Edited By Deepak Paul, Updated: 27 May, 2018 10:50 AM
हरियाणा के किशोरों में आपराधिक प्रवृत्ति बड़ी तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में बच्चों (18 से कम आयु) द्वारा अपराध किए जाने की घटनाओं में खासी बढ़ौतरी हुई है। वर्ष 2014 से 2016 के बीच के आंकड़े बताते हैं कि ये वृद्धि पड़ोसी राज्य पंजाब तथा...
चंडीगढ़(संजीव): हरियाणा के किशोरों में आपराधिक प्रवृत्ति बड़ी तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में बच्चों (18 से कम आयु) द्वारा अपराध किए जाने की घटनाओं में खासी बढ़ौतरी हुई है। वर्ष 2014 से 2016 के बीच के आंकड़े बताते हैं कि ये वृद्धि पड़ोसी राज्य पंजाब तथा हिमाचल के मुकाबले काफी ज्यादा है। यूं तो जनसंख्या के हिसाब से हरियाणा का देश में 17वां स्थान है लेकिन किशोरों द्वारा अपराधों को यदि लिया जाए तो प्रदेश का नंबर 9वां है।
वर्ष 2016 में राज्य में किशोरों के खिलाफ 1,186 केस दर्ज किए गए जिनमें हत्या व बलात्कार के मामले भी शामिल थे। इसके पूर्व के वर्षों 2015 तथा 2014 में ये संख्या क्रमश: 1,098 और 1,041 थी। इस बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति के विषय में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम.एस. मलिक का कहना है कि इसके कारण तो कई हैं लेकिन 3 प्रमुख बातें ये हैं कि आजकल बच्चों को न तो स्कूलों में और न ही परिवारों में नैतिक शिक्षा मिलती है। बच्चे सीरियलों, फिल्मों व खबरों इत्यादि में मिलने वाले नकारात्मक किरदारों को ही अपना आदर्श मान बैठते हैं और उन्हीं की नकल करने लगते हैं।
इसके अलावा जल्दी पैसा कमाने की लालसा और नशे की लत किशोरों को अपराध की अंधेरी दुनिया में धकेल देती हैं। अपराध में पकड़े गए बच्चों को सुधारने के नाम पर एन.जी.ओ. द्वारा चलाए जा रहे सुधार घरों में भेज दिया जाता है जिनमें से अधिकांश की हालत खुद ही बहुत खराब है। रोहतक की जसवंती देवी के एन.जी.ओ. का उदाहरण सबके सामने है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के अनुसार हरियाणा के मुकाबले पड़ोसी राज्यों के किशोरों में आपराधिक प्रवृत्ति कम देखने को मिलती है। ''