युवाओं का भविष्य अंधकारमय कर रही खट्टर सरकार : सुर्जेवाला

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 30 Jul, 2018 11:40 AM

khattar sarkar making the future of youth darker

कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने भाजपा सरकार द्वारा इंजीनियरिंग के बाद अब पीएच.डी. में भी 15 प्रतिशत सीटों पर रैस्ट ऑफ हरियाणा कैटेगरी कोटा बनाकर प्रदेश के विद्यार्थियों के हितों पर ....

चंडीगढ़(बंसल): कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने भाजपा सरकार द्वारा इंजीनियरिंग के बाद अब पीएच.डी. में भी 15 प्रतिशत सीटों पर रैस्ट ऑफ हरियाणा कैटेगरी कोटा बनाकर प्रदेश के विद्यार्थियों के हितों पर कुठाराघात करने पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय मुरथल का हवाला देते हुए सुर्जेवाला ने कहा कि अक्सर प्रदेश सरकारें अपने प्रदेश के विद्यार्थियों के हितों की सुरक्षा करने के लिए प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करती रही हैं परंतु हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पहली ऐसी प्रदेश सरकार है, जिसने प्रदेश के विद्यार्थियों को नुक्सान पहुंचाने के लिए अन्य प्रदेशों के छात्रों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है।

इस गलत फैसले से प्रदेश  के युवा इंजीनियरिंग, पोस्ट ग्रैजुएट और पीएच.डी. के प्रवेश से वंचित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि देश के युवा पहले की भांति प्रदेश की इंजीनियरिंग कालेजों की  सीटों में 15  प्रतिशत सीटों पर हरियाणवी विद्यार्थियों से मुकाबला करके सीट हासिल करने की  कोशिश करें लेकिन हरियाणवी विद्यार्थियों को अन्य प्रदेशों के छात्रों की भांति आल इंडिया कैटेगरी से बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

सुर्जेवाला ने कहा कि सरकार के इस गलत फैसले के चलते हरियाणा के सरकारी विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कालेजों में प्रदेश के छात्रों को अन्य प्रदेशों के छात्रों से कहीं अधिक नंबर लेने के बावजूद प्रवेश नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय मुरथल की मैरिट लिस्ट के अनुसार एम.एससी. कैमिस्ट्री के 31 अंक वाले अन्य प्रदेशों के विद्यार्थियों को प्रवेश मिला, जबकि प्रदेश के 50 अंक से नीचे मैरिट लेने वाले प्रदेश के विद्यार्थी प्रवेश से वंचित हो गए। 

इसी प्रकार एम.एससी. मैथ में 22 अंक वाले अन्य प्रदेश के विद्यार्थियों को प्रवेश मिला लेकिन मैरिट में उससे दोगुना 44 अंक लेने वाले हरियाणवी छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाया।  इसी प्रकार इंजीनियरिंग कालेजों में भी इसी व्यवस्था के कारण हरियाणा प्रदेश के छात्र प्रवेश नहीं ले पाए, जबकि अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी कहीं कम अंक लेने के बाद भी इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश कर गए। सुर्जेवाला ने कहा कि सरकार के इन गलत फैसलों से हजारों गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों का उज्ज्वल भविष्य खतरे में पड़ गया है, क्योंकि आल इंडिया कैटेगरी के कोटे से बाहर होने से वे सरकारी कालेजों व अच्छे विश्वविद्यालयों में प्रवेश नहीं 7 ले पाएंगे।
 

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