कथित मुरथल गैंगरेप के दर्ज मामले को वापिस लेने की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक(VIDEO)

Edited By Shivam, Updated: 29 Aug, 2018 11:02 PM

कथित मुरथल गैंगरेप मामले में बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट के सामने सुनवाई हुई। माननीय हाइ कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार द्वारा जाट आंदोलन के दौरान दर्ज 407 एफआईआर को वापिस लेने की प्रक्रिया पर रोक के...

चंडीगढ़ (धरणी): कथित मुरथल गैंगरेप मामले में बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट के सामने सुनवाई हुई। माननीय हाइ कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार द्वारा जाट आंदोलन के दौरान दर्ज 407 एफआईआर को वापिस लेने की प्रक्रिया पर रोक के आदेश दिए। इसी के साथ हाईकोर्ट ने सरकार को कहा कि वह इस मामले में किसी तरह की पैरवी ना करें व ट्रायल कोर्ट केस वापस लेने के मामले में किसी तरह का फैसला ना करें।

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि चल रहे मामले की सुनवाई सीबीआई को ट्रांसफर की जाए या नहीं इस मामले पर अगली सुनवाई पर तय किया जाएगा इसी के साथ हाईकोर्ट ने इस मामले को चार कई स्तर में बांट कर सुनवाई करने का निर्णय लिया है जिसमें मुरथल गैंगरेप ,जाट आंदोलन के दौरान हिंसा, मूनक नहर में तोडफ़ोड़ व पुलिस की जांच, हाईकोर्ट इन स्तर पर इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।

गौरतलब है कि फरवरी 2016 में हरियाणा में जाट आरक्षण के दौरान राज्य में विभिन्न जगहों पर तोडफ़ोड़ हुई थी, जिसके बाद एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था कि आंदोलन के दौरान मुरथल में गैंगरेप किया गया। समाचार पत्र के समाचार पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर इस मामले में सुनवाई शुरू की थी इस मामले में हाई कोर्ट ने हाईकोर्ट के वकील अनुपम गुप्ता को कोर्ट मित्र नियुक्त किया था।

गुप्ता का शुरू से सरकार पर आरोप है कि सरकार इस मामले की जांच सही नहीं कर रही और गैंगरेप मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। मुरथल गैंग रेप मामले की सी.बी.आई. जांच के आदेश दिए जाएं या नहीं इस पर हाई कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि मामले में पहले हरियाणा सरकार का पक्ष जानकर ही आगे निर्देश दिए जा सकते हैं। लिहाजा 4 अक्तूबर को मामले की अगली सुनवाई पर मुरथल गैंग रेप मामले में अपना पक्ष रखे जाने के हाई कोर्ट ने आदेश दे दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार हरियाणा गृह विभाग ने हरियाणा के विभिन्न जिलाधीशों से इस बारे विस्तृत जांच करवा व अनुशंसा करके कुल 407 ऐसे मुकदमें हैं जो वापिस लेने के लिए महा अधिवक्ता कार्यालय व एल आर विभाग से क़ानूनी राय प्राप्त करके प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचा दी थी। सर्वाधिक मामले गोहाना, भिवानी व रोहतक के हैं, जो मामले सीबी आई के पास भेजे जा चुकें हैं उस मामले में राज्य सरकार की अब कोई भूमिका नहीं है।

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