यहां जानिए! क्या था महम कांड? जिसकी आंच चौटाला परिवार को जला रही है

Edited By Shivam, Updated: 13 Jul, 2018 11:01 PM

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महम कांड की यादें एक फिर से जिन्दा हो गई हैं, इस कांड को हरियाणा प्रदेश पर एक बदनुमा दाग की तरह से भी देखा जाता रहा है। इस कांड की आंच....

चंडीगढ़(धरणी): महम कांड की यादें एक बार फिर से जिन्दा हो गई हैं, इस कांड को हरियाणा प्रदेश पर एक बदनुमा दाग की तरह से भी देखा जाता रहा है। इस कांड की आंच राजनीतिक पार्टी इनेलो के नेताओं को खासकर अभय चौटाला को जला रही है। बता दें कि 1990 में रोहतक के महम विधान सभा क्षेत्र में एक खूनी चुनाव में 10 व्यक्तियों की मौत व आधे दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, जिसका नाम महम कांड दिया गया था।

रोहतक की अदालत की ओर से इनेलो पार्टी के नेताओं को जारी नोटिस के बाद से इस मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। जहां इनेलो ने इस मामले में सीधे-सीधे भाजपा सरकार को शामिल माना है, वहीं भाजपा का कहना है कि अपराध कभी छुपता नहीं, वह कभी ना कभी सामने आ ही जाते हैं।

आखिर महम कांड में इनेलो पार्टी का क्या रोल था?
फरवरी 1990 में जब महम कांड हुआ था, तब अभय सिंह चौटाला के पिता चौधरी ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। और उनके दादा चौधरी देवीलाल केंंद्र की वीपी सिंह सरकार में उप प्रधानमंत्री थे। वर्ष 1989 में केंद्र में जनता दल की सरकार बनने के बाद चौधरी देवीलाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा की बागडौर सौंप कर केंद्र में उप प्रधानमंत्री पद संभाल लिया था। उस समय चौधरी ओमप्रकाश चौटाला राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे और मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नियमानुसार छह माह के भीतर उनका विधान सभा का चुनाव जीतना अनिवार्य था। चौधरी देवीलाल ने लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद महम की अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और यह सीट तब रिक्त पड़ी थी।

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ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ आनद सिंह दांगी ने भरा नामंकन
चुनाव आयोग ने महम विधान सभा का उपचुनाव कराने के लिए 27 फरवरी 1990 का दिन तय कर दिया और चुनावी प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर दी। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने चुनाव लडऩे के लिए महम से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया, लेकिन चौधरी देवीलाल के एक सिपहसालार आनंद सिंह दांगी ने, जो उस समय हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन थे, चेयरमैनी से इस्तीफा देकर महम से पंचायती उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया। इससे पूरे इलाके में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया। जब मतदान हुआ तो सभी पक्षों ने चुनाव में एक दूसरे पर धांधली करने के आरोप लगाये और राष्ट्रीय प्रैस ने इस धांधली को मुख्य मुद्दा बना दिया। 

आठ मतदान केंद्रों के किए चुनाव रद्द 
फलस्वरूप चुनाव आयोग ने धांधली की शिकायतों के मद्देनजर आठ मतदान केंद्रों (बूथों) का चुनाव रद्द कर नए सिरे से 28 फरवरी 1990 को पुनर्मतदान कराने का एलान कर दिया। जिन बूथों पर फिर से मतदान कराने का फैसला किया था, वे बूथ गांव बैंसी, चांदी, महम, भैणी महाराजपुर और खरैंटी थे। इस मामले में पुलिस ने दिनांक 01/03/90 को एक एफआईआर नं. 76/90 दर्ज की थी।   

ओमप्रकाश चौटाला की थी जिद महम सीट
लगातार तीन बार देवीलाल के जीतने से यह सीट लोक दल का गढ़ बन गई थी तो चौटाला के लिए यह एक सेफ सीट समझी गई थी। देवीलाल के चलते में महम से कांग्रेस का सफाया हो गया था। 1966 में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से कांग्रेस यहा दो बार जीत पाई थी। यहां के हालात नहीं सुधरे तो चौटाला के लिए एक दूसरी सीट दरबान कला खाली कराई गई, लेकिन चौटाला  महम से लडऩे पर पड़े हुए थे फिर लोकदल से बागी होकर अमीर सिंह ने यहां से निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर पर्चा भर दिया यह भी कहा गया कि अमीर सिंह को चौटाला ने नहीं खड़ा किया था। 

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कांग्रेस ने आनंद सिंह दांगी को अपना कैंडिडेट बनाकर उपचुनाव में उतारा। उपचुनाव के दौरान हुए खूनी खेल में लोकदल की छवि को काफी नुकसान हुआ था। नतीजतन डांगी जीत गए इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि यहां से लोकदल का कैंडिडेट नहीं जीता था, चौटाला फिर कभी हम यहां से नहीं लड़े।

एक पुलिसकर्मी को भी चुकानी पड़ी थी कीमत
पुलिस को भी इस खूनी चुनाव में कीमत चुकानी पड़ी थी। गांव बेंसी में जब डांगी समर्थनों ने अभय चौटाला को निशाना बनाना चाहा तो वे भीड़ से बच के पुलिस मुलाजिमों के साथ एक प्राईमरी स्कूल में छिप गए थे।  यहां एक पुलिस मुलाजिम हरबंस सिंह को अभय चौटाला के कपड़े पहनने के लिए दबाव दिया गया, जिस को बाद में अभय समझ कर भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया था।

भाजपा ने कहा अतीत आया सामने
इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश महासचिव व नेता प्रतिपक्ष अजय चौटाला व अन्य को महम कांड के सन्दर्भ में कोर्ट द्वारा किए गए नोटिस में भाजपा सरकार का हाथ होने के लग रहे आरोपों का मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने खंडन करते हुए कहा कि प्रदेश  सरकार का इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है और इनके ऊपर अगर कोई कार्रवाई करनी होती तो सरकार बनते ही कर दी जाती।

राजीव जैन ने कहा कि जब इंडियन नेशनल लोकदल की सरकार थी तो लोगों पर केस बना कर उन्हें किस तरह से प्रताडि़त किया जाता था। उन्होंने कहा कि अतीत कभी पीछा नहीं छोड़ता और अपराध कभी भी नहीं छुपता है, वह कभी ना कभी सामने आ ही जाता है। जैन ने कहा कि राजनीतिक व्यक्ति के साथ अतीत हमेशा उसके साथ चिपका रहता है, उन्होंने आगे कहा कि महम कांड के बाद मीडिया ने इनकी सरकार कि किस तरह से छिछालेदर की थी वो याद होना चाहिए और आज वही दिन फिर दोबारा से बाहर निकला है। 

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