Edited By Shivam, Updated: 09 May, 2021 12:21 AM
हरियाणा सरकार की गलत नीतियां व सरकार के उच्च अधिकारियों की किसान विरोधी सोच ने किसानों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। सरकार द्वारा बनाया गया पोर्टल मेरी फसल मेरा ब्यौरा के कारण प्रदेश के हजारों किसानों को अपनी गेहूं की फसल ओने पौने...
चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार की गलत नीतियां व सरकार के उच्च अधिकारियों की किसान विरोधी सोच ने किसानों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। सरकार द्वारा बनाया गया पोर्टल मेरी फसल मेरा ब्यौरा के कारण प्रदेश के हजारों किसानों को अपनी गेहूं की फसल ओने पौने दामों पर मंडी बेचनी पड़ी। जिससे किसानों को हजारों करोड का नुकसान हुआ है। पोर्टल के कारण हरियाणा का किसान तो अपने गेहूं नहीं बेच पाया लेकिन पड़ोसी राज्यों के व्यापारी हरियाणा में लाखों टन गेहूं बेचकर करोड़ों रुपया मुनाफा कमा चुके।
यह आरोप हरियाणा के प्रगतिशील किसान व किसान नेता सतपाल कौशिक ने लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने हरियाणा की जनता को नए नए प्रयोग करके इतना तंग कर दिया है कि प्रदेश में हजारों गेहूं उत्पादक किसान गेहूं बेचने के लिए पिछले 1 महीने से मारा मारा फिर रहा है। किसान की कोई नहीं सुन रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाया गया पोर्टल जिसमें किसान को अपनी फसल का ब्योरा दर्ज करना था, उसमें हजारों एकड़ जमीन जिनमें गेहूं खड़ी थी, उनको पोर्टल बनाने वालों ने ब्लॉक कर दिया। जिससे किसान अपनी फसल का ब्यौरा उस पोर्टल पर दर्ज कराने में असमर्थ रहा। किसानों ने अपनी समस्या को देखते हुए जिला के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया जहां पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके उपरांत कृषि विभाग के कृषि निदेशक से संपर्क किया वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। आज भी प्रदेश में हजारों किसान ऐसे हैं जिनकी गेहूं मंडी में सरकार द्वारा गलत पोर्टल बनाए जाने के कारण बिक नहीं सकी।
कौशिक ने कहा कि मैंने कई बार जिला के उच्च अधिकारियों, प्रदेश के कृषि निदेशक व मुख्यमंत्री कार्यालय में संपर्क किया लेकिन आज तक समस्या का हल नहीं हुआ। सरकार ने इस कदर देर कर दी है कि उपायुक्त यमुनानगर व उप कृषि निदेशक के लिखने के बाद भी पोर्टल में मेरी फसल मेरा ब्यौरा का इंद्राज नहीं हुआ जिसके कारण मैं अपनी आज तक गेहूं मंडी में डाल सका। उन्होंने कहा हरियाणा में मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने किसानों को तंग किया और उन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
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