मंत्री राव नरबीर से हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न आप पर अपराधिक मुकदमा चलाया जाए?

Edited By Shivam, Updated: 24 Jul, 2019 03:21 PM

high court asked minister rao narbir why should not you be prosecuted

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने कैबिनेट मंत्री राव नरबीर को नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा है कि आप (नरबीर सिंह) के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा क्यों न चलाया जाए? दरअसल, मामला चुनाव के दौरान नामांकन में गलत जानकारी देने का आरोपों को लेकर है। जिसको लेकर...

चंडीगढ़ (ब्यूरो):पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने कैबिनेट मंत्री राव नरबीर को नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा है कि आप (नरबीर सिंह) के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा क्यों न चलाया जाए? दरअसल, मामला चुनाव के दौरान नामांकन में गलत जानकारी देने का आरोपों को लेकर है। जिसको लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसपर कोर्ट से सुनवाई कर मंत्री राव नरबीर सिंह को नोटिस जारी किया है।

बुधवार को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ में सवा घंटे की बहस के बाद मंत्री को नोटिस जारी करने का फैसला हुआ है। नोटिस के माध्यम से मंत्री से पूछा जाएगा कि क्यों ना आप के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत झूठा शपथ पत्र देने और धोखाधड़ी करने का केस चलाया जाए। हालांकि अब नरबीर सिंह को कोर्ट से नोटिस मिला है अब देखना होगा कि नरबीर इस पर क्या जवाब देते हैं।

दरअसल, गुरुग्राम के आरटीआई एक्टिविस्ट हरिंदर ढींगरा ने याचिका में आरोप लगाया है कि राव नरबीर सिंह ने अपने चुनावा नामांकन में अपनी शैक्षणिक योग्यता बारे में गलत जानकारी दी है। हालांकि मंत्री ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है।

ढींगरा के मुताबिक राव नरवीर ने 2005, 2009 और 2014 में चुनाव लड़े और शपथ पत्र दाखिल किए। उन्होंने 2005 में शपथपत्र दाखिल किया कि 10वीं की पढ़ाई 1976 में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से की है। 2009 के चुनाव में शपथ पत्र दाखिल किया कि उन्होंने 10वीं बिरला विद्या मंदिर, नैनीताल से की है। उन्होंने 1986 में हिंदी साहित्य में हिंदी विश्वविद्यालय, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से ग्रेजुएशन करने की बात कही है।

ढींगरा ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि हिंदी साहित्य सम्मेलन को विश्वविद्यालय या बोर्ड की मान्यता नहीं है। 1997 में राम भगत शर्मा बनाम हरियाणा राज्य के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साफ किया था कि यह विश्वविद्यालय अमान्य है। इससे डिग्री लेकर सरकारी नौकरी लगे लोगों को हटाया जाए।

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