Edited By Shivam, Updated: 25 Sep, 2019 02:39 PM
हरियाणा में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। लखनऊ के वाजिद अली शाह चिडिय़ाघर से आज दो तेंदुए वर्षा और पवन हरियाणा पहुंच गए हैं। तेंदुए के इस जोड़े को रोहतक के चिडिय़ाघर में रख दिया गया है। वर्षा की उम्र चार साल है, जबकि पवन साढ़े तीन साल का है। लखनऊ के...
चंडीगढ़ (अर्चना): हरियाणा में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। लखनऊ के वाजिद अली शाह चिडिय़ाघर से आज दो तेंदुए वर्षा और पवन हरियाणा पहुंच गए हैं। तेंदुए के इस जोड़े को रोहतक के चिडिय़ाघर में रख दिया गया है। वर्षा की उम्र चार साल है, जबकि पवन साढ़े तीन साल का है। लखनऊ के चिडिय़ाघर में भी दोनों को एक साथ एक ही बाड़े में रखा गया था। वर्षा और पवन के हरियाणा आने के बाद यहां के चिडिय़ाघरों में तेंदुओं की संख्या पांच हो गई है। इनसे पहले हरियाणा में तीन साल की दुर्गा, 12 साल का सन्नी और भिवानी चिडिय़ाघर में भी एक तेंदुआ रखा गया है।
वन्य जीव अधिकारियों की मानें तो वर्षा और पवन की तरह जल्द ही दुर्गा को भी सन्नी के साथ एक ही बाड़े में रखा जाएगा, ताकि हरियाणा में तेंदुओं का परिवार फलफूल सके। हालांकि दुर्गा को बाड़े में रखने से पहले देखा जाएगा कि सन्नी और दुर्गा के बीच दोस्ती होती है या वह एक-दूसरे को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। दोनों की कैमिस्ट्री जानने के बाद ही दोनों को एक साथ रखा जाएगा। दुर्गा की उम्र तीन साल से अधिक हो गई है। इसे हरियाणा वन्य जीव विभाग ने पंचकूला से 14 किलोमीटर दूर एक किसान के खेत से पकड़ा था। दुर्गा चोटिल थी और उसका इलाज भी विभाग की टीम ने किया। दुर्गा को उपचार के बाद रोहतक के चिडिय़ाघर में ही पनाह दे दी गई थी। दुर्गा शुरू से ही रोहतक चिडिय़ाघर के आकर्षण का केंद्र थी।
रोहतक चिडिय़ाघर के डिवीजन वाइल्ड लाइफ ऑफिसर दीपक अलवाधी का कहना है कि अगर वर्षा और पवन में से एक हरियाणा आता तो उसको रोहतक के चिडिय़ाघर में एडजस्ट करने में कुछ दिनों का समय लगता परंतु चूंकि दोनों लखनऊ में भी साथ थे और यहां भी एक साथ ही रखे गए हैं, इसलिए दोनों को चिडिय़ाघर बदलने का अहसास तक नहीं हुआ और दोनों खुश हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा और पवन को एक-दो दिन में आम लोगों के लिए ओपन कर दिया जाएगा। वर्षा और पवन की तरह दुर्गा और सन्नी को भी एक साथ रखने के लिए कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।
हरियाणा के पिं्रसिपल चीफ कंजर्वेटर फॉरैस्ट (वाइल्ड लाइफ) वी.एस. तंवर का कहना है कि तेंदुओं का परिवार बढऩा राज्य के लिए शान की बात है, क्योंकि शेर, तेंदुओं की वजह से ही चिडिय़ाघरों में जान आती है। छोटे बच्चे स्कूली किताबों में जीन वन्य जीवों की तस्वीरें देखते हैं। उनको चिडिय़ाघर में देखकर उन्हें न सिर्फ खुशी होती है, बल्कि बड़े भी वन्य जीवों के साथ जुड़ते हैं।