सरकार ने वादाखिलाफी की तो जाट दोबारा से करेंगे दिल्ली कूच: मलिक

Edited By Updated: 18 May, 2017 01:01 PM

if government neglect of promise then jats will go to delhi

गांव गगसीना में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की जिलास्तरीय बैठक हुई, जिसमें इंद्री-घरौंडा व बल्ला के जाटों ने हिस्सा

घरौंडा(विवेक राणा):गांव गगसीना में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की जिलास्तरीय बैठक हुई, जिसमें इंद्री-घरौंडा व बल्ला के जाटों ने हिस्सा लिया। वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक का यहां पहुंचने पर फूल मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया गया। मलिक ने कहा कि जाट अपना कानूनी अधिकार मांग रहे हैं। जाटों के खिलाफ साजिश रची गई थी कि यदि जाटों को आरक्षण मिला तो ये बहुत आगे बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि जाटों को 2014 में आरक्षण मिला और 2015 में छीन लिया गया। यदि फौज की भांति न्यायपालिका में भी उनकी भागेदारी होती तो उनके साथ अन्याय न होता। उन्होंने कहा कि चौधरी छोटूराम का एक फार्मूला है कि भले ही हमारे युवा चुनकर संसद में कम संख्या में चले जाए, लेकिन आईएएस व आईपीएस में कम नहीं जाने चाहिए। वहीं प्रदेश महासचिव अशोक बल्हारा ने भी आरक्षण के दौरान समुदाय के साथ हुई घटनाओं को लेकर सरकार व प्रशासन को खरीखोटी सुनाई। इतना ही नहीं, जाट नेताओं ने न्यायपालिका पर भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि न्यायालय को सरकार की रिपोर्ट पर भरोसा करना चाहिए था। 

मलिक ने कहा कि समुदाय आरक्षण की मांग पर डटा हुआ है और सरकार पर विश्वास है कि उनकी मांगें जल्दी ही पूरी की जाएगी। यदि सरकार किसी प्रकार की वादाखिलाफी करती है तो जाट समुदाय दोबारा से दिल्ली कूच करने में गुरेज नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि 1 व 4 जून को प्रदेशकारिणी की बैठक है और उसमें आरक्षण के मुद्दों के बारे में बताया जाएगा। वहीं उन्होंने मुनक हेड की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के सवाल पर कहा कि हाईकोर्ट की अपनी मानसिकता है। मुरथल केस में हाईकोर्ट अपनी पर्सनल इगो बनाए बैठा है, जबकि वहां से कुछ भी नहीं निकल रहा है। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि सरकार की जांच पर भरोसा रखें क्योंकि सरकार में भी काफी काबिल अधिकारी बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि एक जज ने टिप्पणी की थी, आज वह जेल में है। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की कि वे इस मामले को आंदोलन की दृष्टि से देखें, क्योंकि यह कोई अपराधिक मामला नहीं था। उन्होंने कोर्ट को नसीहत देते हुए कहा कि आरक्षण आंदोलन होने से पहले जिन नेताओं ने ब्यानबाजी की थी, उन पर भी हाईकोर्ट संज्ञान ले लें। उन्होंने कहा कि सांसद राजकुमार सैनी भी राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं और जिससे देश का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। पिछली सरकार में भी इस प्रकार का काम हो रहा था और मौजूद सरकार में भी, लेकिन इन राजनीतिक लड़ाईयों से किसी नेता का कुछ भी नहीं बिगड़ा है। 
 

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