रोहतक के भूमि रिलीज मामले में जस्टिस मदान करेंगे मामले की न्यायिक जांच

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 06 Apr, 2018 10:46 AM

justice madan will examine the case of rohtak land release case

रोहतक के भूमि रिलीज मामले की सी.बी.आई. जांच करवाने से फिलहाल खट्टर सरकार बैकफुट पर आ गई है। सरकार ने अब इस मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। इस मामले की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर.एस. मदान को सौंपने का निर्णय लिया ...

चंडीगढ़(ब्यूरो): रोहतक के भूमि रिलीज मामले की सी.बी.आई. जांच करवाने से फिलहाल खट्टर सरकार बैकफुट पर आ गई है। सरकार ने अब इस मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। इस मामले की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर.एस. मदान को सौंपने का निर्णय लिया है।

बताया गया है कि जस्टिस मदान 2 माह में अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट सरकार को देंगे। हालांकि इस मामले की सी.बी.आई. जांच की घोषणा खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा सत्र के दौरान की थी। जो अब न्यायिक जांच में तबदील हो गई है। पूर्व की हुड्डा सरकार के दौरान रोहतक में जमीन रिलीज का मामला सामने आया था। खट्टर सरकार के पास इस मामले से जुड़ी काफी शिकायतें पहुंची थीं। जिसमें घोटाले का आरोप लगाया गया था। 

हालांकि इस जमीन का अधिग्रहण पूर्व की चौटाला सरकार में किया गया था लेकिन हुड्डा सरकार में इस जमीन को रिलीज किया गया। चर्चा है कि यह मामला भाजपा के एक नजदीकी नेता से जुड़ा है। जिस पर सरकार ने सी.बी.आई. के बजाय न्यायिक जांच करवाने का फैसला किया। 

पिछले महीने मानेसर भूमि घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रोहतक के उदार गगन व इसी तरह के सोनीपत के भूमि मामले की जांच सी.बी.आई. को सौंपने का ऐलान विधानसभा में किया था। करीब 3 सप्ताह बाद अब सरकार ने रोहतक के उदार गगन की जमीन से जुड़ा मामला सी.बी.आई. को देने की बजाय जस्टिस मदान से इसकी जांच करवाने की मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2016 के एक फैसले में भी रोहतक के उदार गगन जमीन मामले का जिक्र है। 

दरअसल, चौटाला सरकार के समय रिहायशी एवं कमर्शियल सैक्टर काटने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा करीब 850 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने का निर्णय लिया था। इसके लिए सैक्शन-4 के नोटिस भी जारी किए गए। आपत्तियों के बाद काफी जमीन प्रक्रिया से बाहर कर दी गई और 422 एकड़ भूमि को अधिग्रहण करने के लिए ही सैक्शन-6 के नोटिस जारी किए गए।

इसके बाद 2006 में राज्य के टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इसमें से 280 एकड़ भूमि के लिए उदार गगन नामक कंपनी को रिहायशी व कमर्शियल सैक्टर के लिए लाइसैंस जारी कर दिए। पूर्व की सरकार पर आरोप लगे कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन रिलीज की गई और उसे लाइसैंस दिया गया। 

2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य की खट्टर सरकार ने इस मामले की जांच उस समय अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी राजन गुप्ता को सौंपी। सूत्रों के अनुसार गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में सिस्टम फेलियर की बात तो कही लेकिन किसी की जवाबदेही इसके लिए तय नहीं की। वर्तमान में गुप्ता को सरकार ने हरेरा की पंचकूला पीठ का चेयरमैन नियुक्त किया हुआ है। 
 

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