इंदुराज की जीत का अंतर जितना बढ़ेगा, इस सरकार के दिन उतने ही कम होंगे: दीपेंद्र हुड्डा

Edited By Isha, Updated: 31 Oct, 2020 03:25 PM

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बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार इंदुराज नरवाल की जीत का अंतर जितना बढ़ेगा, इस सरकार के दिन उतने ही कम होंगे। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। बरोदा उपचुनाव के लिए सांसद दीपेंद्र ने आज हलके के रिवाड़ा, मोई हुड्डा, महमूदपुर,...

गोहना (सुनील): बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार इंदुराज नरवाल की जीत का अंतर जितना बढ़ेगा, इस सरकार के दिन उतने ही कम होंगे। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। बरोदा उपचुनाव के लिए सांसद दीपेंद्र ने आज हलके के रिवाड़ा, मोई हुड्डा, महमूदपुर, सिवानका और निजामपुर में प्रचार किया और कांग्रेस उम्मीदवार इंदुराज नरवाल के लिए वोट मांगे। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि इस चुनाव में सिर्फ जीत नहीं बल्कि जीत का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है। इंदुराज की बड़ी जीत पूरे हरियाणा की जीत होगी और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का आधार बनेगी। 

दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज पूरा हरियाणा बरोदा की तरफ देख रहा है। ख़ासतौर पर किसान-मजदूर चाहता है कि प्रदेश को जल्द इस सरकार से छुटकारा मिले। क्योंकि ये सरकार उनपर एक के बाद एक किसान विरोधी क़ानून थोपने में लगी है। तीन कृषि क़ानूनों के बाद अब सरकार एक और क़ानून लेकर आई है। इसमें प्रावधान किया गया है कि पराली जलाने पर किसान को 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की सज़ा हो सकती है। राज्यसभा सांसद ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि हम पराली जलाने के ख़िलाफ़ हैं। कोई किसान नहीं चाहता कि वो अपने खेत को आग के हवाले करे। लेकिन किसानों को प्रताड़ित करने वाले क़ानून बनाने से पहले सरकार को पराली का कोई सरल समाधान बताना चाहिए। किसानों पर इतने कड़े क़ानून लागू करने से पहले सरकार को समस्या के समाधान का तरीका सुझाना चाहिए या किसानों को पराली की एवज में आर्थिक मदद देनी चाहिए। 

दीपेंद्र ने आशंका जताई कि अगर किसान के ख़िलाफ़ सज़ा के इतने कड़े प्रावधान किए जाएंगे तो ऐसे क़ानूनों का नाजायज इस्तेमाल भी हो सकता है। क्योंकि किसान का खेत खुले आसमान के नीचे होता है और वो अपने खेत को चारदिवारी या ताला नहीं लगा सकता। अगर कोई रंजिश या शरारतवश किसी की पराली में आग लगा देता है तो किसी भी किसान की ज़िंदगी बर्बाद हो सकती है। इसलिए सरकार को ऐसे तुग़लकी फरमान सुनाने से पहले समस्या की गंभीरता को समझना चाहिए। फिर भी अगर इस सरकार को नए क़ानून बनाने का इतना ही शौक है तो उसे सबसे पहले एमएसपी की गारंटी का क़ानून बनाना चाहिए। मजबूरी में पराली जलाने वाले किसानों की बजाय किसान की फसल को एमएसपी से कम रेट पर ख़रीदने वालों को सज़ा देनी चाहिए।

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