Edited By Deepak Paul, Updated: 08 Feb, 2019 07:22 PM
कई सालों से अपनी मांगों का पूरा होने का इंतजार करते हुए वकीलो का धैर्य अब अब जवाब दे गया है...
चंडीगढ़ (सुनिल कुमार): कई सालों से अपनी मांगों का पूरा होने का इंतजार करते हुए वकीलो का धैर्य अब अब जवाब दे गया है। जिसके चलते अब वकीलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर ली है। जिसकी घोषणा बार कौंसिल ऑफ़ पंजाब हरियाणा के चेयरमैन विजेंद्र अहलावत ने एक प्रेस वार्ता के दौरान दी।
अहलावत ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वकीलों और याचिकाकर्ताओं के लिए योजना बनाने की अपील की थी। मिश्रा के पत्र पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं आई जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सभी स्टेट बार काउंसिल के प्रतिनिधि, सभी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की एक बैठक दिल्ली में संपन्न हुई।
2 फरवरी को आयोजित इस बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी की गई है। इसके तहत सभी बार एसोसिएशन 11 फरवरी को जनरल बॉडी की बैठक करेंगे और मांंगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र देंगे। 12 फरवरी को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वकील हाईकोर्ट से गवर्नर हाऊस तक पैदल मार्च करेंगे ओर हरियाणा पंजाब के राज्यपाल को मेमोरेंडम दिया जाएगा।
सभी जिला स्तर पर वकील अपनी मांगों को लेकर मांग पत्र देंगे।
उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में सभी दलों से अपने घोषणा पत्र में वकीलों के लिए आवास, चिकित्सा, बीमा, पेंशन आदि को रखने की भी मांग की जाएगी। 12 फरवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रोटेस्ट किया जायगा। पंजाब, हरियाणा, व एनसीआर के वकील बार कौन्सिल प्रोटेस्ट में शामिल होंगे। 12 फरवरी को वर्क ससपेंड रखा जाएगा। प्रेस वार्ता के दौरान बार काउंसिल के पूर्व प्रधान जयवीर यादव, प्रताप सिंह रणवीर सिंह ,राकेश गुप्ता जयवीर यादव, सचिव एच एस बराड़ सुवीर सिधू मौजूद थे।
यह है बार काउंसिल की मांग
देश की सभी बार एसोसिएशन में पर्याप्त बिल्डिंग, वकीलों को बैठने का स्थान, लाईब्रेरी, ई लाईब्रेरी, इंटरनेट आदि की सुविधा मुहैया करवाई जाए।
केंद्र सरकार वकीलों और याचिकाकर्ताओं के कल्याण के लिए बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान करे।
वकील व उनके परिवार का बीमा करवाया जाए।
नए और जरूरतमंद वकीलों को पहले पांच साल तक मदद के रूप में 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाए।
किसी हादसे की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए।
बजट प्रावधान की राशि राज्यों के अनुरूप बांट दी जाए और राज्य बार काउंसिल और एजी को इसके उपयोग की जिम्मेदारी दी जाए।
विभिन्न ट्रिब्यूनल, फोरम, कमिशन आदि में पूर्व जजों के अतिरिक्त योग्य वकीलों को भी सदस्य बनाने का प्रावधान किया जाए।
टोल टैक्स पर वकीलों को टैक्स की छूट