कोरोना संकट में मुकदमबाजी को नियंत्रित करने के लिए हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, निर्देश जारी

Edited By Shivam, Updated: 09 May, 2021 11:05 PM

high court takes automatic cognizance

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप और इसके परिणाम स्वरूप पैदा हुए गंभीर हालात के मद्देनजर स्वत: संज्ञान लेते हुए, कुछ जरूरी निर्देश जारी किए हैं ताकि इस संकट के समय में मुकदमेबाजी को कुछ समय के लिए नियंत्रित किया जा...

चण्डीगढ़ (धरणी): पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप और इसके परिणाम स्वरूप पैदा हुए गंभीर हालात के मद्देनजर स्वत: संज्ञान लेते हुए, कुछ जरूरी निर्देश जारी किए हैं ताकि इस संकट के समय में मुकदमेबाजी को कुछ समय के लिए नियंत्रित किया जा सके। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में भारत के अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तथा पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ताओं के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल के सुझावों पर अमल करते हुए ये निर्देश जारी किए हैं, जो पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पर लागू होंगे। इससे न केवल महामारी के दौरान न्यायालयों का काम का बोझ कम होगा बल्कि विभिन्न मामलों से सम्बन्धित आमजन को भी कुछ राहत मिलेगी।

उच्च न्यायालय द्वारा 8 मई, 2021 को जारी निर्देशों में कहा गया है कि इस न्यायालय द्वारा या इसके अधीन किसी अन्य न्यायालय या किसी पारिवारिक न्यायालय या श्रम न्यायालय या किसी ट्रिब्यूनल या किसी अन्य न्यायिक अथवा अर्ध-न्यायिक फोरम, जो इस न्यायालय के अधीक्षण के तहत आता हो, द्वारा जारी सभी अंतरिम आदेश या निर्देश या मुहैया करवाई गई सुरक्षा समेत ऐसी कार्रवाई में पार्टियों द्वारा अनुपालना के लिए जारी कोई आदेश, जो आज विद्यमान है, 30 जून, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा ये भी निर्देश दिए गए हैं कि इस न्यायालय या इसके अधीन किसी अन्य न्यायालय के अंतरिम आदेश या निर्देश, जो सीमित अवधि के लिए नहीं हैं और अगले आदेशों तक लागू रहने हैं, किसी विशेष मामले में संबंधित न्यायालय द्वारा संशोधित, परिवर्तित या रद्द किए जाने तक लागू रहेंगे। निर्देशों में आगे कहा गया है कि किसी भी सिविल कोर्ट या किसी अन्य फोरम के समक्ष लंबित किसी भी मुकदमे या कार्रवाई में लिखित विवरण या रिटर्न दाखिल करने का समय, जब तक कि विशेष रूप से निर्देशित न किया गया हो, भी 30 जून, 2021 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि यह पार्टियों को 30 जून, 2021 से पहले इस तरह के लिखित-बयान या रिटर्न दाखिल करने से प्रतिबन्धित नहीं करेंगे।

उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों में आगे कहा गया है कि इस न्यायालय द्वारा या इसके अधीन किसी अन्य न्यायालय या किसी ट्रिब्यूनल अथवा न्यायिक या अर्ध-न्यायिक फोरम द्वारा पारित निष्कासन, बेदखली, विखंडन आदि के आदेश, जो अभी तक गैर-निष्पादित हैं, 30 जून, 2021 तक स्थगित रहेंगे। इसी तरह, उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत संबंधी आवेदनों में दी गई अंतरिम सुरक्षा, जो अब से 30 जून, 2021 तक खत्म हो रही है, 30 जून, 2021 तक बढ़ा दी गई है। हालांकि, ऐसी अंतरिम सुरक्षा पर अभियुक्त के आचरण से असंतुष्ट कोई भी पक्ष ऐसी अंतरिम सुरक्षा को खत्म करवाने के लिए मामले को संबंधित न्यायालय में ले जा सकता है। संबंधित न्यायालय मामले पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होगा।

इसी तरह उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालयों द्वारा आपराधिक दंड संहिता की धारा 439 के तहत प्रदान की गई सभी तरह की अंतरिम जमानतें, जिनकी समय-सीमा अब से 30 जून, 2021 तक समाप्त हो रही है, 30 जून, 2021 तक जारी रहेंगी। शर्त यह है कि कोई भी अभियुक्त ऐसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और यदि वह ऐसा करता पाया जाता है तो राज्य या शिकायतकर्ता के आग्रह पर, संबंधित न्यायालय द्वारा प्रदान की गई ऐसी स्वतंत्रता के दुरुपयोग के उपयुक्त प्रमाण के साथ आवेदन करने पर इसे रद्द किया जा सकता है। न्यायालय के निर्देशानुसार आपराधिक क्षेत्राधिकार का उपयोग करके किसी न्यायालय द्वारा पारित आदेश द्वारा किसी व्यक्ति को दी गई पैरोल, जो आज से 30 जून, 2021 तक की समय-सीमा में समाप्त हो रही है, 30 जून, 2021 तक बढ़ा दी गई है।

उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों में यह भी कहा गया है कि यदि किसी संज्ञेय अपराध में 7 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है तो ऐसे मामले में, जब तक कि कानून व्यवस्था कायम रखने या किसी अन्य आपात मामले में जरूरी न हो, पुलिस द्वारा आपराधिक दंड संहिता की धारा 41 के प्रावधान का पालन किए बिना 30 जून, 2021 तक अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, इन निर्देशों को गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्ति पर प्रतिबंध के रूप में न समझकर कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दृष्टिगत मौजूदा हालात का सामना करने के उद्देश्य से एक सलाह के रूप में माना जाना चाहिए।

निर्देशों में आगे कहा गया है कि पंजाब व हरियाणा की राज्य सरकारें, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ या इनका कोई विभाग या नगर निगम या परिषद, बोर्ड या कोई ग्राम पंचायत या कोई अन्य स्थानीय निकाय या कोई अन्य एजेंसी किसी भी ऐसी संपत्ति के संबंध में बेदखली और विखंडन की कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिस पर आज से 30 जून, 2021 तक किसी भी नागरिक या व्यक्ति या पक्ष या किसी भी निगमित निकाय का भौतिक या प्रतीकात्मक कब्जा है। इसी तरह, 30 जून, 2021 तक कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था किसी भी नागरिक या व्यक्ति या पार्टी या किसी भी निगमित निकाय की संपत्ति के संबंध में नीलामी की कार्रवाई नहीं करेगी।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों में आगे कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा या केंद्र शासित चंडीगढ़ की सरकारें या इनके किसी विभाग या पदाधिकारी, केंद्र सरकार या इसके किसी विभाग या पदाधिकारी या किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या किसी सार्वजनिक या निजी कंपनी या फर्म या किसी व्यक्ति द्वारा, इस न्यायालय या इसके अधीनस्थ किसी अन्य न्यायालय या ट्रिब्यूनल के आदेश द्वारा अब से 30 जून, 2021 तक की समय-सीमा में समाप्त होने वाली अवधि के दौरान कोई विशेष कार्य किया जाना या किसी निर्देश का पालन करना आवश्यक है, तो ऐसे आदेश के अनुपालन का समय 30 जून, 2021 तक बढ़ाया गया है, जब तक कि संबंधित न्यायालय द्वारा विशेष रूप से अन्यथा कोई निर्देश न दिए गए हों। निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि जो अंतरिम आदेश या निर्देश सीमित अवधि के लिए नहीं हैं और अगले आदेशों तक प्रभावी रहने हैं, वे इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।

इन निर्देशों में आगे कहा गया है कि यदि इस न्यायालय द्वारा पारित मौजूदा आदेश के अनुसार अंतरिम आदेश के विस्तार से किसी भी पक्ष को अनुचित परेशानी या हानि होती है तो ऐसे पक्ष को सक्षम न्यायालय, ट्रिब्यूनल, न्यायिक या अर्ध-न्यायिक फोरम के समक्ष उपयुक्त आवेदन करके उचित राहत मांगने की स्वतंत्रता होगी और ये निर्देश किसी भी असंतुष्ट पक्ष द्वारा दायर ऐसे आवेदन पर विचार करने के लिए ऐसे न्यायालयों या फोरम के लिए प्रतिबंध नहीं माने जाएंगे। ऐसे मामलों पर मेरिट के हिसाब से विचार किया जाएगा और दूसरे पक्ष को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा।

हालांकि, ये निर्देश इन दोनों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ या केंद्र सरकार को किसी भी ऐसे आदेश को रद्द करने या संशोधित करने से नहीं रोकेंगे, जिससे सार्वजनिक हित पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो। सभी न्यायालयों, ट्रिब्यूनलों, न्यायिक और अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों को इन निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी गई है और इन निर्देशों के तहत कवर होने वाली राहत प्राप्त करने वाले पक्षों को सक्षम न्यायालय या फोरम के समक्ष इस आदेश की हार्ड या सॉफ्ट कॉपी दायर करने के बाद उचित लाभ दिया जाएगा।

इन आदेशों को न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने तथा इस न्यायालय के अधीन आने वाले पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सभी न्यायालयों, ट्रिब्यूनलों, न्यायिक और अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों को वितरित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, इन दोनों राज्यों के सभी जिलों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सभी प्रशासकीय अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी करने की हिदायतों के साथ इन तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को भी ये आदेश भेजने को कहा गया है।
 

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