Edited By Rakhi Yadav, Updated: 11 Apr, 2018 11:14 AM
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का राग अलापने वाली खट्टर सरकार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में उजागर हुए घोटाले के बाद विपक्ष के चौतरफा हमलों से घिर चुकी है। घोटालों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जजों से करवाने के लिए विपक्ष की तरफ से पूरा दबाव बनाया जा...
चंडीगढ़(ब्यूरो): भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का राग अलापने वाली खट्टर सरकार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में उजागर हुए घोटाले के बाद विपक्ष के चौतरफा हमलों से घिर चुकी है। घोटालों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जजों से करवाने के लिए विपक्ष की तरफ से पूरा दबाव बनाया जा रहा है। पुलिस जांच राजनीतिक दबाव के चलते प्रभावित हो सकती है। आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए विपक्ष के पास यह मुद्दा एक बड़ा हथियार होगा। इस प्रकरण को लेकर नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले युवा भी अब लामबद्ध होने शुरू हो गए हैं।
आयोग व अन्य विभागों में जिस तरह से भर्ती घोटाले उजागर हो रहे हैं उनसे खट्टर सरकार की मुश्किलों में इजाफा हो रहा है। इनैलो और कांग्रेस को एक ऐसा मुद्दा मिल गया है जो आने वाले विधानसभा चुनावों में भी जमकर गूंजेगा। भर्ती घोटाला आने वाले समय में भाजपा को कहीं न कहीं नुक्सान जरूर पहुंचाएगा।
खास बात यह है कि घोटाले की जांच के चलते प्रदेश में विभिन्न विभागों में करीब 50 हजार भर्तियां होनी है। इसमें सबसे ज्यादा डी-कैटेगरी और पुलिस कर्मियों के लिए भर्ती की संख्या है। जांच के चलते इन भर्तियों पर असर पड़ सकता है। पूर्व में हो चुकी भर्तियों के रद्द होने की आशंका भी उत्पन्न हो चुकी है। हालांकि यह मामला खुद सीएम फ्लाइंग ने पकड़ा है लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार के छींटों से सरकार का बच पाना आसान नहीं है।
विपक्ष की तरफ से आरोप लगाए जा रहे है कि सीएम सरकार से जुड़े लोगों को बचाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच से बच रहे हैं। पुलिस सरकार के इशारे पर ही जांच करती है। भाजपा के मंत्री और विधायक बार-बार भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का जो ढिंढोरा पीट रहे थे वह फिलहाल बंद हो चुका है।
सवाल यह उठ रहा है कि भ्रष्टाचार पर अगर वास्तव में सरकार सख्त थी तो इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया। विपक्ष की तरफ से आयोग के चेयरमैन पर भी सवाल खड़े किए गए थे। इसके बावजूद सरकार ने चेयरमैन को एक्सटेंशन देकर विपक्ष को एक तरह से खिझाने का काम कर दिया। अब वही विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है और सरकार के पास जवाब नहीं है।
वहीं दुसरी तरफ आयोग को भंग करने की मांग जोर पकड़ रही है। हाईकोर्ट ने सरकार से भर्ती घोटाले में जवाब मांगकर सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। आम आदमी पार्टी ने तो सीधे तौर पर इस प्रकरण में सीएम तक को घसीट डाला है। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, घोटाले की परतें भी तेजी से खुलती जा रही है।
भ्रष्टाचार के आरोपियों ने प्रदेश के शिक्षित और योग्य युवाओं पर जमकर अत्याचार किया है। सीएम न्यायिक जांच कराने से बच रहे हैं। अगर वह भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात पर जोर देते हैं तो फिर न्यायिक जांच कराने से बचने की जरूरत क्या है। अगर न्यायिक जांच के आदेश दिए जाते है तो विपक्ष को बोलने का मौका नहीं मिलेगा। साथ ही मामले की सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी।