विडम्बना: सी.एम. की ‘खिड़की’ पर किसानों से ‘फरेब’

Edited By Isha, Updated: 07 Dec, 2019 11:30 AM

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बेशक हरियाणा में सरकारी तंत्र को सुधारने की दिशा में सिलसिलेवार प्रयोग करते नजर आ रहे हैं मगर उन प्रयासों की स्थिति तब क्या होगी जब प्रयासों की जिम्मेदारी ऐसे अफसरों को सौंप दी जाए जो न केवल

सिरसा (भारद्वाज): मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बेशक हरियाणा में सरकारी तंत्र को सुधारने की दिशा में सिलसिलेवार प्रयोग करते नजर आ रहे हैं मगर उन प्रयासों की स्थिति तब क्या होगी जब प्रयासों की जिम्मेदारी ऐसे अफसरों को सौंप दी जाए जो न केवल लापरवाही की चादर ओढ़े बैठे रहते हैं अपितु इन प्रयासों की सोच को ही पलीता लगाने में जुट जाएं।

सी.एम. विंडो की स्थिति को देखते हुए तो कमोबेश ऐसा ही प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री की इस ‘खिड़की’ से अधिकारी फरेब ही कर रहे हैं। जिला सिरसा के किसानों के साथ भी इस विंडो से कुछ ऐसा ही हुआ है कि शिकायत के समाधान के नाम पर अधिकारी एक अजीब खेल ही खेल रहे हैं। किसानों का साफ कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तुरंत समाधान के लिए यह व्यवस्था की थी मगर अफसरों की कार्यप्रणाली के कारण अब इस विंडो की साख को ही बट्टा लगता नजर आने लगा है।

ये है मामला
गौरतलब है कि नैशनल हाईवे 9 को चौड़ा करने मसलन फोरलेन बनाने के इरादे से जिला फतेहाबाद व जिला सिरसा के गांवों की जमीनों को एक्वायर किया गया था। इसके तहत सिरसा के 17 गांवों की जमीनें एक्वायर हुईं। इन एक्वायर की गई जमीनों की कीमतों के मामले में भेदभाव ही नहीं बल्कि कोताही भी बरती गई। इस बात का खुलासा आर.टी.आई से हुआ। हुआ ये था कि केंद्र सरकार ने जमीन एक्वायर के मामले में जून 2015 को नया एक्ट लागू कर दिया था और इसके बारे में सभी संबंधित विभागों को जानकारी भी दी जा चुकी थी।

इस नए एक्ट में ये प्रावधान किया गया था कि जिस किसी की भी जमीन एक्वायर होगी उसे सरकार की ओर से 200 प्रतिशत अधिक की रकम दी जाएगी, लेकिन सिरसा के तत्कालीन डी.आर.ओ. ने अपनी मनमानी रवैये के चलते सिरसा के 17 गांवों के जमीन मालिकों को 70 प्रतिशत कम की कीमत दी। जबकि जिला फतेहाबाद के किसानों को इस नए एक्ट के तहत रकम का भुगतान किया।   इस बारे में जब सिरसा के इन 17 गांवों के लोगों को जानकारी मिली तो उन्होंने इस मुद्दे को लेकर स्थानीय डी.आर.ओ. व ए.डी.सी. और अन्य संबंधित अधिकारियों से बातचीत की। कहीं से भी कोई संतोष जनक जवाब नहीं आया। ऐसे में आर.टी.आई. मांगी तो पता लगा कि यह सब डी.आर.ओ. की गलती के कारण हुआ।

कई सालों से चक्कर काटने के बाद लगाई सी.एम. विंडो
जैसे ही इन लोगों को पता लगा कि स्थानीय डी.आर.ओ. की गलत नीतियों के कारण उनके साथ धोखा हो रहा है तो वे इस मामले को लेकर उनसे मिले लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला उलटा उन्हें चक्कर लगवाने का क्रम शुरू हो गया। ऐसे में फिर इस मामले में इन 17 गांवों के लोगों ने कई संबंधित विभागों अधिकारियों के खिलाफ बीती 18 नवम्बर को सी.एम. विंडो पर शिकायत लगाई और शिकायत के तहत न केवल भुगतान की मांग की गई साथ ही सभी संबंधित दोषी विभागीय अधिकारियों के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई की भी इच्छा जताई।

विंडो से आया ऐसा पत्र
बेशक सी.एम. विंडो को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद गंभीर रहते हैं और इसके साथ ही उन्होंने सभी जिला अधिकारियों को भी सी.एम. विंडो पर आने वाली सभी शिकायतों का तुरंत और उचित समाधान करने के लिए सख्त निर्देश भी दिए हुए हैं मगर यहां आलम ये हो गया कि पीड़ित 17 गांवों के लोग सी.एम. विंडो से आए एक ऐसे पत्र को लेकर हैरान हैं कि आखिर जांच करवाने का यह कौन-सा तरीका है। इस संदर्भ में 17 गांवों के सरपंचों एवं शिकायतकत्र्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे नागरिक परिषद के सचिव सुरेंद्र भाटिया ने बताया कि यह मामला काफी गंभीर है और इसके तहत उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टïर को पत्र लिख चुके हैं। इसके बाद अब उन्होंने बीती 18 नवम्बर को सी.एम. विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई। इस शिकायत के तहत कुछ दिन पूर्व ही एक पत्र उनके पास आया जिसमें बताया गया है कि इस मामले की जांच के लिए अधिकारी को जिम्मेदारी सौंप दी है।

रिटायर हो चुके अधिकारी और ट्रांसफर हो चुके डी.सी. को सौंपा जिम्मा
नागरिक परिषद के सचिव सुरेंद्र भाटिया के अनुसार सी.एम. विंडो से संबंधित अधिकारियों ने जांच अधिकारी का जिम्मा जिन्हें सौंपा है असल में वह बड़ी हास्यास्पद स्थिति है। उन्होंने बताया कि उन्होंने आला अधिकारियों को पार्टी बनाया है जबकि जांच के लिए डी.आर.ओ. नौरंग दास को अधिकारी नियुक्त किया है और यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नौरंग दास करीब एक साल पहले यहां से रिटायर हो चुके हैं। इसके अलावा अब जांच अधिकारी उपायुक्त प्रभजोत सिंह को बनाया है और ये भी करीब 7 माह पूर्व यहां से ट्रांसफर हो चुके हैं। सुरेंद्र भाटिया ने कहा कि इस स्थिति से साफ ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सी.एम. विंडो के जरिए जांच के नाम पर खेल खेला जा रहा है। 

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