Edited By Isha, Updated: 08 Mar, 2020 01:55 PM
आज के समय में जहां लोग परेशानियों और संघर्ष से हार मान लेते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो संघर्ष में ढलकर जीवन को निखारते हैं। परेशानियों से सामना कर, उनसे लड़कर अपनी राह चुनते.......
मंडी आदमपुर (भारद्वाज) : आज के समय में जहां लोग परेशानियों और संघर्ष से हार मान लेते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो संघर्ष में ढलकर जीवन को निखारते हैं। परेशानियों से सामना कर, उनसे लड़कर अपनी राह चुनते हैं। जहां आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं चूल्हे-चौके से बाहर नहीं आ पाती, वहां गांव खैरमपुर की करीब लक्ष्मी देवी (40) ने मिसाल पेश की है। पति की कमाई से घर का गुजारा न चलने पर लक्ष्मी देवी ने पति के साथ मिलकर परिवार के लालन-पालन की जिम्मेदारी खुद संभाली।
लक्ष्मी देवी के पति रामनिवास मेहनत-मजदूरी का कार्य करता था लेकिन उस कमाई में घर का गुजारा नहीं चल पाता था। जिस पर लक्ष्मी ने पति का साथ देने के लिए स्वयं काम करने की ठानी। लक्ष्मी देवी ने पहले चूडिय़ां बेचने का काम शुरू किया लेकिन उसमें सफलता न मिलने पर मेलों में स्टॉल लगाई और मेलों में अपने बनाए मिट्टी व लकड़ी के खिलौने बेचे लेकिन सफलता उस काम में भी हाथ न लगी।
करीब 6 साल पहले लक्ष्मी ने पति के साथ मिलकर सर्विस स्टेशन खोलने की ठानी और आदमपुर-अग्रोहा बाईपास पर लक्ष्मी सॢवस स्टेशन के नाम से काम शुरू कर गाडिय़ां, मोटर साइकिल आदि धोने का काम शुरू कर लिया। पहले केवल वे दोनों पति-पत्नी ही मिलकर काम करते थे, बाद में जब काम बढऩे लगा तो उन्होंने काम करने के लिए एक हैल्पर भी रख लिया।
हार नहीं माननी चाहिए : लक्ष्मी देवी
लक्ष्मी देवी का कहना है कि बुरा वक्त हर इंसान के जीवन में आता है लेकिन अगर काम करने का हौसला और मन में विश्वास हो तो वह ज्यादा दिन नहीं टिकता। महिलाओं को हमेशा समाज में कमतर आंका जाता है, लेकिन मैं सोचती हूं कि जितना हक पुरुष का है उतना ही महिला का अगर महिला ठान ले तो वह कुछ भी कर सकती है। आज अपने पति के साथ सॢवस स्टेशन का कार्य करने से मैं खुश हूं। मैं महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि संघर्ष और तकलीफों से कभी हार नहीं माननी चाहिए।