाजपा ने मौजूदा विधायक रोहिता रेवड़ी का टिकट काटा था।

उनकी जगह प्रमोद विज को टिकट दिया गया। सूत्र बताते हैं कि रेवड़ी का टिकट कटने पर उनके समर्थक खासा नाराज थे। शहरी मतदाता विधायक की टिकट कटने के बाद वोट डालने निकला ही नहीं। यही गुरुग्राम में हुआ यहां भाजपा ने मौजूद विधायक उमेश अग्रवाल का टिकट काटा था। उनकी जगह सुधीर सिंगला को टिकट दिया गया। गुरुग्राम में अग्रवाल के समर्थक वोटर मतदान केंद्रों तक पहुंचे ही नहीं। जिससे मतदान में 12 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई। भाजपा ने अपने दो मंत्रियों राव नरबीर और विपुल गोयल का भी टिकट काटा था।

दोनों की ही सीटों पर 11-11 फीसदी की गिरावट मतदान में आई है। फरीदाबाद सीट पर विपुल की जगह नरेंद्र गुप्ता व बादशाहपुर में राव नरबीर की जगह मनीष यादव को टिकट दी गई थी। दोनों ही जगह मंत्रियों ने भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया, लेकिन दोनों से जुड़े मतदाता की नाराजगी अंतिम समय तक दूर नहीं हो पाई। बाकी जिन विधायकों के टिकट काटे गए थे, उनकी सीटों पर भी पांच से दस फीसदी मतदान कम हुआ है।

स्टार चेहरे भी नहीं बढ़ा पाए मतदान
पिहोवा में भाजपा ने हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह को उतारा था। उनकी काफी फैन फालोअिंग हैं, लेकिन वह क्षेत्र की जनता को बीते चुनाव की तुलना ज्यादा संख्या में मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचा पाए। पिहोवा में बीते चुनाव की तुलना दस प्रतिशत कम वोट हैं। बड़ौदा सीट पर पहलवान योगश्वर दत्त मैदान में हैं, यहां भी बीते चुनाव के मुकाबले पांच प्रतिशत कम वोट पड़े हैं। योगेश्वर भी मतदाताओं में जोश नहीं भर पाए। दादरी में जानी-मानी पहलवान बबीता फौगाट को भाजपा ने चुनाव लड़वाया।

बबीता कुश्ती के लिए तो विश्व प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनके हलके में भी मतदाताओं में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा। दादरी में 2014 की तुलना दस प्रशित कम मतदान हुआ है। आदमपुर में टिकटॉक गर्ल सोनाली फौगाट मैदान में थी, मतदान प्रतिशत बीते चुनाव की तुलना यहां दो फीसदी ही कम रहा है। यानि कांग्रेस दिग्गज कुलदीप बिश्नोई व सोनाली की जंग में मतदाताओं ने अच्छा खासा वोट किया है। 2014 में 78.28 फीसदी मतदान हुआ था। 2019 में 75.70 प्रतिशत वोट पड़े हैं।

हरियाणा में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार में जुटे रहे। दलों के नेता मतदाताओं का मूड भांपने में पूरी तरह चूक गए। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं हुआ कि मतदाताओं में मतदान को लेकर उत्साह कम है। शहरी क्षेत्र में कम मतदान होना भी भाजपा के लिए चिंता का विषय है, चूंकि शहरी मतदाताओं को भाजपा से जोड़कर देखा जाता है। भाजपा भी यह अहसास नहीं कर पाई कि शहरों में इस बार रुख लोकसभा चुनाव की तुलना जुदा है।

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