इनेलो को कांग्रेस-भाजपा से गुरेज, बसपा से गठबंधन की चर्चाओं पर बाजार गर्म

Edited By Deepak Paul, Updated: 06 Apr, 2018 01:55 PM

inelo greets congress bjp

विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही विभिन्न दलों में गठबंधन की चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। सबसे अधिक चर्चा इंडियन नैशनल लोकदल की है, जिसने कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर किसी भी दल से गठबंधन के रास्ते खुले होने की बात कही हुई है। इनेलो के बहुजन...

अम्बाला(ब्यूरो): विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही विभिन्न दलों में गठबंधन की चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। सबसे अधिक चर्चा इंडियन नैशनल लोकदल की है, जिसने कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर किसी भी दल से गठबंधन के रास्ते खुले होने की बात कही हुई है। इनेलो के बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन करने की चर्चाएं हैं। हालांकि सूत्र बताते हैं कि गठबंधन की बात अंतिम दौर में है, लेकिन गठबंधन होगा या नहीं यह समय के गर्भ में है। इनेलो के पास विकल्प बहुजन समाज पार्टी भी हो सकता है। बसपा का भी प्रदेश में बड़ा जनाधार नहीं रहा है परंतु दलित वोट बैंक पर उसका खास असर रहता है। अगर इनेलो के साथ उसका गठबंधन होता है तो इसका सीधा नुक्सान कांग्रेस पार्टी को हो सकता है। बसपा के बाद दलित वोट बैंक ज्यादातर कांग्रेस के पाले में चला जाता है। 

इसके अलावा आम आदमी पार्टी का इनेलो के प्रति नरम रुख के भी मायने निकाले जा रहे हैं। हिसार में आयोजित ‘आप’ की रैली में प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने व दूसरे नेताओं ने तीनों दलों पर निशाना साधा था, लेकिन अरविंद केजरीवाल के निशाने पर केवल भाजपा और कांग्रेस ही रही। उन्होंने इनेलो का जिक्र तक नहीं किया। इनेलो के प्रति केजरीवाल ने पूरी तरह ‘सॉफ्ट कॉर्नर’ रखा था। इनेलो ने भी ‘आप’ के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने से बचना शुरू कर दिया है। 

हालांकि अभी ‘आप’ का हरियाणा में व्यापक जनाधार नहीं है, लेकिन पार्टी के नेताओं ने पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत बनाने में ताकत लगा दी है। प्रदेश में पहली बार अपने दम पर सत्ता में आने वाली भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने के लिए पूरा दम लगाने को तैयार है। खट्टर सरकार ने 4 साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में पूरा जोर लगाया है। इसके बावजूद सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं। सरकार के खिलाफ होने वाले आंदोलनों से सफलतापूर्वक निपटने का सिलसिला चल रहा है। फिलहाल ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही कि भाजपा को अगले चुनाव में किसी क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन करना पड़े।

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