Edited By Shivam, Updated: 27 Feb, 2019 11:05 AM
भगवान मुझे दूसरा जन्म दे तो बेटा भी गुरसेवक जैसा ही दे। शहीद गुरसवेक के पिता सुच्चा सिंह निवासी गरनाला ने यह बात मंगलवार को एयरफोर्स द्वारा पाकिस्तानी आतंकियों पर किए गए सॢजकल स्ट्राइक के बाद नम आंखों से ब्यां की। शहीद के पिता ने यहां...
अम्बाला (बलविंद्र): भगवान मुझे दूसरा जन्म दे तो बेटा भी गुरसेवक जैसा ही दे। शहीद गुरसवेक के पिता सुच्चा सिंह निवासी गरनाला ने यह बात मंगलवार को एयरफोर्स द्वारा पाकिस्तानी आतंकियों पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नम आंखों से ब्यां की। शहीद के पिता ने यहां तक बोल दिया कि यदि सरकार देश सेवा में उसकी शहादत भी ले तो वह पीछे नहीं हटेंगे। गौरतलब है कि 2 जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में गुरसेवक शहीद हो गया था। गुरसेवक की शहादत के बाद पूरा परिवार टूट सा गया है।
एक तरफ जहां पिता को बेटे की शहादत पर गर्व है तो वहीं बेटे को खो देने का गम भी अपने सीने में दफन किए हैं। मंगलवार को पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर किए गए एयरफोर्स हमले से उन्हें सुकून मिला। उन्होंने बताया कि उनका दूसरा बेटा भी देश सेवा कर रहा है। देश सेवा करने व आतंकियों के खिलाफ लडऩे के लिए शहीद के पीड़ित पिता ने सरकार से अपील की है कि यदि उसे आंतकियों की तरह सुसाइड बम्बर बनाकर पाकिस्तान में भेजा जाए तो वे देश सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने में पीछे नहीं हटेंगे।
देश के जवानों ने बदला लेकर रचा इतिहास
पाकिस्तान पर हुए एयर अटैक को लेकर गांव तेपला के शहीद विक्रम सिंह की माता कमलेश कौर, पिता बलविंद्र सिंह व भाई मोनू सिंह जो इस समय फौज में है, ने बताया कि आज हमारा कलेजा ठंडा हुआ है, जब हमारे फौजियों ने पुलवामा में शहीद हुए जवानों का बदला लिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोगों को भी अब पता चलेगा कि किसी के मरने का क्या दर्द होता है। ज्ञात रहे कि शहीद विक्रम सिंह कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।
सरपंच तेपला सुमनीत कौर व समाज सेवी इंद्रजीत सिंह तेपला ने बताया कि हमारे गांव के युवाओं में देश की रक्षा करने का एक जज्बा है उन्होंने कहा कि हमारे गांव तेपला से लगभग 250 बच्चे फौज में हैं और जो बच्चे जवान हो रहे हैं वे भी देश पर मर मिटने की कसम लेते हैं और कहते हैं कि बड़े होकर हम भी फौज में भर्ती होंगे और देश की सेवा करेंगे। गांव तेपला क्षेत्र में महज ऐसा गांव जिसमें फौजी परिवारों की संख्या सबसे अधिक है।