हरियाणा राज्य महिला आयोग ने महिला विरुद्ध अपराधों संबंधी मुद्दों पर किया वेबिनार

Edited By Shivam, Updated: 27 Sep, 2021 09:53 PM

haryana state commission for women conducted webinar

हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा शनिवार को विभिन्न महिला विरुद्ध अपराधों संबंधी मुद्दों पर राष्ट्रीय वेबीनार करवाए गए। हरियाणा राज्य महिला आयोग ने गैर सरकारी संस्थान भागीदारी जन सहयोग समिति के संयुक्त तत्वावधान तथा हरियाणा और दिल्ली विधिक सेवा...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा शनिवार को विभिन्न महिला विरुद्ध अपराधों संबंधी मुद्दों पर राष्ट्रीय वेबीनार करवाए गए। हरियाणा राज्य महिला आयोग ने गैर सरकारी संस्थान भागीदारी जन सहयोग समिति के संयुक्त तत्वावधान तथा हरियाणा और दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण लीगल सर्विसिज अथॉरिटी की मुख्य सहभागिता के साथ एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार ज्वलंत मुद्दों, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 और नॉन रेजिडेंट इंडियन वीमेन के खिलाफ हिंसा, घरेलू हिंसा एवं रोकथाम के विषयों पर आयोजित किए गए।

इस वेबीनार में मुख्य रूप से भारत के अनेक कानूनी विशेषज्ञों, महानुभावों, केंद्रीय व राज्य सरकारों के अधिकारियों ने इसमें शिरकत करते हुए उपरोक्त विषयों पर अपने अपने विचार/वक्तव्य प्रभावपूर्ण ढंग से रखे। आयोग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय वेबीनार को दो भागों में बांटा गया। सुबह के सत्र में भारत में गृह क्लेश की समस्या और उसके निवारण पर चर्चा की गई और दोपहर के सत्र में एनआरआई अप्रवासी भारतीय महिलाओं के प्रति उत्पीडऩ संबंधी विषयों पर गहनता से चर्चाएं हुई और निवारण हेतु सुझाव भी रखे गए। 

पहले सत्र में प्रिवेंशन ऑफ डोमेस्टिक वायलेंस अगेंस्ट विमेन इन इंडिया के विषय पर हरियाणा महिला आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष, प्रीति भारद्वाज दलाल ने उद्घाटन सत्र में आयोजन समिति की ओर से स्वागत भाषण दिया और कहा कि गृह क्लेश केवल हरियाणा प्रदेश या भारत तक ही सीमित नहीं है अपितु पूरे विश्व में कोविड-19 काल में गृह क्लेश की समस्या महिलाओं के लिए एक शैडो पेंडामेक बनकर उभरी है।
प्रीति भारद्वाज दलाल ने आयोग द्वारा जुटाए गए रचनात्मक प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि आयोग महिलाओं पर हो रही हिंसा की रोकथाम को कम एवं शून्य तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है वे स्वयं गांव-गांव जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही हैं। आयोग में भी सबसे ज्यादा समस्याएं और शिकायतें गृह क्लेश की ही रजिस्टर होती हैं और कोरोना काल में अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए हरियाणा महिला आयोग का व्हाट्सअप नंबर 9560080115 बहुत कारगर साबित हुआ है। राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा हाल ही में जारी किया 24/7 आपातकालीन नंबर 7217735372 भी सांझा किया।

उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने वेबिनार के दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा का समाज पर बहुत दूरगामी परिणाम होता है। माननीय न्यायमूर्ति ने गृह क्लेश अधिनियम, 2005 में समाहित गृह क्लेश की परिभाषा को विस्तारपूर्वक साझा की, प्रभावी ढंग से समझाया गया और अनेक उदाहरणों को साझा करते हुए अप्रवास भारतीय महिलाओं के उत्पीडऩ संबंधी कानूनी प्रक्रिया पर भी रोशनी डाली। न्यायधीश ने एक ऐसी घटना को साँझा किया जब वह  एक वकील के रूप में  प्रैक्टिस कर रही थी। उन्होंने बताया कि एक महिला उनके पास केस लेकर आई। महिला ने बताया कि एक व्यक्ति ने धोखा देकर उससे मंदिर में शादी को जो पिछली शादी से पहली पत्नी के साथ रह रहा था। ऐसे मामले ना हों, इसके लिए न्यायमूति बनर्जी ने जागरूकता की पहल की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत राहत न केवल अपने साथी के साथ रहने वाली महिला को मिलती है, बल्कि किसी भी महिला को भी मिलती है जो अपने पिता या भाई के साथ साझा घर में रहती है। न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने पूरे सत्र में अपनी सहभागिता दिखाते हुए आयोग एवं आयोजकों को महिलाओं के हित और अच्छा काम करने के लिए उत्साहवर्धन किया और आशीर्वाद भी दिया। 

सुप्रीम कोर्ट की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने घरेलू हिंसा से सम्बंधित प्रावधानों के बारे में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। गृह क्लेश के अनेक प्रकारों का विश्लेषण करते हुए उन्होंने शादी में सेक्सुअल एब्यूज, मानसिक उत्पीडऩ, मौखिक रूप से गाली गलौज, मारना पीटना, खाना ना देना, रिश्तेदारों से मिलने ना देना और आर्थिक रुप से उत्पीडऩ करना आदि ग्रह कलेश के प्रकारों पर विश्लेषण करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 में घरेलू हिंसा के पर्याप्त प्रावधान है, जिसमें न केवल शारीरिक अपितु मानसिक एवं आर्थिक सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है।

दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सदस्य सचिव व अति. जिला एवं सत्र न्यायाधीश कंवल जीत अरोड़ा ने पूरे देश में विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को निशुल्क कानूनी प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी देश की उन्नति का मूल्यांकन वहां के कानून, कानून का क्रियान्वन एवं महिलाओं को प्राप्त अधिकार एवं उनकी सुरक्षा को दृष्टिगत रख कर ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के ऐप के माध्यम से कोई भी नागरिक प्राधिकरण के कानूनी सहायता के प्रावधान की जानकारी प्राप्त कर कर सकता है। 

भागीदारी जन सहयोग समिति के महासचिव विजय गौड़ ने कहा कि कानून की जानकारी आज की आवश्यकता है। महिलाओं को कानूनी साक्षर बनाने के लिए राज्य महिला आयोग एवं राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस राष्ट्रीय वेबिनार में पार्टनर के रूप में देश की 9 प्रमुख शैक्षिक एवं स्वेच्छासेवी संस्थाओं ने अपनी सहभागिता बढ़ चढ़कर दिखाई। 

एनएसएसजेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हरियाणा, एनएसएस गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली ,विधि संकाय स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय उ.प्र, एनएसएस डीएवी यूनिवर्सिटी पंजाब, एनएसएस के.आर.मंगलम विश्वविद्यालय हरियाणा, विधि विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़, एनएसएस जीवाजी विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश, आईक्यूएसी-जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, सुधार (एनजीओ) ने उल्लेखनीय योगदान दिया। वेबिनार में 26 राज्यों से लोग जुड़कर कानूनी जानकारी से लाभान्वित हुए।

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