Edited By Manisha rana, Updated: 01 Feb, 2021 11:16 AM
वन विभाग के अधिकारी बेशक खैर तस्करों की धरपकड़ कर रहे हों, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आए दिन जंगलों में खैर के पेड़ों पर कुल्हाड़ा चल रहा है और विभाग के कर्मचारियों को इसकी खबर नहीं...
खिजराबाद : वन विभाग के अधिकारी बेशक खैर तस्करों की धरपकड़ कर रहे हों, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आए दिन जंगलों में खैर के पेड़ों पर कुल्हाड़ा चल रहा है और विभाग के कर्मचारियों को इसकी खबर नहीं है। जिले के आई.एफ.एस. जिला वन अधिकारी सूरजभान ने जब से जिले के वन अधिकारी का चार्ज संभाला है, तब से लकड़ी तस्करों में हड़कम्प मचा हुआ है और आए दिन कहीं न कहीं से खैर तस्करों पर नकेल कसती नजर आ रही है। वह पूरी रात जागकर अपने स्टाफ सहित गश्त करते नजर आते हैं। कलेसर रेंज के वन अधिकारी कुलदीप सिंह ने कहा कि तस्करों पर पूरी तरह शिकंजा कसा हुआ है, लेकिन छछरौली रेंज के जंगल से खैर तस्करों द्वारा खैर की अवैध कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। वहीं वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी अपनी जान पर खेल कर दिन-रात खैर तस्करों को पकडऩे में लगे हुए हैं।
गौर रहे कि खैर की लकड़ी की बाजार में कीमत लगभग 7000 रुपए प्रति किविंटल है और एक पेड़ से लगभग 4-5 किविंटल लकड़ी निकलती है। इसके कारण मोटी कमाई के चक्कर में तस्कर इन पेड़ों को काटकर तस्करी कर रहे हैं। वन विभाग की ओर से हर रोज खैर तस्करों को पकड़ा जा रहा है और विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। वहीं स्थानीय किसानों का कहना है कि जब वे अपने खेतों में रात के समय फसल में पानी देते हैं तो जंगल से लकड़ी काटने की आवाजें आती हैं। तस्कर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर खैर की तस्करी कर रहे हैं और वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती। अगर बात करें जाटों वाला, चिकन, नगली-32 आदि की तो वहां खैर के पेड़ काटने के मामले सुर्खियों में आए दिन छाए रहते हैं।
खैर की तस्करी पर 3 से 5 साल कैद का प्रावधान
कलेसर रेंज ऑफिसर कुलदीप सिंह ने बताया कि यदि खैर तस्कर पकड़ा जाता है तो नियम अनुसार उसको 3 से 5 साल की कैद की सजा होती है। खैर चोरी में संलिप्त वाहन को सुपर दारी पर कोर्ट के आदेश अनुसार छोड़ा जाता है, लेकिन खैर तस्कर को कोर्ट द्वारा गुनाहगार घोषित करने पर खैर तस्करी में प्रयोग होने वाले वाहन को दोबारा वापस लिया जाता है। वहीं खैर तस्कर अधिकतर दो नंबर की गाडिय़ां खैर तस्करी में प्रयोग करते हैं, जिन पर न तो चेसी नंबर होता है और न ही गाड़ी का नंबर।
कलेसर नैशनल पार्क में पेड़ों पर लगाए गए कैमरे हुए गायब
कलेसर नैशनल पार्क में सुरक्षा की दृष्टि और जंगली जानवरों की गतिविधियों व गिनती के लिए वन्य प्राणी विभाग की ओर से कैमरे लगवाए गए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कलेसर नैशनल पार्क में कुल 80 कैमरे लगाए गए थे, जोकि एक-दूसरे के सामने लगे थे, परंतु वन विभाग की लापरवाही की वजह से अब ज्यादातर कैमरे गायब हैं या फिर खराब हैं। ये कैमरे लकड़ी चोरी, जंगली जानवरों के शिकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने में सहायक होते थे। इसके अलावा वन कर्मचारियों की गतिविधियों पर भी कैमरे की सटीक नजर रहती थी और कौन कर्मचारी कितने समय व किस समय गश्त करता है, यह जानकारी भी विभाग के पास रहती थी। वहीं अब कैमरे गायब या खराब होने की वजह से जंगल की सुरक्षा राम भरोसे है।