सरकारी खरीद न होने पर औने-पौने दामों पर खरीदी जा रही किसानों की अमूल्य फसल

Edited By Shivam, Updated: 22 Nov, 2019 05:47 PM

in absence of government procurement farmers are getting loss

लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में जहां केंद्र सरकार द्वारा साल 2022 तक किसानों की आय दो गुना बढ़ाने की दावे कर रही थी, उसी केंद्र सरकार के घोषणा पत्र की जमीनी हकीकत हरियाणा के सोहना की अनाजमंडी में देखने को मिली है। जहां पर किसानों की धान की फसल पिछले...

सोहना(सतीश): लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में जहां केंद्र सरकार द्वारा साल 2022 तक किसानों की आय दो गुना बढ़ाने की दावे कर रही थी, उसी केंद्र सरकार के घोषणा पत्र की जमीनी हकीकत हरियाणा के सोहना की अनाजमंडी में देखने को मिली है। जहां पर किसानों की धान की फसल पिछले साल की अपेक्षा इस बार औने पौने दामों पर खरीदी जा रही है। वहीं कपास के दाम भी पिछली साल की अपेक्षा कम दिए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि अबकी बार हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की धान व कपास की खरीद नहीं की जा रही है। जिसके चलते वयापारी मनमर्जी तरीके से औने-पौनेदामो में किसान की धान व कपास की फसल को खरीद रहे हैं। जहां पिछले साल किसान का धान 35-36 सौ रुपये प्रति क्विंटल खरीदा गया था।

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वहीं धान अबकी बार व्यापारी 18 सौ दो हजार रुपये क्विटल के हिसाब से खरीद रहे हैं। कपास की फसल पिछले साल 55-56 सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी गई थी, लेकिन अबकी बार पांच हजार से ऊपर नहीं खरीदी जा रही।

इस परिस्थितियों में किसान अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है। किसानों के इस गंभीर मुद्दे पर मार्किट कमेटी के सचिव ने बताया कि जिस धान की पैदावर यहां पर होती है, उसको सरकार नहीं खरीदती। किसानों की कपास भी सरकार द्वारा नहीं खरीदी जा रही है, व्यापारी ही किसानों के धान व कपास को खरीद रहे हैं।

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