इनैलो की अब अहीरवाल में सेंध लगाने की तैयारी

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 27 Apr, 2018 08:14 AM

inelo now preparing to dent

जिस तरह प्रदेश की राजनीति में अहीरवाल की भूमिका अहम होती है। उसी तरह अहीरवाल में कोसली हलका काफी महत्वपूर्ण रहता है। इस क्षेत्र की राजनीति दशकों से रामपुरा हाऊस बनाम एंटी रामपुरा हाऊस की रही है। रामपुरा हाऊस को इस क्षेत्र से मजबूत...

अंबाला(नरेन्द्र वत्स): जिस तरह प्रदेश की राजनीति में अहीरवाल की भूमिका अहम होती है। उसी तरह अहीरवाल में कोसली हलका काफी महत्वपूर्ण रहता है। इस क्षेत्र की राजनीति दशकों से रामपुरा हाऊस बनाम एंटी रामपुरा हाऊस की रही है। रामपुरा हाऊस को इस क्षेत्र से मजबूत टक्कर ज्यादातर जगदीश यादव ने ही दी है। अब इनैलो की नजर इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरे अहीरवाल पर है। इनैलो नेता अभय चौटाला 29 अप्रैल को कोसली में एक कार्यकत्र्ता स मेलन का आयोजन करेंगे जिसमें युवा नेता विजय भूरथला को औपचारिक रूप से इनैलो ज्वाइन करवाई जाएगी। 

पूर्व सी.एम. ओमप्रकाश चौटाला की अहीरवाल क्षेत्र में मजबूत पकड़ रही है। वर्ष 1999 के विधानसभा चुनावों में अहीरवाल की 10 सीटों में से 6 सीटें इनैलो की झोली में गई थीं। इसके बाद चौटाला लगातार अहीरवाल में सक्रिय रहे। अहीरवाल में जाट बाहुल्य पूरी तरह इनैलो के साथ रहते हैं। कोसली हलके से इनैलो के पास जगदीश यादव के रूप में मजबूत नेता रहे हैं लेकिन अब वह इनैलो में सक्रिय नहीं हैं। उन्होंने कई बार रामपुरा हाऊस के प्रत्याशियों को सीधे टक्कर देने का काम किया है। 

जगदीश के निष्क्रिय होने के बाद इनैलो के लिए यह मैदान खाली हो चुका है। कांग्रेस के पास यादुवेंद्र यादव का इस हलके में कोई विकल्प नहीं है। गत विधानसभा चुनावों में हार के बाद से यादुवेंद्र अपने हलके में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। इसी कारण उन्हें आने वाले समय में कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। यही हाल इस क्षेत्र में सत्ताधारी पार्टी भाजपा का है। 

गत विधानसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह के भाजपा में विरोधी खेमे के प्रयासों से बिक्रम ठेकेदार को टिकट दिलवा दिया गया था। बिक्रम ठेकेदार एक कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे थे। विरोधी खेमा यह चाहता था कि बिक्रम चुनाव हारे और हार का ठीकरा राव के सिर पर फोड़ा जाए। विरोधियों का यह दाव उलटा पड़ गया था। 

राव के प्रयासों के कारण बिक्रम ठेकेदार न सिर्फ विधानसभा की चौखट पर कदम रखने में कामयाब रहे बल्कि उन्हें इंद्रजीत समर्थक होने के कारण मंत्री पद भी मिल गया। हालांकि बाद में उनके कार्यकलापों के चलते मंत्री पद से हटाकर इंद्रजीत के दूसरे समर्थक डा. बनवारी को मंत्री बना दिया गया। जनाधार के मामले में बिक्रम की स्थिति को देखते हुए भाजपा को इस बार कोसली में किसी दूसरे चेहरे को मैदान में उतारना पड़ सकता है। 

बसपा के साथ गठबंधन होने के बाद पहली बार अभय चौटाला अहीरवाल क्षेत्र में कार्यकत्र्ता स मेलन करने जा रहे हैं। इस हलके से वह विजय भूरथला को इनैलो ज्वाइन करवा सकते हैं। विजय भूरथला ने इस हलके से पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था। उस चुनाव में भूरथला ने करीब 16 हजार वोट लेकर सभी को चौंका दिया था। अगर उन्हें उस समय किसी पार्टी का साथ मिलता तो तस्वीर कुछ और ही हो सकती थी। 

भूरथला के इनैलो में आने के बाद पार्टी की इस हलके में स्थिति मजबूत हो जाएगी। इसका कारण यह है कि हलके में दलित वोटों की सं या भी कम नहीं है। बसपा से गठबंधन और भूरथला का व्यक्तिगत वोट बैंक इनैलो के लिए कारगर साबित हो सकता है। 
 

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