मौसम बदलाव से बढ रही बीमारियां, बीके अस्पताल में हर रोज पहुंच रहे 2 हजार मरीज

Edited By Isha, Updated: 23 Sep, 2019 11:14 AM

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इन दिनों मौसम में हो रहे बदलाव से शहर में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। बीके अस्पताल में लगी मरीजों की कतारें साफ बयां कर रही हैं कि मरीजों को लंबे इंतजार के बाद उपचार......

फरीदाबाद (सुधीर राघव): इन दिनों मौसम में हो रहे बदलाव से शहर में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। बीके अस्पताल में लगी मरीजों की कतारें साफ बयां कर रही हैं कि मरीजों को लंबे इंतजार के बाद उपचार मिल रहा है। लेकिन अस्पताल के मेडिकल स्टोर में खांसी, ताकत, आयरन, सर्दी, एलर्जी आदि की दवाइयां नहीं होने से मरीजों की परेशानियां बढ़ती जा रही है। मरीजों को दवाइयां बाजार से खरीदनी पड़ रही है।अस्पताल ओपीडी में हर रोज 2000 मरीज पहुंच रहे है।

लगातार बढ़ रहे वायरल, मलेरिया के बाद अब डेंगू मरीज भी सामने आने लगे हैं। वहीं पीएमओ डॉ सविता यादव का कहना है कि यहां कम समय में बेहतर सुविधा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन अचानक वायरल पीड़ितों की संख्या बढऩे के कारण रजिस्ट्रेशन से लेकर ओपीडी तक में भीड़ बढ़ गई है। पंजाब टीम ने शनिवार सुबह 10 बजे से 1 बजे तक अस्पताल का जायजा लिया, जहां रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर ओपीडी और औषधालय पर लंबी कतारें देखने को मिली। सुबह 11 बजे बीके अस्पताल में रजिस्ट्रेशन के करीब 5 काउंटर हैं।

यहां सुबह 10 बजे करीब 100 मरीजों की भीड़ थी। इनमें से कइयों का कहना था कि वह सुबह 9 बजे से यहां कार्ड के लिए खड़े हैं। वहीं कुछ ने कहा, वह सुबह 8 बजे से लाइन में लगे हैं। हालात यह थे कि मरीज समय पर डॉक्टर की ओपीडी तक पहुंचने के लिए परेशान थे। लेकिन ओपीडी कार्ड की लाइन होने के चलते एक घंटे से अधिक समय लग गया। दोपहर 12 बजे ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों की भारी भीड़ तो थी ही, जनरल ओपीडी के सामने 50 से अधिक मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान कई बुखार से तड़प रहे थे।

खासकर पांच तक के बच्चे, लेकिन उन्हें डॉक्टर तक पहुंचने के लिए 2 से 3 घंटे तक का समय लग गया। उनका कहना था कि पहले ओपीडी कार्ड बनवाने में लाइन और अब डॉक्टर से दिखाने के लिए दो से ढ़ाई घंटे तक का वक्त ने परेशान कर दिया। लेकिन उन्हें बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं मिली। ऐसे में उल्टी, वायरल से पीड़ित मरीज फ र्स पर बैठे या लेटे ही इंतजार करते रहे। बीच-बीच में आपस में ही सरकारी इंतजामों को कोसते नजर आए। दोपहर 1 बजे गायनी ओपीडी में गर्भवतियों की काफी भीड़ रही।

यहां करीब 50 से 60 महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती रहीं। उनका कहना था कि एक ही डॉक्टर उपचार कर रही हैं। इससे लंबा वक्त लग रहा है। उन्होंने बताया यह समस्या यहां आए दिन रहती है। डॉक्टर की कमी के चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। जानकारी के अनुसार यहां स्वीकृत 55 डॉक्टरों में से महज 31 चिकित्सक कार्यरत हैं, इनमें से भी 3 निजी व अन्य कारणों से छुटटी पर रहते हैं। 5 डॉक्टरों को एडमिनिस्ट्रेशन की ड्यूटी लगाई गई है। बाकी बचे 23 डॉक्टर यहां रोजाना 2 हजार मरीजों को रहे हैं। लिहाजा वह उनसे नब्ज कम, मर्ज पूछकर दवाई लिख रहे हैं।

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