Edited By Shivam, Updated: 25 Jun, 2018 10:58 PM
हरियाणा आवास बोर्ड के चैयरमैन जवाहर यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुलदीप बिश्नोई का आईना क्या दिखाया, उनका परिवार तो मानो सुधबुध खो बैठा है। कोई गलत जानकारी बांटे जा रहा है, तो किसी को यह ही समझ नहीं आ रहा कि सीएम साहब ने आदमपुर क्षेत्र...
चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा आवास बोर्ड के चैयरमैन जवाहर यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुलदीप बिश्नोई का आईना क्या दिखाया, उनका परिवार तो मानो सुधबुध खो बैठा है। कोई गलत जानकारी बांटे जा रहा है, तो किसी को यह ही समझ नहीं आ रहा कि सीएम साहब ने आदमपुर क्षेत्र में जनसभा में किस चुनाव का जिक्र किया था। ना किसी के पास मुख्यमंत्री जी की बातों का जवाब है ना उन्हें होश है कि लोगों को बीच फजीहत से कैसे बचना है। असल में भजनलाल के सारे वंशज एक से एक नमूने हैं, और अब खुद कुलदीप बिश्नोई के भाई और पत्नी सीएम मनोहर की बात को सही साबित कर रहे हैं।
यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने स्पष्ट तौर पर 2009 विधानसभा चुनाव का जिक्र किया है। लेकिन चंद्रमोहन और रेणुका बिश्नोई को यह बात समझ नहीं आई, उनकी सुई 2014 पर अटकी हुई है। 2014 विधानसभा चुनाव से पहले तो गठबंधन वैसे ही टूट चुका था और 2011 में जब गठबंधन हुआ था तब यह स्पष्ट था कि कुलदीप बिश्नोई पहले ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे। चौधरी भजनलाल का तो तब स्वर्गवास हो चुका था इसलिए उनके नाम की चर्चा हो भी कैसे सकती थी।
यादव ने कहा है कि असल में कुलदीप बिश्नोई के परिवार को अपनी झेंप मिटाने का कोई तरीका तो सूझा नहीं इसलिए उन्होंने सोचा कि लोगों को कन्फ्यूज कर दिया जाए। इसी तरह लोगों को बेवकूफ बनाकर राजनीति करने की वे पहले कोशिश करते रहे हैं और यही तरीका अब अपना रहे हैं। यही कारण है कि भजनलाल की प्रदेश स्तर की राजनीतिक विरासत को कुलदीप ने दो विधानसभा हलकों में समेट दिया है।
यादव ने कहा कि रेणुका बिश्नोई ने कहा है कि आदमपुर के विकास के लिए ट्रक भरके चिट्ठियां मुख्यमंत्री को उनके पति ने लिखी हैं। रेणुका जी को आदर के साथ यह चुनौती है कि वे जनता के सामने वे तमाम चि_ियां लेकर आएं जिनका वे जिक्र कर रही हैं कि उन पर सरकार ने काम नहीं किया। हरियाणा की जनता देखे कि उन चिट्ठियों से ट्रक भरा जा सकता है या शर्ट की जेब। यादव ने कहा कि इस स्थिति में भी कुलदीप बिश्नोई का गायब रहना दिखाता है कि उनके मन में कोई खोट है। भाई और पत्नी के जरिए जवाब देने की बजाय कुलदीप को खुद सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि 2009 में वैसी बातें हुई थी या नहीं जो माननीय मुख्यमंत्री बताई हैं।