Google पर देखकर सीखी काले गेहूं पैदा करने की कला, शरीर के लिए भी अधिक फायदेमंद

Edited By vinod kumar, Updated: 18 Apr, 2021 09:34 PM

learned the art of producing black wheat by looking on google

आधुनिक तरीके से खेती करने की दिशा में प्रदेश ही नहीं कनीना के किसान भी सतत प्रयासरत हैं। यही कारण हैं कि कई किसान गूगल पर आधुनिक खेती एवं नई फसलें और उनके पैदावर के तरीके सर्च कर रहे हैं। इसी के चलते क्षेत्र में इस समय काले गेहूं की खेती करने के लिए...

कनीना (योगेंद्र सिंह): आधुनिक तरीके से खेती करने की दिशा में प्रदेश ही नहीं कनीना के किसान भी सतत प्रयासरत हैं। यही कारण हैं कि कई किसान गूगल पर आधुनिक खेती एवं नई फसलें और उनके पैदावर के तरीके सर्च कर रहे हैं। इसी के चलते क्षेत्र में इस समय काले गेहूं की खेती करने के लिए लगातार किसान आगे आ रहे हैं। यहां के किसान आम गेहूं से दोगुनी कीमत पर बिकने वाले काले गेहूं का उत्पादन करने में लगे हैं। किसानों के अनुसार यह काला गेहूं स्वास्थ्य के लिए जहां अधिक फायदेमंद हैं वहीं किसानों की आमदनी भी इससे अधिक होती है। इसकी डिमांड बढऩे से अब दूसरे किसान भी अगली बार काला गेहूं बोने की सोच रहे हैं।

कनीना से सटे भड़फ गांव के किसान इस समय काले गेहूं के उत्पादन पर अधिक जोर दे रहे हैं। किसानों ने पहले एक-एक एकड़ में काले गेहूं की फसल बोई और उसे अपने भोजन में शामिल किया। साथ ही दूसरे किसान एवं अपने रिश्तेदारों को भी इसी बारे में बताया। सभी जगह से सकारात्मक जवाब मिलने के बाद किसान अब काले गेहूं की ही फसल कर रहे हैं। इसराणा के किसान अजय, हरीश व रवि प्रकाश का कहना है कि उन्होंने गूगल पर इसकी जानकारी ली और वहीं से इसकी तकनीकी एवं तरीका सीखकर इसकी खेती की। अब दूसरे किसान भी काला गेहूं की फसल करने के लिए उनसे गुर सिखने आते हैं।

सात हजार रुपए क्विटंल रूपए बिक रहा काला गेहूं
किसान हरीश ने बताया कि काले गेहूं की फसल इजराइल में होती है। उन्होंने इसे गूगल पर सर्च किया और जानकारी हासिल की। इसके बाद हरीश नामक किसान जो कि एफपीओ में कार्यरत है से चर्चा की। इसके बाद गुरुग्राम से 80 किलो काले गेहूं लाए और एक एकड़ में उसे बोया। इसमें से उन्हें 45 मण पैदावार हुई। यह मार्केट में सात हजार रुपए प्रति क्विटंल के रेट से बिकती है।

काले गेहूं ने दिलाया सम्मान
किसान हरीश कुमार ने बताया कि उन्होंने बीए कर रखी है और खेती को आधुनिक तरीके से करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। कृषि मेले का आयोजन हिसार में हुआ तो उन्हें वहां दो बार काले गेहूं के कारण सम्मानित किया गया।  इसके बाद उनके पास दूर-दूर से किसान काले गेहूं की जानकारी लेने के आने लगे। उन्होंने कहा कि काले गेहूं के साथ ही आर्गेनिक सब्जियों के कारण भी उन्हें पुरस्कार मिल चुके हैं।

कई खूबियों से भरा है काला गेहूं
जानकार बताते हैं कि काले गेहूं का रंग एंथोसाइएनिननामक एंटीआक्सीडेंट के कारण होता है। काले गेहूं में जिंक और लोहे की मात्रा सामान्य गेहूं से अधिक होती है, जो मधुमेह एवं हृदय रोगियों के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है। यह शरीर में कोलेस्ट्राल और मोटापे को कम करता है। काला गेहूं खाने में वजन भी कम करता है। बुवाई के समय बालियां आने तक सामान्य गेहूं जैसा ही होता है परंतु बालिया पकने पर दाने का रंग काला पड़ जाता है।

खूबियां बहुत लेकिन पैदावर कम होती है
कृषि विस्तार अधिकारी डॉ देवराज का कहना है कि काला गेहूं सामान्य गेहूं की भांति है किंतु पैदावार कुछ कम होती है। यह काले, नीले, और बैंगनी रंग के मिलते हैं। अब तक शोध के आधार पर इनमें शुगर की मात्रा कम, एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण शरीर से फ्री रेडिकल हटाता है। मोटापा, जलन, कैंसर, हृदय  रोगों से बचाने में सहायक है। यह तनाव भी कम करता है।

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