मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन की टिप्पणी, डी.सी. को पद पर रहने का हक नहीं

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 22 Sep, 2018 12:15 PM

human rights commission chairman s remarks

हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस एस.के. मित्तल ने कैंसर पीड़ित को आर्थिक मदद दिए जाने के मामले में लापरवाही बरतने पर पानीपत की डी.सी. को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जो डी.सी. एस.डी.एम. व सी.एम.ओ. से रिपोर्ट नहीं.....

सोनीपत(दीक्षित): हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस एस.के. मित्तल ने कैंसर पीड़ित को आर्थिक मदद दिए जाने के मामले में लापरवाही बरतने पर पानीपत की डी.सी. को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जो डी.सी. एस.डी.एम. व सी.एम.ओ. से रिपोर्ट नहीं ले सकता, उसे पद पर बने रहने का कोई हक नहीं। उन्होंने हैरानी जताई कि आखिर संवेदनशील मामलों में अधिकारी टालमटोल का रवैया कैसे अपना सकते हैं। 

यही नहीं, उन्होंने डी.सी. को आदेश जारी किए कैंसर पीड़ित को शीघ्र आर्थिक मदद देकर उसकी सहायता की जाए। जस्टिस एस.के. मित्तल सोनीपत के ए.डी.आर. भवन में लोक अदालत लगाकर प्रदेशभर के लोगों की शिकायतें सुन रहे थे। इस दौरान उनके साथ आयोग के सदस्य जस्टिस के.सी.पुरी व आयोग के दूसरे सदस्य दीप भाटिया मौजूद रहे। आयोग की बैंच ने प्रदेशभर की 24 शिकायतें सुनीं। ज्यादातर शिकायतें ऐसी आईं जिनमें अधिकारियों की लापरवाही पाई गई। जस्टिस मित्तल ने कई मामलों पर न केवल फटकार लगाई बल्कि अधिकारियों को तलब भी किया। 

पानीपत से पहुंचे शिकायतकर्ता जयनारायण ने शिकायत में बताया कि वह सालभर से कैंसर से पीड़ित है। आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण वह इलाज करवाने में समर्थ नहीं है। ऐसे में उसने प्रशासन से गुहार लगाई थी कि उसकी आर्थिक मदद की जाए लेकिन महीनों इंतजार के बाद भी उसे आर्थिक मदद जारी नहीं की गई। इस मामले को मानवाधिकार आयोग के सामने ले जाया गया और डी.सी. सुमेधा कटारिया से रिपोर्ट मांगी गई तो डी.सी. की रिपोर्ट हैरान करने वाली रही। डी.सी. ने रिपोर्ट में हवाला दिया कि एस.डी.एम. व सी.एम.ओ. को जयनारायण की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था लेकिन इन अधिकारियों ने रिपोर्ट पेश नहीं की, जिसके कारण पीड़ित को मुआवजा नहीं दिया जा सका। 

जस्टिस एस.के. मित्तल ने मामले की सुनवाई करते हुए हैरानी जताई कि कोई आई.ए.एस. अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों से रिपोर्ट नहीं ले सकता तो उसे अपने पद पर बने रहने का हक नहीं क्योंकि वास्तव में वह इस पद के लायक ही नहीं है। उन्होंने लोक अदालत में पहुंचे डी.सी. के प्रतिनिधि को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश दिए गए कि इस मामले में शीघ्रता से मेडिकल रिपोर्ट मंगवाकर पीड़ित की मदद की जाए। 
 

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