जाट आंदोलन आगजनी मामला: सीबीआई जांच में सबसे बड़े झूठ का पर्दाफाश

Edited By Shivam, Updated: 16 Jul, 2018 06:07 PM

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कैप्टन अभिमन्यु की कोठी पर आगजनी हिंसा मामले में सीबीआई किचार्जशीट में खुलासा हुआ है कि जाट आरक्षण आंदोलन में पंडित नेकीराम कॉलेज के हॉस्टल में छात्रों को पुलिस द्वारा पीटे जाने की घटना को कुछ लोगों को एक षडयंत्र के तहत यह कहकर फैलाया कि पुलिस ने...

चंडीगढ़ (धरणी): वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी पर आगजनी हिंसा मामले में सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि जाट आरक्षण आंदोलन में पंडित नेकीराम कॉलेज के हॉस्टल में छात्रों को पुलिस द्वारा पीटे जाने की घटना को कुछ लोगों को एक षडयंत्र के तहत यह कहकर फैलाया कि पुलिस ने वहां केवल उन्हीं छात्रों को पीटा जो जाट थे बाकी को हाथ भी नहीं लगाया।

इस बड़े झूठ को फैलाकर आंदोलन की आंग में घी डाला गया और छात्रों का इस्तेमाल हिंसा और लूट में किया गया। सीबीआई जांच से पहले तक इस अफवाह का जवाब नहीं मिला था कि पुलिस ने 18 फरवरी 2016 को पंडित नेकीराज कॉलेज के हॉस्टल में घुसकर विद्यािर्थयों की जाति पूछकर केवल उन्हीं को जमकर पीटा जो केवल जाट समाज से थे।

सीबीआई ने जब इसकी जांच की तो यह एक बहुत बड़ी झूठी बात निकली। इस झूठ की आड़ में साजिश रचने वालों का मकसद साफ हो रहा है कि छात्रों को भावुक कर आंदोलन को भड़काना था। वित्तमंत्री निवास पर आगजनी, लूट, हिंसा और परिवार के सदस्यों को जान से मारने की कोशिश की। जांच जब सीबीआई को सौंपी गई तो उसने इस अफवाह की तह तक जाकर पड़ताल की है ताकि असली कारणों तक पहुंचा जा सके।

सीबीआई की चार्जशीट में दर्ज बयान में यह साफ जो जाता है कि केवल जाट छात्रों पर पुलिस की बर्बरता का झूठ फैलाना दरअसल उस राजनैतिक षडयंत्र का हिस्सा था कि इस घटना को भी जातीय रंग दे दिया जाए। सीबीआई अपनी चार्जशीट में नेकीराम कॉलेज, जाट कॉलेज के वार्डन सहित कई छात्रों के बयान सीबीआई ने 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज किए हैं। इन सभी के बयान को पढने के बाद ये साफ हो जाता है कि पुलिस ने 18 फरवरी को नेकीराम कॉलेज में घुसकर छात्रों की पिटाई की थी क्योंकि कुछ छात्रों ने कॉलेज के बाहर पुलिस को गालियां दी और उन पर पत्थर फेंककर हॉस्टल में घुस गए थे।

 इसके बाद 100-150 पुलिसकर्मी हॉस्टल में घुसे और जो भी छात्र सामने आया उसे ही पीटना शुरू कर दिया। पुलिस की इस पिटाई में न केवल जाट छात्र घायल हुए बल्कि अनेक दूसरी जाति के छात्रों की भी पुलिस ने पिटाई की। इन छात्रों ने सीबीआई को दर्ज कराए बयानों में साफ कहा कहा पुलिस ने किसी भी छात्र को जाति पूछकर नहीं पीटा। ऐसे में यह साफ हो जाता है कि जाट आरक्षण आंदोलन में फैलाया गई ये बात एक बड़ी झूठ और षडयंत्र का हिस्सा थी ताकि जाट समाज के छात्रों को भड़काया जा सके।

सीबीआई के सामने दर्ज कराए बयान में महेंद्र के किनाना गांव के आशुतोष ने कहा कि उसके पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं। जाट आरक्षण के समय वह पंडित नेकीराम कॉलेज में पढ़ रहा था और 18 फरवरी की शाम को खाना खाने के बाद वह मोबाइल पर फिल्म देख रहा था। तभी कुछ लोगों ने जोर से दरवाजा खटखटाया तो देखा कि वो पुलिसकर्मी थे और बहुत गुस्से में लग रहे थे। दरवाजा खोलते ही उन्होंने हमें पीटना शुरू कर दिया और बोले कि इनको बाहर ले चलो, इनको हम दिलाते हैं आरक्षण। इसके बाद हम पीटते हुए ही बाहर निकाला। इस दौरान किसी भी पुलिसकर्मी ने जाति के बारे में नहीं पूछा लेकिन जो भी सामने आया उसे पीटा।

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