लड़कियों के लिए मुद्दों के समाधान का प्लेटफार्म बन रही लाडो पंचायत

Edited By vinod kumar, Updated: 20 Oct, 2021 08:09 PM

lado panchayat is becoming a platform to solve issues for girls

हरियाणा में लाडो पंचायत की परिकल्पना न केवल महिलाओं व लड़कियों के हितों से जुड़े मुद्दों का समाधान कराने में कारगर साबित हो रही हैं, बल्कि लड़कियों को अपनी बात कहने का बड़ा मंच प्रदान कर रही हैं। जिस हरियाणा में महिलाओं को बिना घूंघट घर की दहलीज...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा में लाडो पंचायत की परिकल्पना न केवल महिलाओं व लड़कियों के हितों से जुड़े मुद्दों का समाधान कराने में कारगर साबित हो रही हैं, बल्कि लड़कियों को अपनी बात कहने का बड़ा मंच प्रदान कर रही हैं। जिस हरियाणा में महिलाओं को बिना घूंघट घर की दहलीज लांघने की इजाजत नहीं हुआ करती थी, उस हरियाणा में लाडो पंचायत महिला सशक्तीकरण की अहम मिसाल पेश कर रही हैं। इन लाडो पंचायत में बाकायदा लड़कियां और महिलाएं अपने अधिकारों की बात करती हैं और स्कूल, कालेज व अस्पताल समेत अन्य जरूरत की सुविधाओं के लिए सरकार तथा प्रशासन पर दबाव बनाती हैं। 

खाप पंचायत जिन पर सिर्फ पुरूषों की सत्ता होती थी, लेकिन अब उसके समानांतर महिलाओं के हकों की आवाज बुलंद करने के लिए लाडो पंचायत पूरी प्रदेश ही नहीं देश भर में पंसद की जा रही है। लाडो पंचायत का गठन मूल रूप से लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करवाने, जिन क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल या कॉलेज नहीं है, वहां पर उनकी आवाज़ बुलंद कर कॉलेज खुलवाने, दहेज प्रथा खत्म करने, लड़कियों के बाल विवाह खत्म करवाने जैसे जरूरी मुद्दों को लेकर की जाती है।

वर्ष 2012 में खाप पंचायत में पहली बार अपनी जिद व तरकीब से महिलाओं को शामिल करवाने वाले एवं अंतरराष्ट्रीय अभियान सेल्फ़ी विद डॉटर के जनक बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने लाडो पंचायत का गठन कर इस देश भर से लडकियों को जोड़ा है। लाडो पंचायत अभी तक पांच बार आनलाइन तरीके से हो चुकी है, जबकि दो पंचायत प्रैक्टीकल तरीके से हुई है। एक पंचायत हिसार ज़िले में लडकियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करवाने के लिए करवाई जा चुकी है, जिसका असर अब हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। 

इसके अलावा बाल विवाह की अधिवकता वाली बेल्ट गुरुग्राम के सोहना में 21 अक्टूबर को लाडो पंचायत करवाई जा रही है, जिसका मकसद लड़कियों की शादी की उम्र 22 वर्ष कराने एवं क्षेत्र में लड़कियों का कॉलेज खुलवाने के लिए की जा रही है। सुनील जागलान ने लाडो पंचायत की संरचना के बारे में बताया कि कोई भी लड़की इस पंचायत की प्रधान बन सकती है। इसके लिए प्रधान बनने की इच्छा रखने वाली लड़की की अध्यक्षता में फिर पूरी पंचायत की जाती है और अंत में एक कमेटी बनाकर सामूहिक एवं सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाता है। इस निर्णय की जानकारी जिला प्रशासन और सरकार को दी जाती है। फिर पंचायत में उठने वाली मांग पूरी कराने के लिए सामूहिक प्रयास होते हैं।

गौरतलब है कि लाडो पंचायत के संयोजक पिछले 1 साल से यहां लड़कियों का कॉलेज बनाने की मांग को लेकर लड़कियों को एकजुट करने के लिए लगे हुए हैं। इसके लिए सोहना की सभी पंचायतों ने उनको समर्थन पत्र भी दिया है। सुनील जागलान ने कहा कि सोहना में लड़कियों का कॉलेज ना होने कि वजह से 17-18 की उम्र में 90 फीसदी लड़कियों की शादी कर दी जाती है। मुझे खुशी है कि लड़कियों ने ही अपने इस दर्द को साझा करके बताया और अब लड़ाई लाडो पंचायत के रूप में लड़कियों की लीडरशीप में लड़ रहे हैं। 

 

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