Edited By Updated: 15 Mar, 2017 07:55 PM
जाटों की सभी मांगें संविधान के दायरे में है और सरकार को हठ धर्मी छोड़ अपना वादा निभाना चाहिए। उक्त विचार अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष...
गुहला-चीका (जे.बी. गोयल):जाटों की सभी मांगें संविधान के दायरे में है और सरकार को हठ धर्मी छोड़ अपना वादा निभाना चाहिए। उक्त विचार अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने गांव भागल में धरने के 15वें दिन पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहे। मलिक ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि फरवरी 2016 में जाट आंदोलन के दौरान जिन युवकों ने अपने प्राण गवाएं है उनको सरकारी नौकरी दी जाएगी। जेलों में बंद युवाओं की रिहाई सहित सभी आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापिस लिए जाएंगे और कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन किसी भी मांग को सरकार द्वारा अब तक पूरा न किए जाने से जाटों द्वारा आरक्षण के लिए आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ा है। यशपाल मलिक ने कहा कि जब हिंदु, मुस्लीम दंगा पीडि़तों को मुआवजा दिया जा सकता है तो जाट आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों को मुआवजा देने में आनाकानी क्यों? पत्रकारों द्वारा यह पूछने पर कि दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में ट्रैक्टर-ट्राली के प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी के सवाल के जवाब में कहा कि जाटों के पास ट्रैक्टर कि सिवाय दूसरा कोई परिवहन का कोई साधन नहीं है। सभी रास्ते बंद होने पर अगले विकल्प के लिए मौके पर स्थिति के अनुसार विचार किया जाएगा लेकिन संसद का घेराव हर कीमत पर किया जाएगा। मलिक ने उत्तरप्रदेश में उनके पैतृक विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की हुई जीत पर सफाई देते हुए कहा कि स्थानीय समीकरणों की वजह से उनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत हुई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जाट समाज से वादा किया था कि यू.पी. चुनावों के बाद जाटों की आरक्षण सहित सभी मांगों को पूरा किया जाएगा, लेकिन सरकार के पास अब तीन दिन का समय है और अगर समय रहते सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया तो ठीक अन्यथा संसद का घेराव तो हर कीमत पर किया जाएगा।