1 मार्च को दिल्ली में आयोजित होगी अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद, 55 देशों के प्रतिनिधि लेंगे भाग

Edited By Isha, Updated: 27 Feb, 2020 09:15 AM

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1 मार्च को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में दहेज प्रथा समेत दूसरी कई सामाजिक कुरीतियों पर बड़ी चोट होगी। इसके अलावा युवाओं के सुरक्षित भविष्य.....

जींद (जसमेर) : 1 मार्च को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में दहेज प्रथा समेत दूसरी कई सामाजिक कुरीतियों पर बड़ी चोट होगी। इसके अलावा युवाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए अच्छी शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसे विषयों पर भी अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में चर्चा होगी। इसमें गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ समेत 55 देशों के प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे। इस अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में भाग लेने के लिए प्रदेश के पूर्व डी.जी.पी. डॉ. महेंद्र सिंह मलिक को आमंत्रित किया गया है और वह इसमें जाट आरक्षण जैसे मुद्दे पर बात करेंगे। 

अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के आयोजन को लेकर पूर्व डी.जी.पी. और हरियाणा से इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किए गए इकलौते प्रतिनिधि पूर्व डी.जी.पी. डॉ. महेंद्र सिंह मलिक ने बुधवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में दहेज प्रथा, नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों पर गहन चिंतन के बाद इन्हें समाप्त करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। बेरोजगारी दूर करने के लिए युवाओं को अच्छी शिक्षा की जरूरत पर जाट संसद में चर्चा होगी। 

उन्होंने कहा कि जाट युवाओं को अच्छी शिक्षा, रोजगार और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने पर भी जाट संसद में जोड़ दिया जाएगा। डॉ. मलिक के अनुसार आज की सबसे बड़ी जरूरत बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के साधन मुहैया करवाने की है। जाट संसद में इस पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में जाट आरक्षण का मुद्दा भी उठाएंगे। डा. मलिक ने कहा कि जाट समुदाय को आरक्षण की इस समय सख्त जरूरत है।

कारण यह है कि आज जाट समुदाय के पास खेती के लिए जमीन नहीं बची है। जाट को ओ.बी.सी. में आरक्षण से पहले इसलिए बाहर रखा गया था कि इस समुदाय के पास खेती के लिए पर्याप्त जमीन होती थी। जमीन के लगातार बंटवारे के कारण अब हालत यह हो गई है कि जाट समुदाय के पास औसतन एक एकड़ से भी कम जमीन बची है और इतनी जमीन से वह अपनी परिवार का पेट तक नहीं पाल सकता।

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