कुलदीप के इस्तीफे से फिर गर्माई राजनीति

Edited By Naveen Dalal, Updated: 05 Jul, 2019 09:24 AM

kuldeep s resignation then again heated politics

प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति से कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्रोई के इस्तीफे के मामले में प्रदेश की राजनीतिक एक बार फिर से गर्माने लगी है। हालांकि कुलदीप बिश्रोई ने इस इस्तीफे को पुराना प्रकरण बताया है लेकिन इसके बावजूद उनके इस्तीफे से राजनीति में नई हलचल...

फरीदाबाद (महावीर): प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति से कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्रोई के इस्तीफे के मामले में प्रदेश की राजनीतिक एक बार फिर से गर्माने लगी है। हालांकि कुलदीप बिश्रोई ने इस इस्तीफे को पुराना प्रकरण बताया है लेकिन इसके बावजूद उनके इस्तीफे से राजनीति में नई हलचल पैदा हो गई है। संशय इस बात को लेकर भी बना है कि यदि कुलदीप बिश्रोई ने इस्तीफा देने का मन भव्य बिश्रोई की हार के बाद बना लिया था तो फिर इसका खुलासा इतनी देरी से क्यों हुआ और उन्होंने निर्णय लेने में इतनी देरी क्यों लगाई, ये सब सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। माना जा रहा है कि बिश्रोई का इस्तीफा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर पर इस्तीफा देने के लिए दबाव का कार्य करेगा।  

प्रदेश में कांग्रेस पार्टी बड़े नाजुक दौर से गुजर रही है। एक तरफ जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थक विधायकों के साथ अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर अपनी चाल चल रहे हैं। उधर,कुलदीप बिश्रोई,किरण चौधरी सहित अन्य बड़े नेता अपने-अपने हिसाब से प्रदेश में पार्टी का गुणा-भाग कांग्रेस आलाकमान को समझा रहे हैं। विधानसभा चुनाव अत्याधिक नजदीक है। इसके बावजूद कांग्रेस विधानसभा चुनावों की ओर कदम बढ़ाने के लिए नए-नए खुलासे कर रही है। कुलदीप बिश्रोई के इस्तीफे का खुलासा भी इन्हीं में से एक है।

बेशक, कुलदीप बिश्रोई इस इस्तीफे को भव्य बिश्रोई की हार से जोड़कर बता रहे हैं परंतु वास्तविकता यह नजर नहीं आ रही है। सूत्रों की मानें तो यह भी स्पष्ट है कि भाजपा के दरवाजे भी कुलदीप बिश्रोई के लिए लगभग बंद हो चुके हैं। ऐसे में वे पार्टी छोड़ देंगे,इसकी संभावनाएं भी काफी कम नजर आ रही हैं। कुलदीप बिश्रोई वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव हजकां-भाजपा के हिसार से संयुक्त उम्मीदवार रहे थे और उस वक्त  दुष्यंत चौटाला ने उन्हें शिकस्त दी थी। इसके बाद उन्होंने 19 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी हजकां का कांग्रेस में विलय कर लिया था। तब से वह कांग्रेस में हैं।
 

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