Edited By Shivam, Updated: 13 Mar, 2020 09:28 PM
कैथल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमओ को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने तलब करते हुए पूछा है कि क्यों न उनके मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा के क्षेत्र में क्षमता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित कर दिया जाए। हाई कोर्ट ने यह सवाल मृतक टीचर के पति द्वारा...
चंडीगढ़ (धरणी): कैथल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमओ को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने तलब करते हुए पूछा है कि क्यों न उनके मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा के क्षेत्र में क्षमता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित कर दिया जाए। हाई कोर्ट ने यह सवाल मृतक टीचर के पति द्वारा चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।
दरअसल हेम सिंह की पत्नी के गुर्दे फेल थे और वो लुधियाना गए हुए थे। अचानक पत्नी की तबीयत खराब हो गई। उसे सीएमसी अस्पताल लुधियाना में भर्ती कराया गया, जहां उसे वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। बाद में उसे डीएमसी लुधियाना में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
उसने दोस्तों व रिश्तेदारों से पैसे लेकर अपनी पत्नी का इन निजी अस्पताल में इलाज करवाया। उसकी पत्नी कैथल में सरकारी टीचर थी। इस कारण उसने इलाज पर आने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए दावा किया। निजी अस्पताल में इलाज के खर्च के भुगतान के लिए सीएमओ से बिल सत्यापित जरूरी है। इस कारण उससे सभी बिल कैथल के सीएमओ को सत्यापित करने को दिए।
सीएमओ ने उसके बिल इस आधार पर खारिज कर दिए कि यह ऐसा कोई इमरजेंसी केस नहीं था कि मरीज को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़े। सीएमओ ने उसकी पत्नी के गुर्दे फेल की बीमारी को गंभीर व आपातकालिक केस मानने से इन्कार कर दिया।
जिस पर हेम सिंह ने हाई कोर्ट में केस डाल दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीएमओ के इस रवैये पर हैरानी जताते हुए कहा कि कि एक मरीज जिसके गुर्दे फेल होंं और वह वेंटिलेटर पर हो क्या यह इमरजेंसी नहीं? हाई कोर्ट ने सीएमओ के मेडिकल ज्ञान पर सवाल उठाते हुए उन्हें कोर्ट में पेश होने का आदेश देते हुए पूछा कि क्यों न कोर्ट उसके मानसिक स्वास्थ्य व मेडिकल ज्ञान की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दे। कोर्ट ने इस बारे में सीएमओ को अगली सुनवाई से पहले जवाब दायर करने के निर्देश दिए हैं।