शराब तस्करी में जो लोग शामिल हैं उनके सरंक्षक पकड़े जाने चाहिए: भूपेन्द्र सिंह हुड्डा

Edited By Isha, Updated: 12 Aug, 2020 02:37 PM

involved in liquor smuggling should be caught guarding bhupinder hooda

हरियाणा सरकार में पर कई घोटालों के आरोप लगाते हुए  विपक्ष काफी आक्रामक नजर आ रहा है। विपक्ष आगामी विधानसभा सत्र में इस मामले को जोर शोर से उठाने की तैयारी में भी नजर आ रहा है।  इसी

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा सरकार में पर कई घोटालों के आरोप लगाते हुए  विपक्ष काफी आक्रामक नजर आ रहा है। विपक्ष आगामी विधानसभा सत्र में इस मामले को जोर शोर से उठाने की तैयारी में भी नजर आ रहा है।  इसी मामले को लेकर  नेता प्रतिपक्ष एवम् पूर्व मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुडा ने कहा है कि इसकी निष्पक्ष जांच के तीन ही उपाय हैं। हमने सीबीआई जांच की मांग की थी या फिर सिटिंग जज की जांच होनी चाहिए थी या फिर पार्टियामैंट जेपीसी बनाई जाती है बनाई जाए जिसमें सभी पार्टियों के सदस्य हो। इन तीन तरीकों से जांच होनी चाहिए।शराब तस्करी में जो लोग शामिल हैं उनके सरंक्षक पकड़े जाने चाहिए।

हुड्डा का कहना है कि एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार में ताबड़तोड़ घोटाले हो रहे हैं। शराब और रजिस्ट्री का घोटाला इतना बड़ा है कि लाख कोशिशों के बावजूद सरकार इसे दबा नहीं पाई। सरकार पूरे शराब घोटाले को अधिकारियों पर ढालने की कोशिश कर रही है जबकि विपक्ष की मांग है कि असली घोटालेबाज़ों का पर्दाफाश होना चाहिए। ऐसे में ज़रूरी है कि इसकी जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज, सीबीआई या जेपीसी की तरह विधानसभा की कमेटी बनाकर करवाई जाए, जिसमें सभी दलों के विधायक शामिल हों। हुड्डा से हुई एक्सक्ल्युसिव बातचीत के  प्रमुख अंश आपके  प्रस्तुत हैंः-

प्रशनः- हाल ही में हुई शराब तस्करी में जिस प्रकार से गृहमन्त्री और उपमुख्यमन्त्री के ब्यानों में फर्क नजर आ रहा है। क्या मानते हैं आप ?
उतरः- पहले बात सामने आई थी कि एस.आई.टी. गठित होगी। लेकिन एस.ई.टी. गठित की गई। जिसके पास कोई खास पावरस होती ही नही।  गृहमन्त्री ने फिर विजीलैंस जांच की भी बात कही। लेकिन फिर एक मन्त्री कहता है कि कुछ हुआ ही नही। जो हालात है वह ऐसा लगता है कि जिस प्रकार से प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट मेज के नीचे से चली गई। इसी प्रकार रफादफा करने की कोशिश है। इसकी निष्पक्ष जांच के तीन ही उपाय हैं। हमने सीबीआई जांच की मांग की थी या फिर सिटिंग जज की जांच होनी चाहिए थी या फिर पार्टियामैंट जेपीसी बनाई जाती है बनाई जाए जिसमें सभी पार्टियों के सदस्य हो। इन तीन तरीकों से जांच होनी चाहिए।शराब तस्करी में जो लोग शामिल हैं उनके सरंक्षक पकड़े जाने चाहिए।

प्रशनः- हुडा साहब, दो बडे मन्त्रियों के अलग अलग ब्यानों को किस प्रकार से राजनीतिक आकलन किस प्रकार से करेगें ?
उतरः- मेरा मतलब है कि घोटाले का दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। छोटे छोटे अफसरों के खिलाफ कार्यवाही होने से कुछ नही होने वाला। जिनके सरक्षण मे ये सब हुआ उनका पर्दाफाश होना जरूरी है।

प्रशनः- प्रमुख रूप से कौन कौन से घोटाले हैं ?
उतरः- रजिस्ट्री घोटाला है, शराब घोटाला है, सरसो घोटाला है, धान घोटाला  है खनन घोटाला हुआ। घोटाले ही घोटाले हुए हैं। ओवरलोडिंग, रोजवेज किमलोमीटर स्कीम, भर्ती, पेपर लीक जैसी बातें सामने आई हैं। इस सरकार में और तो कुछ हुआ ही नही केवल घोटाले ही हुए हैं।एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार में ताबड़तोड़ घोटाले हो रहे हैं। शराब और रजिस्ट्री का घोटाला इतना बड़ा है कि लाख कोशिशों के बावजूद सरकार इसे दबा नहीं पाई। सरकार पूरे शराब घोटाले को अधिकारियों पर ढालने की कोशिश कर रही है जबकि विपक्ष की मांग है कि असली घोटालेबाज़ों का पर्दाफाश होना चाहिए। ऐसे में ज़रूरी है कि इसकी जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज, सीबीआई या जेपीसी की तरह विधानसभा की कमेटी बनाकर करवाई जाए, जिसमें सभी दलों के विधायक शामिल हों। रजिस्ट्री घोटाले का ज़िक्र करते हुए हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार में कई साल से अवैध कॉलोनियां बसाना का गोरखधंधा चल रहा है। लॉकडाउन के दौरान भी 32 शहरों में करीब 30,000 रजिस्ट्रिओं में धांधली के खेल का ख़ुलासा हुआ है। इतना ही नहीं लॉकडाउन में सरसों और चावल ख़रीद में धांधली सामने आई है। जींद के बीजेपी विधायक ने तो ख़ुद मान लिया है जींद में हर ईंट पर भ्रष्टाचार की मोहर लगी है। वहां 4 साल में बीजेपी नेता ने जमकर घोटाले किए।

प्रशनः- पीटीआई मामले में काग्रेंस का क्या स्टैंड है ?
उतरः-काग्रेंस काल में किसी का रोजगार नही छीनना नही चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट के बाद भी सरकार के पास संवैधानिक पावर का इस्तेमाल करके इन्हे रोजगार दिया जाना चाहिए था।सरकार लगातार कर्मचारी और किसान विरोधी फ़ैसले ले रही है। इसी वजह से आज पक्के और कच्चे कर्मचारी आंदोलनरत हैं। आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर, मिड डे मील वर्कर और आगंनबाड़ी सुपरवाइज़र सड़कों पर हैं। सरकार रोज़गार देने की बजाए, रोज़गार छीनने में लगी है। पहले 1983 पीटीआई और अब खेल कोटे से ग्रुप डी में भर्ती हुए 1500 कर्मचारियों को भी नौकरी से निकालने की तैयारी है। लेकिन कांग्रेस कर्मचारियों के साथ खड़ी है और पीटीआई की बहाली के लिए विधानसभा के मॉनसून सत्र में प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएगी। 

प्रशनः- राजस्थान मामले में काग्रेंस के लिए सुखद हुआ है आपका क्या कहना है ?
उतरः- आपसी मतभेद हो जाते हैं फैंसले भी हो जाते हैं।

प्रश्न--केंद्र से जो नए अध्यादेश किसानों को लेकर आये हैं पर कांग्रेस का क्या स्टैंड है?
उत्तर-सरकार के 3 नए कृषि अध्यादेशों के बारे में देशभर के किसान इसका विरोध कर रहे हैं। क्योंकि इसमें कहीं भी एमएसपी का ज़िक्र नहीं है। इससे सरकारी मंडियां और सरकारी ख़रीद तंत्र कमज़ोर होगा और सीधा लाभ पूंजीपतियों को होगा। अगर सरकार किसानों के हक़ में कोई फ़ैसला लेना ही चाहती है तो उसे एक और अध्यादेश लाना चाहिए, जिसमें किसानों को एमएसपी देने का वादा शामिल हो। अगर मंडी से बाहर कोई पूंजीपति किसान की फसल एमएसपी से कम रेट पर ख़रीदता है तो उसको दंडित करने का प्रवाधान किया जाए। सरकार को अपना वादा निभाते हुए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सी 2 फार्मूले के तहत एमएसपी तय करना चाहिए। लेकिन लगता है कि सरकार का पूरा ज़ोर किसानों को मार मारने पर है। उसने आज तक फसल बीमा योजना के प्रति किसानों की शिकायतें दूर नहीं की। आज भी किसानों से बिना पूछे उनके खाते से बीमा की किश्त काटी जा रही है। कोरोना और मंदी के दौर में सरकार ने बीमा की किश्त में करीब 3 गुणा बढ़ोत्तरी कर दी। पहले किसान को कपास बीमा के लिए 620 रुपये देने पड़ते थे, उसे बढ़ाकर 1650 रुपये कर दिया है। दिल्ली जैसे प्रदेश ने डीज़ल के रेट में 8 रुपये की कटौती कर दी लेकिन हरियाणा सरकार ने किसानों को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया।

प्रश्न--हरियाणा सरकार की खेल नीति पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर--हमारे कार्यकाल के दौरान खिलाड़ियों के लिए बनाई गई ‘पदक लाओ, पद पाओ नीति’ को ‘भेदभाव नीति’ बना दिया है। तमाम खिलाड़ी सवाल कर रहे हैं कि उन्हें नियुक्तियां क्यों नहीं दी जा रही। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, मंजीत चहल, अमित पंघाल, नीरज चोपड़ा, बॉक्सर मनोज, विनेश फोगाट, एकता भ्यान और अमित सरोहा जैसे खिलाड़ी आज भी पद से वंचित हैं। खेल नीति के अलावा नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा नीति पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एस सी/एस टी/ओ बी सी/ और ग़रीब तबके के आरक्षण को लेकर स्पष्टता नहीं है। इसलिए इस तबके में काफी संशय हैं, जिन्हें दूर करना चाहिए। हरियाणा की अगर बात की जाए तो शिक्षा के स्तर को लेकर हमारी सरकार के दौरान पूरे देश में हरियाणा चौथे पायदान पर था, लेकिन बीजेपी सरकार में खिसककर 10 वें पायदान पर पहुंच गया।

 

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