‘अपनों’ को फिट करने के लिए खट्टर करेंगे बेगानों को ‘हिट’

Edited By Deepak Paul, Updated: 31 May, 2018 11:41 AM

khattar will be  hit  to fit  apne

गुरुग्राम में राव इंद्रजीत की उपेक्षा कर उनसे नाराजगी मोल लेना कोई साधारण बात नहीं थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह आने वाले समय के लिए सी.एम. मनोहर लाल खट्टर की रणनीति का ही एक हिस्सा था। यह रणनीति है विधानसभा चुनावों में अपने चहेतों को उतारने...

अम्बाला(वत्स): गुरुग्राम में राव इंद्रजीत की उपेक्षा कर उनसे नाराजगी मोल लेना कोई साधारण बात नहीं थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह आने वाले समय के लिए सी.एम. मनोहर लाल खट्टर की रणनीति का ही एक हिस्सा था। यह रणनीति है विधानसभा चुनावों में अपने चहेतों को उतारने के लिए मैदान खाली करवाना। अगर भाजपा में चुनावों से पहले कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ तो टिकट वितरण में खट्टर और बराला के मुकाबले किसी भाजपा नेता की बड़ी भूमिका नहीं होगी। इस स्थिति में खट्टर के चहेते उनसे टिकट की उम्मीद करेंगे। 

भाजपा ने प्रदेश में पिछला चुनाव रामबिलास शर्मा के नेतृत्व में लड़ा था। शर्मा की संगठनात्मक पकड़ काफी मजबूत थी। उन्हें सी.एम. पद का दावेदार भी माना जा रहा था। पार्टी हाईकमान ने मनोहर लाल खट्टर को सी.एम. बनाया था। उस समय प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग खट्टर का नाम तक नहीं जानते थे।  खट्टर के सी.एम. बनने के बाद जब शर्मा कैबिनेट मंत्री बने तो प्रदेश अध्यक्ष की कमान सुभाष बराला को सौंपी गई थी। चूंकि संगठनात्मक रूप से खट्टर की पकड़ ज्यादा मजबूत नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने करीबियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना शुरू कर दिया। 

जवाहर यादव, अभिमन्यु व कई अन्य करीबी लोगों को उन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया। यह सिलसिला अभी तक चल रहा है। हाल ही में उन्होंने अपने ओ.एस.डी. कैप्टन भूपेंद्र को पहले पद से हटाया और बाद में कांफेड का चेयरमैन बना दिया। आने वाले समय में भूपेंद्र हिसार से लोकसभा की या बरवाला से विधानसभा सीट की दावेदारी जताएंगे। उनके कई और करीबी हैं जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में खट्टर से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सभी सी.एम. अपना पॉलिटिकल ग्राऊंड तैयार करने के लिए मजबूत नेताओं को अपने साथ जोडऩे का प्रयास करते हैं। साथ ही वे उन नेताओं को साइडलाइन कर देते हैं जो उनके खिलाफ विरोध के स्वर मुखर करते हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार खट्टर इसी दिशा में काम कर रहे हैं। इंद्रजीत की उपेक्षा का सीधा मतलब यह माना जा रहा है कि वह भाजपा में उनकी उपस्थिति झेल नहीं पा रहे हैं। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर राव इंद्रजीत सिंह चुनावों से पहले भाजपा को अलविदा कहकर दूसरा विकल्प अपनाते हैं तो इससे खट्टर की यह राह आसान हो जाएगी। गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी व खट्टर के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि इंद्रजीत और खट्टर के बीच दूरियां बनाने में नरबीर का ही हाथ हो सकता है। राव नरबीर अगर भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो उनका  विधानसभा क्षेत्र खट्टर के करीबी  जवाहर  यादव के लिए खाली हो सकता है।

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